हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
संवादाता थानेसर – वीना गर्ग।
दर्शकों ने नाड़ी तरंगिणी यंत्र के माध्यम से जानी अपनी वात, पित्त व कफ प्रकृति।
कुरुक्षेत्र :- अन्तर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय द्वारा प्रदर्शनी लगाई गई है। जिसमें प्रतिदिन दर्शक डॉक्टरों से निशुल्क स्वास्थ्य परामर्श ले रहे हैं। इसके साथ ही नाड़ी तरंगिणी यंत्र के माध्यम से अपने शरीर की वात, पित्त, व कफ प्रकृति की जानकारी ले रहे हैं। शुक्रवार को कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने प्रदर्शनी में विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि नाड़ी से रोग की पहचान करना एक विश्वसनीय तकनीक और विज्ञान है। इस तकनीक को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर नाड़ी विज्ञान को विकसित करने का प्रयास जारी है। नाड़ी परीक्षण से कई प्रकार के रोगों का पता लगाया जा सकता है। नाड़ी तरंगिणी एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। जिससे व्यक्ति की वात, पित्त व कफ प्रकृति का पता लगाया जाता है। उसके आधार पर रोगी के रोग का निदान किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति ढेरों विशेषताओं का समावेश किए हुए है। ये प्राचीन होने के साथ-साथ प्राकृतिक भी है। इस चिकित्सा पद्धति में व्यक्ति का इलाज पूर्ण रूप से किया जाता है। और किसी भी प्रकार के हानी रहित उपचार के साथ प्रयोग की जाती है। रिसर्च एंड इनोवेशन विभाग के प्रो. रजनीकांत आयुष विश्वविद्यालय में चल रहे शोध की जानकारी प्रदर्शनी में आए लोगों को उपलब्ध करा रहे हैं। कोविंड-19, मधुमेह, कैंसर व प्रकृति परीक्षण जैसे रोगों पर लेब में शोध चल रहे हैं। इस अवसर पर डॉ. अनिल शर्मा, डॉ. सुरेंद्र सहरावत, डॉ. मनीष, डॉ. प्रीति, डॉ. शुभम, डॉ. कृति और मनोज कुमार उपस्थित रहे।