मिलाकर सात रंगों को वफ़ा का नाम लिखना है,
वरक पे दिल के होली का यही पैगाम लिखना है!
जलाकर सारी नफरत की यहां पर होलिका यारों,,
बनारस की सुबह लिखूं अवध की शाम लिखना है!!
० घोसी के सिपाह इब्राहिमाबाद में आयोजित हुई काब्य संध्या
० शायरों व कवियों ने अपनी रचनाओं से बांधा समां
घोसी (मऊ)। घोसी ब्लाक की बड़ी ग्राम पंचायतों में शुमार सिपाह इब्राहिमाबाद बाज़ार में शनिवार की देर शाम श्रीनिवास जायसवाल की अध्यक्षता व शन्नू आज़मी के संचालन में एक काब्य संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें दर्जनों शायरों व कवियों ने अपनी सुमधुर आवाज़ में अपने गीतों व रचनाओं के माध्यम से आपसी सौहार्द व भाईचारे का संदेश देकर श्रोताओं से खूब वाहवाही लूटी। काब्य संध्या का शुभारंभ पूनम श्रीवास्तव की सरस्वती बन्दना व खैरुल बशर की नाते पाक से हुआ।
सलमान घोसवी ने अपनी रचना
मिलाकर सात रंगों को वफ़ा का नाम लिखना है,
वरक पे दिल के होली का यही पैगाम लिखना है!
जलाकर सारी नफरत की यहां पर होलिका यारों,,
बनारस की सुबह लिखूं अवध की शाम लिखना है!!
प्रस्तुत कर आपसी सौहार्द व भाईचारे का संदेश दिया तो सुप्रसिद्ध कवयित्री पूनम श्रीवास्तव ने अपनी रचना
दर्दों ग़म का सिला नहीं देती, जो ख़ता हो सज़ा नहीं देती!
अपनी औलाद चाहे जैसी हो, मां कभी बददुआ नहीं देती!!
सुनाकर मां और बेटे के रिश्ते के मर्म को समझाया। अबरार घोसवी ने अपनी ग़ज़ल
हमने तो निशाने पर रख दिया है दिल अपना,
आप चूक जाएं ना तीर आज़माने में,,
पेशकर युवाओं को गुदगुदाते हुए वाहवाही बटोरी तो खैरुल बशर ने अपनी रचना
मसाएब जो ये हम पे आये हुए हैं,
वो अपने अमल के कमाए हुए हैं,,
पेशकर संवेदनशील शायरी को ऊंचाई प्रदान की। कवि मिलन चौरसिया ‘साहिब’ ने अपनी रचना
उनके चेहरे से जो मुस्कान चली जाती है!
मेरी दौलत मेरी पहचान चली जाती है!! प्रस्तुत कर मार्मिक शायरी का उदाहरण प्रस्तुत किया। इन कवियों व शायरों के अलावा तारिक घोसवी, विपिन बिहारी पाठक, एनाउंसर ताज, ओबैदुल्लाह आज़मी, शिवम दुबे आदि ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर मौजूद श्रोताओं की खूब वाहवाही बटोरी।
अंत में जहां इस काब्य संध्या के संयोजक रेवतीरमण पांडेय ने सभा आगंतुकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया वहीं इन शायरों व कवियों की हौसला अफजाई के लिए जनपद की प्रथम लोकपाल विनीता दीक्षित पांडेय, वरिष्ठ अधिवक्ता सुधाकर राय, ग्राम प्रधान रामनाथ यादव, ज़्याउद्दीन खान, अरविंद कुमार पांडेय, मुंशी रशीद अहमद, अजय दुबे, सुशील चौबे, आदित्य पांडेय, वीरेंद्रनाथ पांडेय, शकील आज़म सिद्दीकी आदि लोग पूरे समय मौजूद रहे।