मझरा पूरब में फिर दहाड़ी बाघिन चंपाकली और जयमाला को मिली चुनौती
निघासन-खीरी/दीपक श्रीवास्तव
उत्तर निघासन रेंज के मझरा पूरब जंगल से निकलकर आबादी एरिया में पिछले काफी दिनों से विचरण कर रही बाघिन का खौफ ग्रामीणों में कम नहीं हो पा रहा है। बाघिन ने बीती रात दुमेड़ा और औंधैया गांव के मध्य सरदार प्रताप सिंह के झाले के पास दहाड़ लगाकर पिछले कई दिनों से पेट्रोलिंग कर रही कर्तनिया घाट से आई हथिनी चंपाकली और जयमाला को एक बार फिर चुनौती दे दी है। दहशत का पर्याय बनी बाघिन के डर से ग्रामीण रात भर पटाका दगाकर व शोर मचाकर रात गुजारने को मजबूर हैं। हिंसक बाघिन अब तक दर्जनभर इंसानी खून पीने के साथ ही दर्जनों पशुओं को भी अपना निवाला बना चुकी है। बाघिन मझरा पूरब, दुमेड़ा,औंधैया, चौधरी पुरवा आदि गांवों के मध्य करीब दो किलोमीटर की एरिया में अपना डेरा जमाए हुए हैं। और प्रत्येक हफ्ते घटनाओं को अंजाम दे रही है। हिंसक बाघिन के डर से ग्रामीण अब अपने खेतों पर काम करने नहीं जा रहे हैं। और सूर्य ढलते ही अपने-अपने घरों में दुबक जाते हैं। उधर बाघिन को खदेड़ने के लिए कर्तनिया घाट से आई हथिनी चंपाकली और जयमाला पिछले कई दिनों से वन कर्मियों को लेकर जंगल एरिया के खेतों में लगातार पेट्रोलिंग कर रही हैं। लेकिन काफी चतुर बाघिन से वह अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पा रही हैं। दिलचस्प की बात तो यह है शुक्रवार को दिन भर चंपाकली और जयमाला ने जंगल एरिया में दहाड़ लगाते हुए पेट्रोलिंग किया। गन्ने के खेतों में छुपी बाघिन ने सूर्य ढलते ही आबादी एरिया में पहुंचकर दहाड़ लगाकर चंपाकली और जयमाला को चुनौती दे दिया है। देखना यह होगा कि हथिनी चंपाकली और जयमाला अपने मकसद में कामयाब होगी या फिर वापस कतर्निया घाट लौट जाएंगी।
जंगली हाथियों ने रौंदी गन्ने की फसल
मझरा पूरब में बाघिन के साथ-साथ जंगली हाथियों का भी कहर बढ़ता जा रहा है। आए दिन जंगल से निकलकर हाथियों का झुंड किसानों के खेतों में घुसकर फसलों को तहस-नहस कर रहा है। जिससे किसानों को काफी क्षति हो रही है। शुक्रवार को जंगल से निकलकर आए तीन हाथियों ने दर्जनभर किसानों के खेतों में लगी गेहूं और गन्ने की फसल को तहस-नहस कर दिया। बाघ और हाथियों की आमद से ग्रामीणों में दहशत के साथ ही वन विभाग के खिलाफ काफी रोष हैं