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जांजगीर-चांपा, 25 मार्च,2022/ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) से जुड़ी स्व सहायता समूह की महिलाएं चावल से मुर्रा, लाई के लड्डू, मुरकू, पापड़, पुगडी आदि बना रही है। समूह के बनाये गए व्यंजनों की मांग गांव-गांव में है, जिन्हें बेचकर समूह की महिलाएं मुनाफा कमा रही हैं और आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं।
जनपद पंचायत सक्ती की ग्राम पंचायत जर्वे की महिलाओं ने मिलकर फरवरी 2019 में गुरू घासीदास स्व सहायता समूह का गठन किया। इसी तरह हमर संगवारी कलस्टर नगरदा सक्ती की समूह की महिलाओं ने सिद्धी समूह नाम से शुरूआत की। इस दौरान उन्होंने पैसा एकत्रित करके आपस एवं गांव के लोगों के लिए कम ब्याज दर पर राशि दी। धीरे-धीरे समूह की महिलाएं स्वरोजगार की दिशा में कदम आगे बढ़ाने का सोचने लगी। उन्होंने गांव में रहते हुए कुछ ऐसा करने का मन बनाया, जो गांव में आसानी से विक्रय किया जा सके। समूह की सभी महिलाओं ने एक दिन बैठक ली और चावल से व्यंजनों को बनाने की सोची। उनकी सोच का नतीजा यह रहा कि एक साल में उन्होंने बेहतर काम करते हुए आसपास के गांव, बाजारों में चावल के व्यंजनों को बनाने के रूप में अपनी पहचान बना ली। बिहान के माध्यम से दोनों समूहों को रिवाल्विंग फंड के रूप में 15 हजार रूपये की राशि प्रदान की गई थी, जिसका उपयोग समूह ने अपने कार्य शुरू करने के लिए किया। व्यापार को और बढ़ाने के लिए बिहान के माध्यम से लोन की मांग की गई है, बैंक लिंकेज होने के बाद जो राशि मिलेगी उससे व्यापार को आगे बढ़ाया जाएगा और स्वरोजगार के साथ आर्थिक रूप से मजबूत बनेंगे।
उत्साह और ऊर्जा के साथ कर रहीं हैं कार्य-
गुरू घासीदास समूह की अध्यक्ष श्रीमती गीतांजलि सोनवानी बताती हैं कि समूह गठन होने के बाद एक नई ऊर्जा के साथ सभी महिलाओं ने काम करना शुरू किया। समूह में प्रभादेवी कुर्रे, अमरौतीन बाई कुर्रे, मंजूलता सोनवानी, संतोषी बाई कुर्रे, कविताबाई कुर्रे, राधाबाई कुर्रे, रथबाई, रूपवती, रामायण बाई ने शुरुआत में कठिनाईयों का सामना किया। कई बार निराशा भी हाथ लगी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी।
चावल की बर्फी की बढ़ी मांग सिद्धी समूह की महिलाएं सुरत्ती, उमा, अदिति, प्रमिला, फूलबाई, खेमबाई, शांतिबाई, तेरसबाई, नोरी, पांचोबाई, सतबाई, ममता काबेरी बताती है कि एक साल पहले जब चावल से मुर्रा, लड्डू, पापड़ आदि का निर्माण करना शुरू किया तो लोगों का उतना अच्छा रिस्पांस नहीं मिला, लेकिन धीरे-धीरे हाट बाजार, आसपास के दुकानदारों ने खरीदना शुरू किया तो फिर यह व्यापार बढ़ने लगा। चावल के व्यंजनों से आज बेहतर मुनाफा कमा रही है। चावल से बनाई जा रही बर्फी की बहुत मांग है, जिसे बहुत पसंद किया जा रहा है।