गीता जयंती के अवसर पर विद्यापति स्मृति मंच स्थापित
फारबिसगंज (अररिया)
गीता जयंती के अवसर पर साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शिक्षासेवी सह साहित्यकार विनोद कुमार तिवारी के द्वारा प्रकाण्ड विद्वान पंडित ‘विद्यापति’ के नाम पर “विद्यापति स्मृति मंच” स्थापित किया गया और इसके अध्यक्ष प्रोफेसर सुधीर सागर (खवासपुर पंचायत) को मनोनीत किया गया।
जयंती कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पंडित जयप्रकाश भारद्वाज ने कहा कि महर्षि अरविंद घोष का ‘गीता’ के साथ एक अद्वितीय संबंध रहा। सन् 1909 में अपने उत्तरपाड़ा भाषण में इन्होंने कहा था कि भगवान ने मेरे हाथों में गीता रख दी। उनकी शक्ति ने मुझमें प्रवेश किया और मैं गीता का साधना कर पाया। जेल के दीवारों के रूप में भगवान वासुदेव हीं मुझे घेरे हुए थे। सम्मुख खड़े वृक्ष के रूप में वासुदेव श्री कृष्णा हीं मेरे ऊपर छाया किए हुए थे, संतरी और सीखचें भी नारायण थे।
वहीं विनोद कुमार तिवारी एवं प्रोफेसर सुधीर सागर ने कहा कि श्री मद्भगवद् गीता पहला दुर्लभ व ऐतिहासिक ग्रंथ है। जिसमें सभी भारतीय दर्शनों, सभी उपनिषदों, योग की सभी विद्याओं का सार निहित है। यही वह एक मात्र ऐसा ग्रंथ है, जिस पर आदि शंकराचार्य रामानुज जैसे न जाने कितने आचार्यों, संत-महात्माओं, विचारकों,विद्वानों एवं अध्येताओं ने भाष्य लिखे हैं।
मौके पर हिंदी सेवी अरविंद ठाकुर ने अध्यक्ष प्रोफेसर सुधीर सागर को माला पहनाकर “गीता ग्रंथ एवं डायरी ” प्रदान कर सम्मानित किया।