बिजेंन्द्र सिंह की स्पेशल रिपोर्ट:
सैफई: जब हमारे रिपोर्टर ने शिवपाल यादव के गण कहीं जाने वाली जसवंत नगर की विधानसभा सीट के ग्रामीणों से हकीकत और मुलायम परिवार की मजबूती के बारे में जानना चाहा तो चौंकाने वाला जवाब आया सामने।
हमने जब सैफई ब्लॉक के ग्रामीणों से जब एक एक करके पूछना शुरू किया तो ग्रामीण भी अपनी बातें खुलकर रखते हुए नजर आए अमूमन ऐसा पूर्व में नहीं होता रहा है। पहले यही ग्रामीण बोलने के लिए तैयार नहीं होते थे निश्चित रूप से 2017 के सत्ता परिवर्तन के बाद कहीं न कहीं इन ग्रामीणों का हौसला बढ़ा है और उन्होंने सच्चाई को बयां करना शुरू किया है।
हालांकि आपको बताते चलें कि समाजवादियों ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि समाजवादी ही विकासवादी है और इस क्षेत्र का विकास हम ने ही किया है तो आखिर कैसे यह समाजवादी पार्टी का गढ़ बना और मौजूदा समय में कैसे यह गढ़ कमजोर हो सकता है। इस पर भी चर्चा करते हैं, इन ग्रामीणों से और आपको उन्हीं के चर्चा को विस्तार से बताने की कोशिश करते हैं।
सैफई की बात हो और सैफई महोत्सव की चर्चा ना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के सजातीय एक व्यक्ति ने कहा मुलायम परिवार अब क्यों नहीं सैफई महोत्सव करवाता है जब तक सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ सफाई महोत्सव में फिल्मी सितारों को लाकर यहां नचवाया जाता था। सत्ता हाथ से जाते ही सैफई महोत्सव की हवा निकल गई। हालांकि हमारी मीडिया टीम सैफई दौरे पर चुनावी माहौल का पता लगाने गई थी तो हम इतने हल्के मुद्दे पर बात नहीं कर सकते थे क्योंकि यह बातें तो प्रदेश की जनता पहले से ही जानती है बातें इससे आगे हुई और जो आपको चौंकाने के साथ-साथ आपके कान भी खड़े कर देगी।
ब्लॉक सैफई अंतर्गत बरौली कला गाँव के एक उदाहरण से समझते हैं। इसी गांव के समाजवादी पार्टी के एक पूर्व विधायक जिनके परिवार का इस गांव की प्रधानी पर वर्चस्व था। लेकिन मौजूदा योगी सरकार में हुए ग्राम पंचायत के चुनाव में इस बार भाजपा समर्थित उम्मीदवार की विजय ने तस्वीर को काफी हद तक साफ कर दिया ग्रामीणों के अनुसार इतना ही नहीं आसपास के कई गांव के ग्राम प्रधान भाजपा समर्थित ही हुए इस बार। नहीं तो इन गांव के प्रधानी पर समाजवादी पार्टी के समर्थित ही अब तक प्रधान होते आए।
ग्रामीणों के अनुसार इस पूरी जसवंत नगर विधानसभा में 172 ग्राम पंचायतें हैं। और इस बार 140 ग्राम पंचायतों के प्रधान समाजवादी विचारधारा के खिलाफ वाले लोग निर्वाचित हुए हैं। गांव वालों ने यहां तक कहा कि यहां जब जब ग्रामीणों को मौका मिला है यहां मुलायम परिवार की हार हुई है। आरोप बेहद गंभीर लगे और ग्राम वासियों ने यहां तक कह डाला कि बूथ लूट लिए जाते थे। नहीं तो यही मुलायम सिंह यादव 1967 में चुनाव हार गए थे। किसी की हिम्मत नहीं होती थी मुलायम परिवार के ऊपर उंगली उठाए अब यह आरोप कितना सही है यह तो जांच का विषय हो सकता है लेकिन आखिर में जांच करेगा कौन राजनीति तो ऐसे ही चलती रहेगी आइए कुछ और कड़ियां है आपको उससे भी हम रूबरू करवाते हैं।
हालांकि 1967 में जसवंत नगर की इसी सीट पर चौधरी विशंभर सिंह ने मुलायम सिंह यादव को चुनाव में पटखनी दी था। हालांकि उस समय मुलायम परिवार इतना रसूखदार नहीं था।
जसवंत नगर सीट पर 1980 में ग्रामीणों को जब मौका मिला तो बलराम सिंह कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में यहां से विजई हुए थे।
2010 की बसपा सरकार में जिला पंचायत के एक मामूली साधारण चुनाव में शिवपाल यादव के पुत्र अंकुर यादव उर्फ आदित्य चुनाव हार गए थे।
जसवंत नगर के विधानसभा सीट के नागरिकों ने कहा है कि योगी सरकार और गुंडई दोनों विलोम शब्द हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार पर उनके भरोसे को देख कर तो ऐसा लगता है कि इस बार मुलायम परिवार के लिए राहें इतनी आसान नहीं होंगी।
ग्रामीणों ने तो यहां तक कहा कि पिछले 5 साल में योगी सरकार का बुलडोजर जो इलाहाबाद तक पहुंचा है अगले 5 सालों में यह सैफई तक पहुंच जाएगा। और यह मुलायम कुनबा पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगा।
ग्रामीणों ने मुलायम परिवार पर बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मुलायम परिवार ने हजारों बीघा जमीन घेर कर अपने कब्जे में ले रखा है। सरकार उनको भी कब्जे से मुक्त करा कर गरीब ग्रामीणों के साथ न्याय करें।
मुलायम सिंह यादव के सजातीय एक व्यक्ति ने यहां तक कहा कि अभी गैर यादव बिरादरी के लोगों को कुछ दिनों पहले ही बुरी तरह पीटा गया।
पंचायत चुनाव के बाद रनूवा भावू न्याय पंचायत में एक व्यक्ति की पीटकर हत्या कर दी जाती है जो प्रधानी के चुनाव की रंजिश को लेकर हारने के बाद यह बड़ी घटना सामने आई। कुछ दिनों तक इस पर कार्यवाही नहीं हुई लेकिन सरकार के सख्त तेवर के कारण एक दरोगा के ऊपर कार्रवाई करते हुए दलित को इंसाफ मिला।
ग्रामीणों ने बताया है कि मुलायम सिंह यादव की सरकार में पीटने वाला व्यक्ति पिटने वाले व्यक्ति से पहले थाने में पहुंचकर चाय पीता हुआ मिलता था। चाचा का फोन पहुंच गया भतीजे का फोन पहुंच गया ऐसी सरकार से हम न्याय की क्या उम्मीद कर सकते हैं।
जसवंत नगर विधानसभा सीट के ग्रामीणों ने एक बेहद ही चौंकाने वाला आरोप लगाया कहा कि इस क्षेत्र की जनता अपनी सुंदर बेटियों को कैसे रख पाई यह तो यहां के लोग ही जानते होंगे।
हालांकि हमारे चैनल और समाचार पत्र के पास इस बात का कोई प्रमाण नहीं है। और ना ही हम इनके द्वारा लगाए गए कुछ बेहद गंभीर आरोप की सत्यता पर दावा कर सकते हैं।
लेकिन जिन राजनीतिक विषयों को उठाया गया है उसमें चुनाव से संबंधित कुछ बातें तो सत्य है और रिकॉर्ड में हैं।