पूर्वांचल ब्यूरो
गरीबों के आशियानों पर अमीरों ने कब्जा जमा लिया है। प्रशासनिक जांच में इसकी पोल खुलने लगी है। जिससे सरकार की मुहिम पूरी होती नहीं दिख रही। पांच साल में करीब 13 हजार से अधिक लोगों को योजना का लाभ दिया गया, जिसमें 500 से अधिक अपात्र मिल चुके हैं।
ऐसे लोगों से अब तक रिकवरी नहीं हो सकी। गरीबों को पक्का छत मुहैया कराने के लिए 2016 में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरूआत की। इसमें तीन चरणों में चयनित पात्रों को एक लाख 20 हजार रुपये दिए जाते हैं। 2016 से अब तक पांच वित्तीय वर्ष में करीब 13 हजार परिवारों को आवास दिया गया।
योजना में अब तक 121 करोड़ से अधिक की रकम खर्च हो चुकी है। आवास आवंटन में ग्राम प्रधान और सचिवों ने जमकर मनमानी की। शिकायतों के बाद हुई जांच में करीब 500 से अधिक अपात्र मिल चुके हैं। कुछ के आवास पूर्ण हो चुके हैं तो कुछ को पहली और दूसरी किस्त मिल सकी।
वर्ष 2017-18 में औराई ब्लाक के नटवां गांव में 10 पात्रों के मिलने का मामला प्रकाश में आया था। इसी तरह अभोली ब्लाक के शेरपुर गोपलहां में अपात्रों को आवास आवंटित करने के मामले में प्रधान पर एफआईआर तक कराया गया था। परउपुर ग्राम पंचायत में भी फर्जी हस्ताक्षर कर अपात्रों को आवास देने का मामला प्रकाश में आ चुका है। इसी तरह अन्य कई ग्राम पंचायतें हैं। यहां पात्र को अपात्र करने का भी मामला सामने आ चुका है। ऐसे मामले में अभी करीब एक माह पहले ही तत्कालीन खंड विकास अधिकारी डीघ को निलंबित किया गया था। वेदमनपुर के इम्तियाज अंसारी ने बताया कि उनके गांव में कई अपात्रों को आवास मिला है l