सविता को दिव्यांगता नहीं कर सकी कमजोर

जांजगीर-चांपा 09/03/2022/ सविता ने कभी दिव्यांगता को अपने बढ़ते हौंसलों के आगे आने नहीं दिया, बल्कि उसे पछाड़ते हुए अपने कदमों को आगे बढ़ाया। बचपन में उन्हें तीन साल की उम्र ही पोलियो ने जकड़ लिया था, जिससे वह एक पैर से चलने से लाचार हो गई। बचपन में उन्होंने कठिनाईयों का सामना किया और उन्होंने इस कठिन परिस्थितियों को कड़ी चुनौती देते हुए पढ़ाई को जारी रखा, यह पढ़ाई उन्हें बहुत काम आई और वे महात्मा गांधी नरेगा में महिला मेट के रूप में नियुक्त हुई।
अकलतरा विकासखण्ड की ग्राम पंचायत पकरिया झूलन की रहने वाली सुश्री सविता यादव के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। महज दो एकड़ जमीन में सात भाई-बहन का गुजारा मुश्किल से हो पाता था। ऐसे में कि सविता जो सबसे छोटी थी उसको शिक्षा दिला पाना संभव नहीं था ऊपर से सविता को पोलियो हो जाने से परिवार को और तोड़कर रख दिया। लेकिन कहते हैं कि अगर उम्मीद और विश्वास हो तो सब मुश्किलें आसान हो जाती है ऐसी ही सविता हैं जो बचपन से ही कुछ अलग करने का मन बना के चल रही थी, इसलिए उन्होंने शिक्षा को ही अपना हथियार बनाया और बेहतर पढ़ाई की। सविता की पढ़ाई में रूचि को देखते हुए परिवार ने भी साथ देना शुरू कर दिया तो सविता ने बीएससी की पढ़ाई पूरी कर ली। पढ़ाई पूरी होते ही उसे ग्राम रोजगार सहायक के माध्यम से जानकारी मिली कि महात्मा गांधी नरेगा में महिला मेट को नियुक्त किया जाता है। पूरी जानकारी लेने के बाद मेट के पद पर आवेदन दिया, ग्राम पंचायत में अनुमोदन होने के बाद अप्रैल 2021 से सविता ने मेट का काम देखना शुरू कर दिया। रोजगार सहायक, तकनीकी सहायक ने मेट के कार्यों के संबंध में प्रशिक्षण दिया तो सविता बेहतर मेट का काम करने लगी। धीरे-धीरे वह गोदी नापने से लेकर मस्टर रोल, सात पंजी संधारण, नागरिक सूचना पटल निर्माण, वर्क फाइल को संधारित करने लगी। गुड गर्वनेंस की सारी गतिविधियों का अध्ययन किया। नया तालाब निर्माण कार्य कराने का काम हो या फिर मुक्तिधाम में सीपीटी निर्माण तो वहीं उन्होंने गोठान में सीपीटी का कार्य कराया और वर्तमान में मिट्टी सड़क निर्माण कार्य करा रही हैं। वे बताती हैं कि उनके परिवार की मनरेगा को लेकर गहरा लगाव है, इसलिए पूरे परिवार जिसमें पिता श्री महेश यादव एवं माता श्रीमती रम्भा यादव ने मिलकर 150 दिवस का रोजगार प्राप्त किया है। सुश्री सविता बताती हैं कि मुश्किलों से लड़कर आज जिस मुकाम पर पहुंची हूं उससे परिवार को आर्थिक रूप से मदद कर रही हूं, तो दूसरी ओर मेट के रूप में मिलने वाली राशि से पीजीडीसीए का कोर्स कर रही हैं।
दिनांक-08.03.2022 मुख्य कार्यपालन अधिकारी

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