अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो का आंदोलन चलाया शिब्ली नोमानी- डा विनोद कुमार सिंह
आजमगढ़:पूर्वांचल की शिक्षा और राजनीति का पूरक शिब्ली नेशनल कॉलेज- डॉ बिनोद कुमार सिंह जिस दौर में अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं होती थी तब 1883 में अल्लामा शिब्ली नोमानी ने नेशनल शब्द जोड़कर शिब्ली नेशनल कॉलेज की स्थापना कर अंग्रेजों को खुली चुनौती दी थी। यह वह दौर था कि शिवली एकैडमी महात्मा गांधी, नेहरू और मौलाना अबुल कलाम आजाद सरीखे नेताओं का केंद्र रहा है। आज भी यहां की उर्दू लाइब्रेरी भारत के गिने-चुने लाइब्रेरी में अपना स्थान रखता है। साठ के दशक में अंग्रेजी हटाओ आंदोलन शिवली कॉलेज से शुरू होकर देश में फैला। जयप्रकाश नारायण की समग्र क्रांति भी इस कालेज में पली-बढ़ी ।इस कॉलेज से शिक्षा ग्रहण कर निकले कई छात्र बड़े ओहदो पर बैठने वाले विद्वानों की श्रेणी में है ।पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी, डॉ जाकिर हुसैन ,इंदिरा गांधी से लेकर भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी तक यहां समय समय पर पहुंचे ।उत्तर प्रदेश सरकार में यहां के पुरातन छात्र मंत्री पद को भी सुशोभित किए हैं। पश्चिमी यूपी में तालीम का जो रुतबा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को है वैसा ही रसूख पूरब में आजमगढ़ के शिब्ली कॉलेज का है ।आज शिब्ली कॉलेज के स्थापना के 138 वर्ष पूरे हो गए। कालेज के संस्थापक अल्लामा शिब्ली नोमानी का जन्म 3 जून 1857 को आजमगढ़ जिले के बिंदवल ग्राम में हुआ था तथा उनकी मृत्यु 18 नवंबर 1914 को हुई थी ।उन्होंने आजमगढ़ में शिब्ली कालेज तथा दारुल मुसन्निफीन( शिब्ली एकैडमी) की स्थापना किया। शिवली अरबी, फारसी तथा उर्दू के विद्वान तथा कवि भी थे ।उन्होंने पैगंबर मोहम्मद साहब के जीवन पर बहुत सारी सामग्री एकत्र कर (2 खंड) सिरात- अन -नबी लिख पाए । उनके शिष्य सुलेमान नदवी ने इस सामग्री का उपयोग कर इसे पांच खंडों में लिखा है। शिबली ने एक पारंपरिक इस्लामी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने 16 वर्षों तक अलीगढ़ में फारसी और अरबी भाषा सिखाई। जहां वे थामस और अन्य ब्रिटिश विद्वानों से मिले। जिनसे उन्होंने पहली बार पश्चिमी विचार और आधुनिक विचार सीखा। मध्य पूर्व के अन्य देशों की यात्रा कर प्रत्यक्ष और व्यवहारिक अनुभव प्राप्त किए। उनकी विद्वता ने थामस को प्रभावित किया ।कुछ विद्वानों के अनुसार अल्लामा शिब्ली नोमानी अलीगढ़ आंदोलन के खिलाफ सर सैयद की विचारधारा का विरोध किया था, इसलिए उन्हें मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की सेवाओं से वंचित कर दिया गया था। शिबली का दर्शन विज्ञान और शिक्षा से प्रेरित था। आज शिब्ली कॉलेज अपनी स्थापना के 139 शिवली डे मना रहा है ।इस कॉलेज में कला ,सामाजिक विज्ञान ,मानविकी, विज्ञान, वाणिज्य संकाय तथा विधि में स्नातकोत्तर की पढ़ाई होती है। B.Ed ,बीबीए, बीसीए तथा अन्य व्यवसायिक पाठ्यक्रम भी यहां संचालित हो रहे हैं ।यहां के सभी विभाग शिक्षा की गुणवत्ता का परचम वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में लगातार फहरा रहे हैं। जिसका उदाहरण दर्शनशास्त्र विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा वर्ष 2014 से लगातार स्नातकोत्तर वार्षिक परीक्षा में सर्वोच्च अंक लाकर 6 गोल्ड मेडल प्राप्त कर विश्वविद्यालय में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। आने वाले समय में महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय आजमगढ़ में यह कॉलेज पूर्वांचल की शिक्षा तथा राजनीति का पूरक होगा। आज शिबली डे के अवसर पर महान शिक्षाविद अल्लामा शिब्ली नोमानी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं “फूट रही है इल्म की किरणें ,शिबली की दीवारों से, इसके बच्चे चमक रहे हैं, बढ़कर चांद सितारों से। शिबली की अजमत पर अपना तन -मन कुर्बान है ,इसकी इज्जत और बड़े बस इसी में हमारी शान है।। डॉ बिनोद कुमार सिंह ,सहायक प्रोफेसर ,दर्शनशास्त्र विभाग, शिब्ली नेशनल पीजी कॉलेज, आजमगढ़ ।