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कुरुक्षेत्र,16 फरवरी :- खेड़ी मारकंडा स्थित डी डी कॉलोनी के तिरूपति बाला जी मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में कथावाचक अवध गोपाल दास (वृंदावन) ने श्रीकृष्ण रुकमणी विवाह प्रसंग विस्तार से सुनाया। इस मौके पर श्री कृष्ण-रूक्मिणी की झांकी दिखाई गई।मुख्य यजमान मंदिर के संचालक स्वामी जनार्दन दास और अन्य भक्तों ने भागवत पूजन करके कथावाचक को तिलक लगाया।प्रवचनों में अवध गोपाल दास ने कहा कि धर्म पुराणों में 8 प्रकार के विवाहों का उल्लेख मिलता हैँ, जिनमें ब्राह्म विवाह सर्वश्रेष्ठ है।ब्राह्म विवाह द्वारा जो संतान उत्पन्न होती है, वही संतान पितरों को गति प्रदान करने वाली होती है।उन्होंने विशेषतौर से बताया कि जो लडक़ा-लडक़ी अपने माता पिता की इच्छा के विरुद्ध मनमाना विवाह करते है,वह उनके पितरों को अधोगति प्रदान करता है और संतान में भी वर्ण संकर आता है।यह विवाह राक्षस विवाह कहलाता है।इसलिए माता-पिता की इच्छा से गुरुजन, ब्राह्मण एवं अग्नि को साक्षी मानकर विवाह करना चाहिए। यही ब्राह्म विवाह कहलाता है। इससे समाज में भी वर-वधू का सम्मान बढ़ता है और यही भारतीय परंपरा है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी अग्नि परिक्रमा करके सभी बंधु-बांधुओं के समक्ष ब्राह्म विवाह किया। गायकों द्वारा सुुनाए गए भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे और जय जय श्री राधे का पवित्र उद्घोष किया।भागवत आरती में संदीप अवस्थी, बृजमोहन, सोहन राणा, राजपाल, धर्मपाल शर्मा,सुभाष गुप्ता, विष्णु अग्रवाल, आरती गर्ग, भविष्य लाल और सुनील सोनी सहित अन्य कॉलोनीवासी शामिल रहे।