कुरुक्षेत्र के 48 कोस के धार्मिक स्थलों पर प्रधानमंत्री का संवाद सुनने के लिए होंगी पूरी तैयारियां : सुधा

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161-91877

विधायक सुभाष सुधा ने संत समाज के लोगों को दिया निमंत्रण।
श्री स्थानेश्वर महादेव मंदिर में होगा भव्य कार्यक्रम।
5 नवंबर को कार्यक्रम के साथ आनलाइन प्रणाली से जुड़ेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री मनोहर लाल।
महंत बंसीपुरी महाराज के मार्गदर्शन में होगा कार्यक्रम।

कुरुक्षेत्र 3 नवम्बर :- विधायक सुभाष सुधा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री मनोहर लाल 5 नवंबर को ऑनलाइन प्रणाली से कुरुक्षेत्र 48 कोस के धार्मिक स्थलों से जुड़ेंगे और इसके लिए सभी तीर्थों पर व्यवस्था की जाएगी ताकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संवाद सभी संत समाज के लोग और श्रद्धालु सुन सके। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी संत समाज के इस कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। यह कार्यक्रम मंहत बंसीपुरी महाराज के मार्गदर्शन में होगा।
विधायक सुभाष सुधा ने बुधवार को संत समाज के लोगों से सेक्टर-7 आवास कार्यालय पर बातचीत करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र के इतिहास में पहली बार इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इससे पहले पिहोवा से संत बाबा मान सिंह और अन्य संतों से 5 नवंबर के कार्यक्रम को लेकर चर्चा की है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ऑनलाइन प्रणाली से इस कार्यक्रम से जुड़ेंगे और मुख्यमंत्री मनोहर लाल स्वयं इस कार्यक्रम से जुड़े रहेंगे। इस कार्यक्रम में 48 कोस के
तीर्थों के साथ-साथ हरियाणा प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों का भ्रमण करने के लिए संत समाज के महान लोग 5 नवंबर को धर्मनगरी कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर पहुंच रहे हैं। यह कार्यक्रम श्री स्थाण्वीश्वर महादेव मंदिर से शुरू होगा। इस दौरान प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री महंत बंसीपुरी जी महाराज तथा संत समाज के सभी लोगों से ऑनलाइन प्रणाली से वार्तालाप करेंगे। इस कार्यक्रम को लेकर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ भी लगातार फीडबैक ले रहे है।
उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्व प्रसिद्ध धर्मनगरी में है। इस धरा के कण-कण में इतिहास और पौराणिक कथाएं छिपी हुई है। इतना ही नहीं भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के उपदेश भी कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर दिए, जो आज भी पूर्णतया प्रासंगिक हैं। यह महाभारत काल से भी पहले थानेसर नगर स्थाणु तीर्थ की वजह से विख्यात रही है। विभिन्न शास्त्रों के मुताबिक सबसे पहले धरती पर स्थाणु तीर्थ पर ही शिवलिंग की स्थापना और पूजा हुई थी। बताया जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने खुद यहां पर शिवलिंग को स्थापित किया था। तंत्र शास्त्रों में भी इसका उल्लेख मिलता है। मंदिर की विशेषता है कि स्थाण्वीश्वर महादेव के नाम से ही शहर का थानेसर नाम पड़ा है। इसके अलावा मंदिर के अंदर की जो छत है वह छतरीनुमा बनी हुई है, जिस पर कलाकृति उभरी हुई है। इसे महाभारत काल से भी पहले का मंदिर माना जाता है। मंदिर के नजदीक से सरस्वती नदी बहने का उल्लेख मिलता है। मंदिर के ठीक सामने एक कुंड बना हुआ है, जिसमें नहाने से बीमारियां ठीक होने की बात भी कही गई है।
विधायक ने कहा कि स्थाण्वीश्वर महादेव महाभारत काल से भी पहले का है। महाभारत एवं पुराणों में वर्णित कुरुक्षेत्र का यह पावन तीर्थ थानेसर शहर के उत्तर में स्थित है। इस तीर्थ का सर्वप्रथम उल्लेख बौद्ध साहित्य में उपलब्ध होता है। महाबग्ग ग्रंथ में थूणा नामक गांव का उल्लेख मिलता है। इसी प्रकार दिव्यावदान बौद्ध ग्रंथ में थूणं और उपस्थूण नामक गांवों का उल्लेख है। कालांतर में थूणं नामक यह स्थान स्थान तीर्थ नाम से प्रसिद्ध हुआ। वामन पुराण में इसे स्थाणु तीर्थ कहा गया है जिसके चारों ओर हजारों शिवलिंग है जिनके दर्शन मात्र से ही व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि स्वयं प्रजापति ब्रह्मा ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। वामन पुराण में स्थाणु तीर्थ के चारों और अनेक तीर्थो का वर्णन आता है। इस तीर्थ के चारों ओर विस्तृत एक वट वृक्ष का उल्लेख मिलता है। स्थाणु तीर्थ के नाम पर ही वर्तमान थानेसर नगर का नामकरण हुआ जिसे प्राचीन काल में स्थाण्वीश्वर कहा जाता था। थानेसर के वर्धन साम्राज्य के संस्थापक पुष्पभूति ने अपने राज्य श्रीकंठ जनपद की राजधानी स्थाण्वीश्वर नगर को ही बनाया था। हर्षवर्धन के राजकवि बाणभट्ट के द्वारा रचित हर्षचरितम महाकाव्य में स्थाण्वीश्वर नगर के सौंदर्य का अनुपम चित्रण किया है। इस मौके पर नगर परिषद की निवर्तमान अध्यक्षा उमा सुधा भी उपस्थित थी।

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