चमोली आपदा: सैलाब में बह गया पति,तीन माह पहले हुई थी शादी, अब बदहवास होकर भटक रही मधुमिता
प्रभारी संपादक उत्तराखंड
सागर मलिक
ऋषि गंगा के सैलाब ने कोलकाता की मधुमिता की दुनिया ही उजाड़ कर रख दी है। तीन महीने पहले ही लालू और मधुमिता की शादी हुई थी। लेकिन अब काल के गाल में समाया लालू मधुमिता को बेसहारा छोड़कर चला गया है। लालू कोलकाता निवासी था और तपोवन परियोजना में मजदूर सप्लायर था। बीते वर्ष नवंबर माह में कोलकाता में शादी करने के बाद पत्नी मधुमिता को भी वह तपोवन ले आया था।
दोनों हंसी-खुशी से रहते थे। ऋषि गंगा में आई बाढ़ के दौरान लालू तपोवन बैराज के समीप ही था और देखते ही देखते मलबे में बह गया। जब मधुमिता को लालू के बह जाने की सूचना मिली तो वह बदहवास होकर गिर पड़ी। जब उसे होश आया तो रोती-बिलखती मधुमिता तपोवन बैराज के आसपास लालू को खोजने चली गई।
कुछ स्थानीय लोगों ने उसे ढांढस बंधाया कि लालू मिल जाएगा, लेकिन एक सप्ताह से मधु बैराज और सुरंग साइट अपने पति की खोज में भटक रही है। मधु का देवर व परिजन भी कोलकाता से तपोवन पहुंच गए हैं और उसकी खोज में लगे हैं।
सुरंग में फंसे तपोवन गांव के 24 वर्षीय अभिषेक की बढ़ी बहन पूजा कहती है कि मेरा भाई सुरंग से बचकर आएगा। सुरंग का मलबा हटाने में देरी नहीं करनी चाहिए और यह कहकर पूजा का गला भर जाता है और वह रोने लगती है। अभिषेक तपोवन परियोजना में इंजीनियर था। आपदा के बाद से उसकी मां पीतांबरी देवी के आंसू नहीं थम रहे हैं। वह चारपाई से उठ भी नहीं पा रही हैं। जबकि पिता ऋषि प्रसाद गुमसुम हैं। 7 फरवरी को आई ऋषि गंगा की जल प्रलय को एक सप्ताह का समय हो गया है, लेकिन सुरंग में फंसे लोगों के परिजनों को अभी भी अपनों के सुरक्षित बाहर आने की उम्मीद है।
मिर्जापुर का जयकिशन परियोजना में फोरमैन के पद पर कार्यरत था। वह भी सुरंग में ही फंसा हुआ है। लापता भाई की खोज में विजय बाबू और साला उदय राज पिछले सात दिनों से जयकिशन के सुरंग से बाहर आने की राह देख रहे हैं। विजय ने बताया कि जयकिशन को अक्तूबर माह से वेतन नहीं मिली थी। वेतन मिलने पर इसी फरवरी में घर आने के लिए कहा था। लेकिन उसे क्या पता था कि जिस सुरंग में काम कर वह अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए मेहनत कर रहा है, वहीं सुरंग उसकी जिंदगी को कैद कर देगी।