सिविल सर्जन की अध्यक्षता में हुई टीबी व एचआईवी कॉर्डिनेशन कमेटी की बैठक। एचआईवी मरीजों के टीबी संक्रमण का होता है अधिक खतरा
अररिया
जिले में टीबी व एचआईवी के मामलों में कमी लाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई स्तरों पर जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। गौरतलब है कि एचआईवी मरीजों को टीबी का खतरा अधिक होता है। एचआईवी मरीजों का कई अन्य बीमारियों की चपेट में आने का खतरा अधिक होता है। इसलिये टीबी के शतप्रतिशत मरीजों की एचआईवी जांच पर जोर दिया जाता है। इसी तरह शतप्रतिशत टीबी मरीजों के भी एचआईवी टेस्ट को महत्वपूर्ण माना गया है। टीबी व एचआईवी के मरीजों को जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से रेडक्रॉस सोसाइटी सभाभवन में त्रैमासिक समीक्षात्मक बैठक का आयोजन सिविल सर्जन डॉ एमपी गुप्ता की अध्यक्षता में हुआ। इसमें सीडीओ डॉ वाईपी सिंह, डीपीओ एड्स अखिलेश कुमार सिंह, जिला टीबी व एड्स कोर्डिनेटर दामोदर प्रसाद सहित सभी एसटीएस व एसटीएलएस मौजूद थे।
टीबी मरीजों का एचआईवी टेस्ट जरूरी :
बैठक में टीबी व एचआईवी से संबंधित मामलों की समीक्षा करते हुए सिविल सर्जन ने कहा कि शतप्रतिशत टीबी मरीजों का एचआईवी टेस्ट होना जरूरी है। डेढ़ से दो साल के बच्चों को छोड़ कर सभी का एचआईवी टेस्ट कराने का निर्देश उन्होंने दिया। सिविल सर्जन ने कहा कि सभी एचआईवी मरीजों को एआरटी की सेवा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करायें। जांच के उपरांत टीबी संक्रमण का मामला सामने आने पर नियमित रूप से दवा का सेवन सुनिश्चित कराने का निर्देश उन्होंने दिया। सिविल सर्जन ने कहा कि निर्धारित समय तक मरीजों को टीबी की दवा सेवन सुनिश्चित कराने के लिये नियमित रूप से उनका फॉलोअप किया जाना जरूरी है।
टीबी मरीजों के संबंध में बरते गोपनीयता :
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीडीओ डॉ वाईपी सिंह ने कहा कि टीबी मरीजों से संबंधित जानकारी को गोपनीय बनाये रखना जरूरी है। उनकी तस्वीर व नाम किसी भी रूप से सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि एचआईवी मरीजों को टीबी का व टीबी मरीजों का एचआईवी का खतरा अधिक होता है। दोनों ही रोग से बचाव के लिये जन जागरूकता बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों में एचआईवी संक्रमण की पुष्टि होने पर पहले दो महीने तक टीबी की दवा खिलाया जाना जरूरी है। इसके बाद उन्हें एंटी् रेट्रो वायरल थेरेपी सेंटर रेफर किये जाने का प्रावधान है।
एचआईवी मरीजों की मौत का टीबी है सबसे बड़ा कारण :
जिला टीबी व एड्स कॉर्डिनेटर दामोदर शर्मा ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि एचआईवी रोगियों की मौत का सबसे बड़ा कारण टीबी है। इसलिये टीबी व एचआईवी से संबंधित मामलों की रोकथाम के लिये स्वास्थ्य विभाग द्वारा जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इसके लिये चिकित्सक व विभागीय कर्मी एसटीएस, एलटीएलएस व लैब टेक्निशियन को समय-समय पर जरूरी प्रशिक्षण दिया जाता है। इसी क्रम में आगामी 29 नवंबर को ओपीडी कार्यरत चिकित्सक को आरएनटीसीपी कार्यक्रम के तहत जरूरी प्रशिक्षण का आयोजन रेड क्रॉस सभाभवन में निर्धारित है। इसमें सभी पीएचसी के दो अप्रशिक्षित चिकित्सकों को रिफ्रेसर कोर्स की ट्रेनिंग दी जायेगी। इसके अगले दिन 30 नवंबर को सभी एसटीएस, एसटीएलएस व लैब टैक्निशियन को रिफ्रेसर कोर्स का प्रशिक्षण दिया जाना है।