सुचिता को मुँहचिढाती प्रशासनिक नाकामी
एक के एक बाद कुल चार वर्षों में लगातार छह बार सरकार के लिए नाक का प्रश्न बनी प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों का समयपूर्व सोशल मीडिया पर वायरल होना उत्तर प्रदेश में जहाँ एकओर नकल माफियाओं की दिनोंदिन गहराती जड़ का जीताजागता सबूत है वहीं प्रश्नपत्रों का लीक होना खुफिया तंत्र के साथ-साथ प्रशासनिक तंत्र की भी विफलता का द्योतक है।जिससे परीक्षाओं की सुचिता न केवल तारतार हो रही है अपितु नौकरी की तलाश में समस्याओं से जूझ रहे बेरोजगारों के भविष्य से भी क्रूर मजाक हो रहा है।कुल मिलाकर सरकार की प्रतिष्ठा को कोई और नहीं अपितु प्रशासनिक तंत्र ही जमींदोष कर रहे हैं और सरकार थू थू की पात्र बनती जा रही है।
यद्यपि परीक्षाओं में प्रश्नपत्रों का आउट होना कोई नई बात नहीं है।पहले भी माध्यमिक शिक्षा परिषद की बोर्ड परीक्षाओं सहित विभिन्न विश्विद्यालयों की परीक्षाओं के प्रश्नपत्र आउट होते रहे हैं किंतु सोशल मीडिया के बढ़ते प्रचलन और हाईटेक होती व्यवस्था में दिनोंदिन बढ़ती सेंधमारी आज पहले की तुलना में कहीं ज्यादा चुनौती बनती जा रही है।जिसमें परीक्षाकेन्द्रों से लेकर जिलों के कप्तान तथा जिलाधिकारी भी कम जिम्मेदार नहीं हैं।कदाचित इन्हीं लोगों की लचर व लोभग्रस्त व्यवस्था का लाभ नकल माफिया उठाते हुए सौदेबाजी कर समयपूर्व प्रश्नपत्रों की खरीद फरोख्त करते हुए अकूत सम्पत्ति भी बना लेते हैं।कहना गलत नहीं होगा कि इसमें कुछेक प्रधानाचार्य,परीक्षा कराने वाली एजेंसी,पुलिस व प्रशासन के लोग भी मिले रहते हैं,अन्यथा प्रश्नपत्र आउट होना कोई गुड्डे गुड़िये का खेल हो ही नहीं सकता।
प्रश्न जहाँ तक उत्तर प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों के आउट होने का है तो वर्ष 2017 से आजतक कुल चार वर्षों में उप निरीक्षक भर्ती परीक्षा,पावर कारपोरेशन भर्ती परीक्षा,जूनियर सहायक व प्रधानाध्यापक भर्ती परीक्षा,टीजीटी भर्ती परीक्षा व अब टेट परीक्षा सहित कुल छह ऐसी परीक्षाएं नकल माफियाओं के चलते स्थगित की गईं जिनके आयोजन का दारोमदार जिलों के जिलाधिकारी व कप्तान सहित प्रशासन का था।जिसमें हरबार जिलाधिकारीगण और पुलिस महकमा तथा सम्पूर्ण प्रशासनिक तंत्र विफल रहा है।इससे जहाँ सरकार के दावों की पोल खुल रही है वहीं बेरोजगारों में दिनोंदिन हताशा बढ़ती जा रही है।लिहाजा जिनजिन जिलों में प्रश्नपत्र आउट होने के तार जुड़े पाये जाएं वहाँ खुफिया व्यवस्था के लिए जिम्मेदार कप्तान व प्रशासनिक व्यवस्था के लिए सर्वेसर्वा जिलाधिकारी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करते हुए उनकी भी चल अचल संपत्ति कुर्क होनी चाहिए।जब सफल आयोजन का श्रेय ये अधिकारी अपने लेते हैं तो विफलता हेतु इनको जिम्मेदार व जबाबदेह मानना कत्तई अनुचित नहीं होगा।निठल्ले और कमाऊ अधिकारियों के ही चलते उत्तर प्रदेश आज पेपर आउट प्रकरण में पूरे देश में नम्बर एक बन सा गया है।
आज के दौर में जबकि पलक झपकते ही सात समंदर पार तक सम्पर्क किया जा सकता है,ऐसे में किसी भी चीज या सूचना के वायरल होने में देर नहीं लगती।लिहाजा स्थिति पर नियंत्रण करना एक चुनौती से कम नहीं होता।अतएव प्रतियोगी परीक्षाओं में भी परिवर्तन के साथ-साथ सुधार और नवाचार किये जाने की आवश्यक आवश्यकता है।इस निमित्त एन टी ए, जोकि जेई मेंस व एडवांस की परीक्षा ऑनलाइन करवाती है,का भी सहयोग लिया जा सकता है।इसके अलावा प्रश्नपत्रों को यूपी बोर्ड की तर्ज़ पर मंडलवार मुद्रण कराते हुए चार-चार अलग अलग सेटों में जिलों पर भिजवाया जा सकता है।जिससे जिस कोड का पेपर आउट होगा तो उसको बदलकर उसीदिन उसी केंद्र पर अतिरिक्त समय देकर दूसरे सेट से परीक्षा कराई जा सकती है औरकि चारों सेटों का एकसाथ आउट होना भी सम्भव नहीं होगा।
यदि मौजूदा सूरतेहालों पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि प्रदेश का अभिसूचना और स्थानीय खुफिया तंत्र पूरी तरह खब्बू बन गया है।ये लोग महज कर्मचारी और राजनैतिक संघों के नेताओं के ज्ञापनों तक की सूचनाओं तक सिमट कर रह गए हैं।अन्यथा 2017 के पश्चात अबतक खुफिया इकाइयों और अभिसूचना तंत्र ने किया ही क्या है,जिसके आधार पर इनकी बड़ाई की जा सके।यकीनन यह पॉलिसी महकमे,प्रशासनिक तंत्र और कुलमिलाकर सरकार की नाकामी है।जो चाहकर भी परीक्षाओं की सुचिता कायम नहीं रख या कर पा रही है।अतः अब पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों की भी जबाबदेही तय करते हुए दंडित करने का समय आ गया है।अन्यथा ये निचले स्तर पर दिखावे की कार्यवाही करते हुए बेरोजगारों के साथ छलावा और सरकार के साथ चूहे बिल्ली का खेल खेलते रहेंगें।
-उदयराज मिश्र
नेशनल अवार्डी शिक्षक
9453433900