आजमगढ़ से बिजेंन्द्र सिंह की खास रिपोर्ट:
आजमगढ़: (सगड़ी) पिछले 2 दिनों से आजमगढ़ जिले में इंडियन वूमेन वेलफेयर सोसाइटी के द्वारा 6 से लेकर 15 साल के बच्चों को एक नई तरह की स्किल सिखाई जा रही है।
इसी कड़ी में आजमगढ़ जिले के अजमतगढ़ ब्लॉक अंतर्गत अजमतगढ़ बीआरसी प्राथमिक विद्यालय प्रथम पर आज टीम ब्रेन बूस्टर संस्था द्वारा बच्चों के साथ सीधा संवाद किया गया।
टीम ब्रेन बूस्टर का मेन उद्देश्य बच्चा आपका उसका कैरियर बनाने का तरीका हमारा इसी विधि पर काम करती है।
प्रोजेक्ट मैनेजर आकाश इंडोलिया ने बताया कि हमारी संस्था बच्चों का परीक्षण करके उन्हें सही जानकारी एवं उपयुक्त परामर्श देती है वैज्ञानिक परीक्षण से बच्चों की विभिन्न प्रकार की बुद्धि की जानकारी प्राप्त करके उसमें क्या अच्छाई है क्या कमियां है उसका स्वभाव व्यवहार पठन की रूचि याद करने की क्षमता सहित कई पहलुओं को जाना जाता है। इस जानकारी का उपयोग करके बच्चे को लक्ष्य प्राप्ति में उपयुक्त कार्यवाही कर सकते हैं उन्हें सही मार्गदर्शन और सही दिशा दी जा सकती है।
टीम के द्वारा जानकारी को थोड़ा और बढ़ाते हुए बताया गया कि आधुनिक मनोविज्ञान और वैज्ञानिक शोध के माध्यम से यह पता चला है दोनों भौहों के मध्य में एक ग्रंथि है जिसे पायनियल ग्रंथि कहते हैं। लेकिन साधारण तः वह निष्क्रिय रहती है। उसे खोलने के लिए कुछ करना पड़ता है वह आँख अंन्धी नहीं है वह बस बंद है यह विधि तीसरी आंख को खोलने के लिए ही है।
आकाश इंडोलिया ने बताया कि हमारी टीम हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में इस समय कार्यरत है और धीरे-धीरे इस विधि को इस टेक्निक को लेकर चाहे प्राइवेट स्कूल हो या सरकारी सभी इंटरेस्ट दिखा रहे हैं। और हमारा उद्देश्य है कि उन जिलों में भी हम जाएं जहां शिक्षा को लेकर अभी उतनी जागरूकता नहीं आई है तो हम चाहते हैं कि उन जिलों के बच्चे भी इस विधि को जाने और आगे बढ़े और समाज में अग्रणी भूमिका निभाए।
आपको बता दें कि इस टीम के द्वारा छपरा सुल्तानपुर के दो तीन लड़कों को ट्रेंड किया गया है। जिनकी स्कील को देखकर लगता है कि शायद ही जिले में कोई और बच्चा होगा जो इन्हें मौजूदा समय में टक्कर दे पाए, मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं कि अगर आप भी इन बच्चों से मिलेंगे तो आश्चर्य में पड़ जाएंगे। छपरा सुल्तानपुर निवासी सुनील सिंह के पुत्र रक्षक,रक्षित ने जो कमाल कर दिखाया है वह अपने आप में गौरवान्वित करने वाला है। यह दोनों बच्चे आंख बंद करके किसी भी रंग की पहचान और कीसी भी लिखावट को पढ़ लेना, किसी भी देश की राजधानी को बता देना 1 मिनट में 200 देशों की राजधानी को बता देना जैसे स्कील में महारत हासिल कर ली है।
अजमतगढ़ बीआरसी प्राथमिक विद्यालय प्रथम के प्रधानाध्यापक और उनके सभी स्टाफ ने टीम का पूरा सहयोग किया और सभी बच्चों को एक कतार में बैठा कर टीम के संबोधन और प्रस्तुति को सुनवाया और दिखाया। वही मीडिया से बात करते हुए प्रधानाध्यापक ने कहा कि इसी स्किल को और अच्छे तरीके से लोगों को समझाना होगा।
इस टीम में अकाश इंडोलिया प्रोजेक्ट मैनेजर, प्रभा चौधरी काउंसलर, मनीष सहारन टेक्निकल मैनेजर, प्रमुख रूप से सक्रिय भूमिका में हैं।