कुंटू से दुश्मनी के बाद मुख्तार अंसारी का दोस्त बन गया अजीत, दर्ज हैं 12 आपराधिक मुकदमें
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रिपोर्ट-आदित्य चतुर्वेदी
आजमगढ़. लखनऊ विभूति खंड थाना के कठौता चैराहे पर बुधवार को मारा गया हिस्ट्रीशीटर अजीत सिंह माफिया कुंटू से दुश्मनी के बाद मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का दोस्त बन गया था। अजीत ने मऊ जनपद में कई अपराधों को अंजाम दिया। उसके खिलाफ 12 आपराधिक मुकदमें दर्ज थे। यूं भी कहा जा सकता है कि क्षेत्र में अजीत का भारी खौफ था। यहीं वजह है कि कोई उसके खिलाफ चुनाव तक लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। पहले उसने अपनी पत्नी रानू सिंह को ब्लाक प्रमुख बनाया फिर 2015 में घर पर काम करने वाली मनभावती को मैदान में उतार निर्विरोध ब्लाक प्रमुख निर्वाचित कराया।
मऊ जनपद के मुहम्मदाबाद गोहना कोतवाली क्षेत्र के देवसीपुर निवासी अजीत सिंह 38 पुत्र राधेश्याम सिंह एक दौर में माफिया ध्रुव कुमार सिंह कुंटू का बेहर करीबी माना जाता था। कुंटू की डी-11 गैंग में उसका खास स्थान था। वर्ष 2013 में पूर्व विधायक सर्वेश सिंह सीपू की हत्या के बाद कुंटू और अजीत के बीच खटास हुई। फिर दोनों के बीच छत्तीस का आंकड़ा देखने को मिला। पूर्व विधायक हत्याकांड में अजीत सिंह माफिया कुंटू के खिलाफ गवाह बन गया।
अजीत ने कुंटू के साथ रहते हुए ही वर्ष 2005 में क्षेत्र पंचायत की राजनीति में पदार्पण किया। ब्लाक प्रमुख सरस्वती देवी पत्नी ध्यानचंद के कार्यकाल में अजीत को जेष्ठ उप प्रमुख चुना गया था। इसके अजीत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2010 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उसने अपनी पत्नी रानू सिंह को पहले बीटीसी का चुनाव जितवाया फिर ब्लाक प्रमुख पद के लिए मैदान में उतारा। रानू सिंह आसानी से ब्लाक प्रमुख चुनाव जीत गयी।
धीरे-धीरे राजनीति में अजीत का वर्चश्व बढ़ते गया। उसकी दबंगई का आलम यह रहा कि कोई उसके खिलाफ लड़ना तो दूर बोलने तक की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। इसका प्रमाण वर्ष 2015 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में देखने को मिला। ब्लाक प्रमुख सीट आरक्षित होने पर अजीत ने अपने घर काम करने वाली मनभावती राजभर को मुहम्मदाबाद गोहना से ब्लाक प्रमुख के पद के लिए मैदान में उतार दिया। चुंकि मनभावती को अजीत का समर्थन था इसलिए किसी ने उसके खिलाफ लड़ने की हिम्मत नहीं दिखायी और वह निर्विरोध ब्लाक प्रमुख चुन ली गयी।
कहने के लिए मनभावती देवी ब्लाक प्रमुख थी लेकिन प्रतिनिधि के तौर पर अजीत ही उनका सारा काम देखता था। शराब के व्यवसाय को लेकर अजीत ने कई बड़े अपराधियों से पंगा ले रखा था। अजीत की आपराधिक गतिविधियों को देखते हुए जिला प्रशासन ने उसे छह माह पूर्व जिलाबदर कर दिया था। उसके खिलाफ मुहम्मदाबाद गोहना कोतवाली सहित विभिन्न थानों में हत्या लूट छिनैती मारपीट आदि के कुल 12 मुकदमे दर्ज थे। स्थानीय क्षेत्र पंचायत की राजनीति हो या शराब का व्यवसाय कोई उसके खिलाफ मुंह खोलने की हिम्मत नहीं करता था।
सूत्रों की माने तो जिला बदर होने के बाद वर्तमान में वह एक बाहुबली के संरक्षण में लखनऊ में रहता था। चार दिन बाद वह सर्वेश सिंह सीपू हत्याकांड में गवाही के लिए आजमगढ़ आने वाला था। उसके उपर लगातार गवाही न देने का दबाव बनाया जा रहा था लेकिन वह नहीं माना। इसी बीच बुधवार को बाइक सवार बदमाशों ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। हत्या के पीछे कुंटू सिंह का हाथ माना जा रहा है।