बिजेंन्द्र सिंह की खास रिपोर्ट
वकीलों और सगड़ी एसडीएम बीच चल रही खींचातानी बंद होनी चाहिए, क्योंकि इसमें आम जनता का नुकसान हो रहा है। हालांकि मुझसे आज एक व्यक्ति मिला अजगरा निवासी उसने बताया कि मेरा पिछले सात-आठ सालों से लंबित एक मामले पर अचानक मौके पर पहुंच गए एसडीएम साहब, तस्वीर को साफ करते हुए चलते हैं अभी एक हफ्ते पहले की बात है। मौके पर पहुंचते ही गांव में अफरा-तफरी मच गई एसडीएम साहब के साथ पूरा अमला था, उन्होंने उस व्यक्ति को बुलवाया और पूछा भाई आपका क्या मामला है, तो उस व्यक्ति ने सारी कहानी एसडीएम साहब को बताई और उन्होंने इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए प्रोसेस को आगे बढ़ा दिया।
अब हम आपको पूरा मामला विस्तार से बताते हैं, आप जरा इस मामले को गौर से समझिएगा कि ऐसे भी मामले 8 से 10 साल तक चल जाते हैं, जहाँ स्थिति बिलकुल साफ-सुथरी होती है। जिसे बैठकर हल किया जा सकता है। मामला यूं था कि एक पिता के 2 पुत्र थे और दोनों की चकरोड के पास जमीन थी, एक भाई चाहता था कि वह चकरोड के आगे हो जाए, और दूसरे को पीछे, अब आप ही बताइए ऐसा संभव है क्या बटेगा तो लंबाई में, ताकि दोनों आधा-आधा चकरोड के पास हो जाएं, बस फिर क्या था एसडीएम साहब ने मामले को संज्ञान में लेते ही उनसे कहा कि इसको तो बैठकर भी हल किया जा सकता था ऐसे मामले इतने लंबे समय से लंबित चल रहे हैं। आप यकीन मानिए ऐसे हजारों मामले और लोगों के भी होंगे जो आज तक नहीं समझ पाए और तारीख पर तारीख दी जाती है पर तारीख पर सुनवाई ही नहीं होती। मेरे कहने का यह बिल्कुल मतलब नहीं है कि इसमें वकील साहब लोग दोषी हैं जी बिल्कुल नहीं, पर यह भी सच है कि ऐसे मामले बहुत हैं।
यहां एक और मामले से आपको अवगत कराना चाहूंगा, कुछ दिनों पहले की बात है, एक खाद विक्रेता मेरे पास आया, और उसने मुझ से रिक्वेस्ट की थी भाई साहब मेरी खाद की दुकान पर स्टाक मिलान को लेकर तालाबंदी हो गई है, आप कुछ करें मैंने उसे साफ साफ कह दिया है कि देखो भाई ना मैं थाने की पत्रकारिता करता हूं ना तहसील की, अच्छा होगा आप खुद ही बात कर ले, तो उस व्यक्ति ने मुझसे कहा भाई साहब एसडीएम साहब तो ऐसे हैं कि दूसरे की एक कप चाय तक नहीं पीते, हां स्टाक मिलान जिस दिन होगा,तो मुझे लगता है,अगर मैं सही रहूंगा,तो खुद ब खुद मेरी दुकान का ताला खुल जाएगा। एसडीएम साहब के बारे में इतना तो मुझे पता है। इन दो घटनाओं से आपको क्या लगता है एसडीएम साहब की छवि कैसी है आप जनता हैं आपका भी तहसील में कोई ना कोई काम जरूर लंबित होगा किसी ना किसी मामले में आपका भी आना जाना होगा तो आप लोग शायद हमसे बेहतर जानते हो।
बाकी एसडीएम साहब का व्यवहार क्या है, वह कितने ईमानदार हैं, मुझे इसकी जानकारी नहीं है, अगर होती तो जरूर लिखता, मुझे लिखने में कोई संकोच नहीं होता।
अंत में बस मैं यही कहना चाहता हूं कि एसडीएम साहब और वकीलों को बैठकर इस मामले को सुलझाना चाहिए और अपने अपने ईगो को किनारे करके जनता हित में कार्यवाही शुरू करवानी चाहिए।