हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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दिल के व पात्र व्यक्ति दो टीके और बूस्टर डोज जरूर लगवाएं।
रोहतक :- वायरल संक्रमण दर में 13 गुना वृद्धि और डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले तीन गुना अधिक संक्रामक होने के कारण ओमिक्रॉन को वैसे मरीज हल्के में नहीं ले सकते हैं जो दिल के रोगी हैं। आम तौर पर यह संक्रमण बुखार, गले में सूजन, कफ और सर्दी जैसे लक्षण से शुरू होता है और सामान्य कफ खांसी की तरह ही होता है जो तीन से 5 दिन तक रहने के बाद कम होने लगता है लेकिन दिल के मरीजों को प्रभावित करने की क्षमता इसमें ज्यादा होती है। जो लोग कोविड 19 से उबर चुके हैं उन्हें सांस उखड़ने या सीने में दर्द जैसे लक्षणों से तत्काल बचाव करना चाहिए। वायरल संक्रमण के कारण ये एक्यूट हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं।
दिल के रोगियों में कोविड 19 के कारण मृत्यु का खतरा 11.6 गुना अधिक रहता है। डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी अन्य बीमारियों के कारण यह खतरा 8 गुना अधिक हो जाता है क्योंकि उनमें इम्युनिटी बहुत कम होती है और बढ़ती उम्र के साथ उनके शरीर में इनफ्लेमेशन से निजात पाने की रफ्तार कम रहती है जिनमें वायरल मायोकार्डिटिस भी कुछ हद तक जिम्मेदार माना जाता है। दुनिया के शोधकर्ताओं ने साबित किया है कि कोविड संक्रमण से संक्रमित होने के एक साल बाद भी कार्डियक रोग में बना रह सकता है।
देखा गया है कि कोविड जांच में ओमिक्रॉन वैरिएंट की पहचान बहुत कम ही हो पाती है और विशेष कोविड लक्षणों के बावजूद कई मरीज जांच में निगेटिव पाए जाते हैं जिस कारण उनकी डायग्नोसिस में देरी हो जाती है, अधिक गंभीर क्लीनिकल रोग होते हैं, अस्पताल में ज्यादा देर उन्हें रहना पड़ जाता है और इस वजह से संक्रमण प्रसार का खतरा अधिक रहता है।
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में नॉनइनवेसिव कार्डियोलॉजी के निदेशक एवं प्रमुख डॉ. विनायक अग्रवाल बताते हैं, ‘सामान्य क्लीनिकल स्थितियां बिना लक्षण वाले या हल्का बुखार, कफ, गले में सूजन, अस्वस्थता, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, रात में पसीना आना, मितलाहट, उल्टी, डायरिया, सूंघने की शक्ति खत्म होना या डिस्गेसिया आदि होते हैं लेकिन सांस उखड़ने की शिकायत के बगैर सिर्फ लक्षण वाला इलाज ही कराया जाता है। इस तरह के खतरे के निशान वाले खास तौर पर दिल के मरीजों को तत्पर चिकित्सा की जरूरत पड़ती है जिनमें अचानक सांस उखड़ना, कंठशूल, असामान्य कंपकंपी पाई जाती है। हालांकि आंशिक से गंभीर बीमारी के जिन मरीजों में क्लीनिकल लक्षण या छाती के एक्सरे या सीटी रेडियोलॉजी से सांस की पुरानी बीमारी का पता चलता है और उनमें आक्सीजन सैचुरेशन (एसपीओ2) 94 या इससे कम पाया जाता है और घर की हवा में सांस लेने में दिक्कत आती है, उनमें ये सब खतरे के निशान माने जाते हैं और ऐसे मरीजों में सांस लेने की गंभीर समस्या, सेप्टिक शॉक और/या कई अंगों के कमजोर पड़ने की समस्या हो सकती है।
हालांकि मौजूदा ओमिक्रॉन कोविड वैरिएंट जारी टीकाकरण के कारण इम्युनिटी पर बहुत असर न करे, लेकिन टीकों के कारण गंभीर बीमारी, अस्पताल ले जाने और मौत की दर में कमी देखी गई है। सभी पात्र व्यक्तियों को दो टीके और बूस्टर डोज जरूर लगा लेना चाहिए। यदि कोविड पॉजिटिव हैं और बुखार 5 दिन बाद भी बिगड़ते लक्षणों के साथ बना रहता है तो तत्काल चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए और इमरजेंसी में दिखाना चाहिए। दिल की बीमारी से जुड़ीं खून पतला करने वाली, एंटी हाइपरटेंशन जैसी दवाएं कभी छोड़नी नहीं चाहिए।