पूर्वांचल ब्यूरो /अनुपम श्रीवास्तव
वाराणसी के सारनाथ में तथागत की उपदेश स्थली पर विश्वशांति के लिए धम्मसूत के मंत्र गुंजायमान हुए। भगवान बुद्ध की तपोभूमि पर पहुंचे श्रीलंकाई बौद्ध भिक्षुओं के दल ने विधि-विधान से विश्वशांति की कामना से तथागत का पूजन किया।श्रीलंकाई बौद्ध भिक्षुओं ने बोधि वृक्ष के नीचे दीप जलाकर परिक्रमा की। पुरातात्विक खंडहर परिसर में लाइट एंड साउंड का शो देखकर बौद्ध भिक्षुओं के दल प्रसन्न नजर आया। सारनाथ के बाद बौद्ध भिक्षुओं ने श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन किए और गंगा आरती भी देखी।
श्रीलंका के बौद्ध भिक्षु उपलि के नेतृत्व में बौद्ध भिक्षुओं का दल कुशीनगर से शाम 5:50 बजे सारनाथ स्थित मूलगंध कुटी बौद्ध मन्दिर पहुंचा। मुख्य द्वार पर महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के संयुक्त सचिव भिक्षु सुमित्ता नंद व धम्म शिक्षण केंद्र के प्रभारी भिक्षु चंदिमा ने श्रीलंका परंपरानुसार श्रीलंकाई वाद्य यंत्र की धुन पर छत्र लगा कर बुद्ध मंदिर ले गए।
महासचिव भिक्षु पी शिवली थेरो ने सभी बौद्ध भिक्षुओं को खाता अर्पित कर स्वागत किया। दल के साथ आए श्रीलंका सरकार में धम्म स्कूल भिक्षु शिक्षा राज्य मंत्री विजित वेरूवट व आर्युवेद राज्य मंत्री शिशिर जयखोड़ी का भी खाता देकर स्वागत किया गया। इसके बाद मन्दिर से सीधे पुरातात्विक खंडहर परिसर पहुंचे।
श्रीलंकाई बौद्ध भिक्षुओं के दल के आगमन को देखते हुए पुरातात्विक खंडहर परिसर, पक्षी विहार केंद्र व मूलगंध कुटी बौद्ध पार्क में दोपहर 1:10 बजे से पर्यटकों का प्रवेश बंद कर दिया गया। साथ ही सारनाथ मुख्य चौराहे से पुरातात्विक संग्रहालय तक भी आम जन के लिए आवागमन बंद कर दिया गया। इसके कारण आम लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी।