विवेक जायसवाल की रिपोर्ट
अतरौलिया आजमगढ़ बता दें कि अतरौलिया विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी द्वारा निषाद पार्टी के प्रशांत सिंह को प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी से टिकट की उम्मीद लगाए कुछ भाजपा के वरिष्ठ ही अंदर खाने पार्टी प्रत्याशी का विरोध कर रहे हैं जिसके कारण एनडीए गठबंधन की निषाद पार्टी उम्मीदवार प्रशांत सिंह के सामने अपनों से ही भितरघात की संभावना नजर आ रही है।
बता दे कि राजनीति की पिच पर गैरों से अधिक अपनों से ही खतरा होता है।
बता दे कि पिछले 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी संग्राम यादव 74276 मत प्राप्त करके विजयी हुए थे वही भाजपा प्रत्याशी कन्हैया लाल निषाद 71809 वोट प्राप्त करके समाजवादी पार्टी को उसी के गढ़ में कड़ी टक्कर देते हुए दूसरे स्थान पर काबीज हुए थे। यहां यह बताना जरूरी है कि अतरौलिया विधानसभा क्षेत्र में राजनीति के चालक के माने जाने वाले पूर्व मंत्री बलराम यादव का दबदबा 1973 से कायम है समाजवादी पार्टी के इस मजबूत किले को भेदने में केवल बसपा दो बार सफल हुई है। पहली बार अतरौलिया विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी समाजवादी पार्टी को उसके गढ़ में सीधी टक्कर देते हुए दूसरे स्थान को प्राप्त हुए थे और भारतीय जनता पार्टी अपने 30,000 वोटों टो से लगभग ढाई गुणा छलांग लगाते हुए दूसरे स्थान को प्राप्त हुई थी। लोगों को यह विश्वास था कि भारतीय जनता पार्टी से फिर इस बार कन्हैयालाल निषाद ही प्रत्याशी होंगे या पार्टी किसी पिछड़ी जाति के निषाद राजभर या वैश्य समाज का कोई प्रत्याशी लाकर एक बार फिर समाजवादी पार्टी को उसके गढ़ में कड़ी चुनौती पेश करेगी। वैसे विश्वस्त सूत्रों की माने तो कन्हैयालाल निषाद के प्रत्याशी आने की उम्मीद से सपा प्रत्याशी को अपनी सीट पर खतरा नजर आने लगा था जो अब टेंसन मुक्त हो गए होंगे।
वैसे एनडीए गठबंधन सपा और बसपा तीनों प्रत्याशियों के चेहरे साफ होने पर निश्चित ही अब यह लड़ाई त्रिकोणीय होने की उम्मीद बन गई है। इस चुनावी जंग में जहां एक तरफ सपा प्रत्यासी संग्राम यादव अपने कार्यकाल में अपने द्वारा कराए गए विकास के कार्यों तथा अपने विधायक निधि से लोगों की गंभीर बीमारियों में की गई मदद के बल पर अतरौलिया विधानसभा से हैट्रिक लगाने के चक्कर में हैं, वही एनडीए गठबंधन के निशाद पार्टी से प्रत्याशी प्रशांत सिंह प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किसानों को दी जाने वाली सम्मान निधि, प्रधानमंत्री आवास योजना में बिना भेदभाव के हर वर्ग को प्रधानमंत्री आवास योजना आदि कार्यों को ले कर तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ द्वारा प्रदेश को गुंडा मुक्त दंगा मुक्त सुशासन एवं सबका साथ सबका विकास को ले कर लोगों से अपने पक्ष में मतदान करने की अपील करते हुए चुनावी जंग को फतेह करने का प्रयास कर रहे हैं तो वहीं बसपा प्रत्यासी डॉक्टर सरोज पांडे अपनी साफ-सुथरी एवं मिलनसार छवि तथा बसपा कैडर को लेकर एक बार फिर अतरौलिया विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी के बैनर तले जीत का दावा कर रहे हैं।
बता दे की इस बार के विधानसभा चुनाव में कौन किस पर भारी होगा यह तो भविष्य के गर्त में छिपा हुआ है राजनीति का उंट कब किस करवट बैठ जाए यह तो कहा नहीं जा सकता किंतु अतरौलिया विधानसभा में हमेशा जातीयता का समीकरण हावी रहता है। जो इस बार भी चरम पर होगा। जो भी प्रत्यासी जातीय समीकरण को साधने में सफल होगा जीत उसी की होगी। किंतु जैसे-जैसे चुनाव की तिथि नजदीक आती जा रही है लोगों में ठंड के इस माहौल में भी चुनावी पारा गरम होता जा रहा है और अपनी अपनी पार्टी तथा प्रत्याशी के समर्थक अपने-अपने गणित से अपने प्रत्याशी को अभी से विजयी घोषित करने में लगे हुए हैं।
वरिष्ठ संवाददाता विवेक जायसवाल की रिपोर्ट 9452717909