उज्जवल भविष्य का आधार बच्चें के शुरुआती दिन हजार
✍️सुमित मिश्रा
कन्नौज । बच्चों के लिए गर्भावस्था से लेकर दो साल तक का समय उनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था होती है। इसी दौरान बच्चों के संपूर्ण स्वास्थ्य ,मानसिक और शारीरिक विकास का आधार तैयार होता हैं। जो पूरे जीवन बच्चों के काम आती है | यह कहना है एसएनसीयू (सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट) प्रभारी व बाल रोग विशेषज्ञ डा.सुरेश यादव का।
डा. यादव बताते हैं कि पहले एक हजार दिन बच्चे के जीवन की आधार शिला होते हैं। हमें नहीं सोचना चाहिए कि बच्चा जब दुनिया में आएगा तब ही उसके खान-पान पर ध्यान देना है। बल्कि यह ध्यान रखें कि बच्चा जिस दिन से मां के गर्भ में आता है। उसी दिन से उसका शारीरिक मानसिक विकास होना प्रारंभ होने लगता है। उन्होंने बताया गर्भावस्था के दौरान मां को आयरन, फोलिक एसिड युक्त भोजन व संतुलित आहार का सेवन कराना चाहिए। जिला पोषण विशेषज्ञ कुसुम देवी बताती हैं कि प्रसव के बाद छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराना चाहिए तथा छह माह के बाद बच्चे को स्तनपान के साथ कम से कम दिन में दो से तीन बार ऊपरी आहार भी चम्मच से खिलाये ताकि बच्चें को आदत पड़ सके। शुरू-शुरू में बच्चा थूकेगा पर ऐसे ही सीखना शुरू करेगा। पूरक आहार न लेने से बच्चा इसी उम्र से कुपोषित होना शुरू हो जाता हैं। बच्चे को एनीमिया, विटामिन ए की कमी, जिंक की कमी हो सकती है। उन्होंने बताया कि एक शिशु के विकास के 1000 दिनों का विभाजन शिशु के जन्मसे दो साल तक के लिए होता है। इसमें 270 दिन यानी 9 महीने तक गर्भावस्थां के दौरान पोषण तथा दो साल यानी 730 दिनों के लिए विकास की विभिन्न प्रक्रियाओं के दौरान पोषण का होता है।जिसमें हम बच्चे व माँ को सही समय व सही पोषण प्रदान कर उसे एक स्वस्थ व खुशहाल जीवन दे सकते हैं। कुपोषण का एक चक्र होता है और इस चक्र को तोड़ना अत्यंत आवश्यक है। एक कुपोषित बच्चे मे सही समय पर कुपोषण की पहचान और सही निदान बहुत महत्त्वपूर्ण है, ताकि कुपोषण से बच्चे पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को रोका जा सके और समय रहते बेहतर इलाज किया जा सके । गर्भावस्था के दौरान क्या करना चाहिए
गर्भावस्था की जानकारी होने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर पंजीकरण कराना चाहिए। नियमित जांच व पौष्टिक व संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए। एएनएम ,आशा व आंगनबाड़ी केन्द्रों पर स्तनपान,पोषण आहार आदि के संबध में जानकारी लेनी चाहिए। चिकित्सक द्वारा दिए गए परामर्शों का पालन करना चाहिए।