हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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शक्तिर्शक्तिर्मतो स्थिता।
न शिवा विना शक्ति न शक्ति शिवा विना।।
पानीपत :- आयुर्वेदिक शास्त्री हॉस्पिटल के संचालक एवं उतरभारत के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य डा. महेंद्र शर्मा ने आज शिवरात्रि के पर्व पर रात्रि को दुर्लभ कल्याणकारी योग के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि भगवान शिव और शक्ति एक दूसरे के पूरक हैं। शिव अर्थात कल्याण शक्ति के बिना सम्भव नहीं है और यदि शक्ति हो परन्तु हृदय में कल्याण के भाव न हो मनुष्य पशुवत निरंकुश बेलगाम वृति का हो जाता है और किसी नियम और धर्म का पालन नहीं करता जिससे कल्याण सम्भव नहीं होता। यह शिव और शक्ति के समन्वय का एक अनूठा योग श्री महाशिवरात्रि के पावनावसर भगवान शिव जी के आदिशक्ति के वरण विवाहोत्सव पर योग आ रहा है।
हम भाग्यशाली हैं कि हमारे जीवन में यह “ॐ नमः शिवाशिवाय योग” 32 वर्षों के पश्चात घटित हो रहा है। आप श्री महा शिवरात्रि की पावन रात्रि को चतुर्थ रुद्राभिषेक करें। रात्रि 12/55 बजे तक चतुर्दशी रहेगी। इसके पश्चात रात्रि 3/47 बजे शतभिषा नक्षत्र का अमावस्या तिथि में आगमन होगा जो सूर्योदय तक व्यापत रहेगा।
डा. महेंद्र शर्मा ने धर्म में आस्था रखने वाले व्यक्तियों से निवेदन किया कि आप इस सुयोग का सदुपयोग करके पुण्यलाभ अर्जित करें।
उन्होंने बताया की इस योग में आपने क्या कार्य करना है ?
सर्वप्रथम रात्रि को 12/55 तक श्री रुद्राभिषेक करें।
तदन्तर आप गूगल से श्री दुर्गाष्टोत्तरशतनाम स्त्रोत को डाउनलोड कर लें या श्रीगीता प्रेस की श्री दुर्गाशप्तशती पुस्तक लें, पुस्तक में यह सबसे पहले वर्णित है। इस स्त्रोत को इस प्रकार भोजपत्र पर लिखें।
आपको श्री श्री दुर्गाष्टोत्तरशतनाम स्त्रोत शिवरात्रि के दिन मंगलवार और बुधवार की रात्रि अर्थात 1और 2 मार्च 2022 को मध्यरात्रि में प्रातः 3/47 बजे से सूर्योदय के मध्य लिखना है।
मसि (स्याही) कैसे बनाएं ?
आप अष्टगंध पाऊडर लेकर उसमें कुमकुम कर्पूर गोरोचन सिन्दूर शहद चीनी मिला कर दूध और गंगाजल से स्याही बना लें जिससे कि लिखा जा सके। इसी औषधियुक्त अष्टगन्ध मिश्रण में दशांग धूप को जला कर उसकी ज़रा सी भस्म भी इस में मिला लें (क्योंकि इस दशांग धूप में लाक्षा होती है जो जल में घुलनशील नहीं है।) तदन्तर आप अनार की कलम से इस सिद्ध स्त्रोत को भोजपत्र पर लिखें , इसके लिखनें से धन धान्य सम्पदा ऐश्वर्य भूमि वाहन मकान सन्तति पद विवाह, समस्त अभिलाषित कामनाएं और सुख प्राप्त होते हैं। इस स्त्रोत लेखन से समस्त रोग दोष अभाव वास्तुदोष पितृदोष देवदोष श्राप और समस्याओं का निदान होता है।
आचार्य डॉ. महेन्द्र शर्मा “महेश” शास्त्री वैदिक ज्योतिष संस्थान विप्र समन्वय जगद्गुरु सेवा समिति पानीपत द्वारा जनकल्याण और अध्यात्म प्रसार और सेवार्थ हेतु प्रकाशन।