सपा के राकेश ने जीत हासिल कर जमाई धाक
अंबेडकरनगर। लगभग एक दशक के ब्रेक के बाद जलालपुर सीट से चुनाव जंग में उतरे पूर्व सांसद राकेश पांडेय ने सपा प्रत्याशी के बतौर दमदार जीत हासिल की धाक जमाई है। वर्ष 2002 में जलालपुर से विधायक रहे राकेश पांडेय ने जलालपुर सीट अपने बेटे रितेश पांडेय के लिए छोड़ी थी। रितेश के विधायक बनने तथा इस्तीफा देकर सांसद चुने जाने के बाद से राकेेश पांडेय ने चुनाव मैदान से किनारा कस लिया था। इस चुनाव में भी वह मैदान में नहीं उतरना चाहते थे लेकिन अपने एक सहयोगी का टिकट कटने के बाद बदली हुई स्थिति में उन्होंने बसपा से त्याग पत्र देकर सपा का टिकट हासिल कर चुनाव मैदान में ताल ठोकी और दमदार जीत हासिल कर राजनीति क्षेत्र का कुशल खिलाड़ी होने का एहसास सभी को कराने में कामयाब रहे।जलालपुर विधानसभा का चुनाव अत्यंत रोमांचक रहा है। पिछला चुनाव लड़ने व लड़ाने वाले प्रमुख नेता इस बार दलीय निष्ठा बदल कर चुनाव मैदान में आमने सामने दिखे। बसपा से अपने खास सहयोगी रिंकू उपाध्याय का टिकट कटने से आहत पूर्व सांसद राकेश पांडेय ने रिंकू व अन्य के साथ सपा का दामन थाम लिया। वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में राकेश के पुत्र रितेश ने बसपा के टिकट पर विधायक बनने की सफलता हासिल की थी।
वर्ष 2019 में उनके सांसद निर्वाचित होने के बाद खाली हुई जलालपुर सीट पर सपा प्रत्याशी के तौर पर सुभाष राय विधायक बने थे। इस बार राकेश पांडेय के सपा में शामिल हो जाने के बाद टिकट कटता देख सुभाष ने बीजेपी का दामन थाम लिया। जबकि बीजेपी से पिछला चुनाव लड़ने वाले डॉ राजेश सिंह ने भाजपा को छोड़कर बसपा से टिकट लेकर चुनाव मैदान में ताल ठोकी। राजेश ने 2019 का उपचुनाव भाजपा से लड़ा था। मौजूदा विधानसभा चुनाव में राजेेश ने अन्य दोनों चुनाव के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया।
मतगणना के शुरूआती दौर में पिछड़ने के बाद लंबे समय तक उन्होंने बाजी अपने पाले में किए रखा। हालांकि 14 राउंड की मतगणना पूरी होने के बाद उनके पिछड़ने का क्रम शुरू हुआ, जो अंत तक बना रहा। ऐसे में लगातार तीसरे चुनाव में भी उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। करीब एक दशक तक चुनाव मैदान से दूरी बनाए रखने वाले सपा के राकेश पांडेय ने मतदाताओं पर अपनी मजबूत पकड़ का एहसास करा धमाकेदार जीत हासिल की। जबकि पाला बदलकर चुनाव जीतने की कोशिश करने वाले वर्तमान विधायक सुुभाष राय को करारा झटका लगा।