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वैटलैंड्स को बचाकर हम वन्यजीवन संरक्षण के लिए निभा सकते हैं महत्वपूर्ण भूमिका: प्रो. सोमनाथ।
बसई वैटलैंड् के पक्षियों के संरक्षण के लिए जागरूक करेगी यह पुस्तक : प्रो. सोमनाथ।
पक्षियों के डाक्यूमेंटेशन व जागरूकता में कुवि का प्राणी शास्त्र विभाग कर रहा है महत्वपूर्ण कार्य।
कुरुक्षेत्र, 2 फरवरी :- विश्व आर्द्रभूमि दिवस के अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने प्राणिशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. दीपक राय बब्बर की पुस्तक बर्डस ऑफ बसई वैटलैंड का विमोचन करते हुए कहा है कि वैटलैंड्स को बचाकर हम वन्यजीवन संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि 1971 से रामसर कंवैन्सन के बाद हम विश्व वैटलैंड दिवस मना रहे है। आज के दिन भारत में 47 रामसर साइट्स हो चुकी हैं और देश में हजारों वैटलैंड्स को चिन्हित किया जा चुका है। ये वैटलैंड्स पक्षियों के लिए यह महत्वपूर्ण आवासीय स्थान का काम करती है। इनके संरक्षण से हम भारत की पक्षियों की प्रजातियों का संरक्षण कर सकते हैं।
कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि बसई वैटलैंड् के पक्षियों के संरक्षण के लिए यह पुस्तक जागरूकता लाएगी।उन्होंने कहा कि यह पुस्तक आने वाले समय में भी संकलन, शोध, डाक्यूमेंटेशन व मॉनिटरिंग के अहम पहलुओं में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि पक्षियों के डाक्यूमेंटेशन व जागरूकता में कुवि का प्राणीशास्त्र विभाग महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने डॉ. दीपक राय बब्बर व उनकी पूरी टीम को इस पुस्तक के लेखन के लिए बधाई दी।
पुस्तक के लेखक व प्राणिशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. दीपक राय बब्बर ने बताया कि यह पुस्तक एक अच्छे रिसर्च डिजाइन के साथ बसई वैटलैंड् के पक्षियों के संरक्षण के उद्देश्य से लिखी गई है। यह पुस्तक प्राणिशास्त्र के विद्यार्थियों के साथ-साथ आम विद्यार्थी व पाठकों में भी बसई वैटलैंड पक्षियों के प्रति जिज्ञासा पैदा करेगी। उन्होंने बताया कि इस तरह के शोध कार्यों से देश में हजारों वैटलैंड्स को चिन्हित करके एक रिकॉर्ड के रूप में पक्षियों के संरक्षण के क्षेत्र में हम सब मिलकर अपनी भूमिका निभा सकते हैं। यह पुस्तक स्कूल के छात्रों में पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूक करेगी।
डॉ. दीपक राय बब्बर ने बताया कि यह पुस्तक अमेजन पर उपलब्ध है तथा जल्द ही गूगल प्ले स्टोर पर भी उपलब्ध होगी। इस अवसर पर लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. ब्रजेश साहनी, शोधार्थी व पुस्तक के लेखक विनीता व पियूष गोयल भी उपस्थित थे।