हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र 10 नवंबर :- उपमंडल अधिकारी नागरिक अनुभव मेहता ने कहा कि हरियाणा सरकार ने फसल अवशेषों के प्रबंधन हेतु एक अहम स्कीम फसल अवशेष प्रबंधन लागू की है। फसल अवशेष जलाना भारतीय दंड संहिता की धारा-188 सपठित वायु एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत कानूनन अपराध है। उन्होंने कहा कि फसल जलाने के कारण मनुष्य में श्वास रोग फैलता है।
एसडीएम अनुभव मेहता ने कहा कि फसल अवशेषों को जलाने से भूमंडलीय तापमान बढऩे से जैविक पदार्थ नष्टï हो जाते है तथा भूमि के मित्र कीटों को भी नुकसान होता है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती है। इसके अतिरिक्त आग लगाने से पेड़ पौधों पर आश्रित पक्षी भी मर जाते है। फसल अवशेषों के प्रबंधन हेतु हरियाणा सरकार द्वारा सीएचसी की स्थापना हेतु 80 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। एकल किसानों को भी कृषि यंत्रों की खरीद हेतु 40 प्रतिशत व 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। किसान ट्रबों, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, जीरो ड्रिल मशीन के द्वारा धान में खड़े फानों में गेहूं की बिजाई कर सकते है। कृषि यंत्र जैसे मल्वर, रिवर्सीबल प्लो, स्ट्रा चौपर, हे रेक, स्ट्रा रीपर इत्यादि का प्रयोग करके फसल अवशेषों को जलाने से होने वाले नुक्सान से बचा सकते हैं। कम्बाईन हारवैस्टर का प्रयोग करने पर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम का होना अति आवश्यक है। इस सिस्टम का प्रयोग न करने पर कम्बाईन हारवैस्टर के प्रयोग की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इन यंत्रों को किराए पर लेने हेतु किसान अपने निकटतम सीएचसी से सम्पर्क कर सकते है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार किसानों को फसल अवशेषों की बेल बनाने पर एक हजार रुपए प्रति एकड़ का अनुदान दे रही है। उक्त स्कीम का फायदा उठाने के लिए इच्छुक किसान विभागीय पोर्टल पर पंजीकरण कर सकते है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेषों को जलाने के नियमों का उल्लंघन करने पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। फसल अवशेषों को जलाने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है। जुर्माना न अदा करने की स्थिति में दोषी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जा सकती है। इसलिए सभी किसानों से अपील की जाती है कि वे फसल के अवशेषों को न जलाकर इन्हें भूमि की भौतिक, रसायनिक व जैविक स्थिति में सुधार करके फसलों की पैदावार और गुणवत्ता बढ़ाएं तथा वातावरण को भी स्वच्छ रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें।