पूर्वांचल ब्यूरो /अनुपम श्रीवास्तव
विकास के पथ पर तेजी से बढ़ रहे शहर बनारस के लिए अच्छी खबर है। प्रदूषण फैला रहे जहां-तहां फेंका गया मलबा अब कीमती होने जा रहा है। इसके प्रसंस्करण के लिए रमना में लगे प्लांट में दीपावली बाद से उत्पादन शुरू हो जाएगा।
उत्पादन लक्ष्य दो चरणों में पूरा होगा। पहले चरण में मलबे (बिल्डिंग मैटेरियल के अवशेष) से सीमेंट की ईंट बनाने का कार्य होगा तो दूसरे में टाइल्स, इंटरलाङ्क्षकग, पेवर ब्लाक आदि बनाए जाएंगे।
इस सप्ताह ड्राई लाइन की मशीन स्थापित हो गई है। अब वेट लाइन की मशीन स्थापित करने की कवायद भी शुरू हो गई है। ड्राई लाइन मशीन से सीमेंट की ईंट बनाई जाएगी। इसके अलावा गिट्टियां तैयार होंगी। वहीं, वेट लाइन से टाइल्स, इंटरलाकिंग, पेवर ब्लाक आदि तैयार किए जाएंगे।
100 टन प्रति दिन मलबा प्रसंस्करण की क्षमता
प्लांट की क्षमता वर्तमान के लिहाज से पर्याप्त बताई जा रही है। प्रति दिन एक सौ टन मलबा का प्रसंस्करण हो सकता है। प्लांट निर्माण में 10 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है। निजी कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आइएलएंडएफएस) को जिम्मेदारी दी गई है।
नगर निगम उपलब्ध कराएगा मलबा
फिलहाल, प्रारंभिक तैयारी के अनुसार चार टन तक मलबा निकालने पर कोई चार्ज नहीं लगेगा। इससे ज्यादा मलबा निकालेंगे या नियमित निकालते रहेंगे तो उन्हें 495 रुपये प्रति टन के हिसाब से चार्ज देना होगा। एजेंसी का इसमें 350 रुपये प्रति टन ट्रांसपोर्टेशन का चार्ज होगा। मलबा उत्पादक सीधे अगर मलबा खुद से प्लांट पर पहुंचाते हैं तो उनको महज 148 रुपये प्रति टन के हिसाब से ही देना होगा। मलबा संग्रहण के लिए नगर निगम की ओर से एक दर्जन स्थानों पर संग्रहण प्वाइंट बनाया जाएगा।