गुरुकुल में आर्य महासम्मेलन में उमड़ा भारी जनसैलाबवेद बिना मति नहीं और गाय बिना गति नहीं : नायब सैनी

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत बोले-आर्य समाज की संस्थाओं को बचाने हेतु सरकार बनाए नया कानून।

कुरुक्षेत्र,10 नवम्बर : भारतीय संस्कृति में वेद और गाय का विशेष महत्त्व है। हमारे यहां ‘वेद बिना मति नहीं और गाय बिना गति नहीं’ की कहावत प्रचलित है। आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने समाज में व्यापक स्तर पर जहां वेदों का प्रचार-प्रसार किया वहीं गाय के गुणों की व्याख्या करते हुए एक पूरी पुस्तक ‘गोकरुणानिधि’ लिखी और लोगों को गाय की उपयोगिता समझायी। उक्त शब्द आज महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200 वीं जन्म जयंती के उपलक्ष्य में गुरुकुल कुरुक्षेत्र में आयोजित ‘आर्य महासम्मेलन’ में उमड़े भारी जनसैलाब को सम्बोधित करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहे। मुख्यमंत्री समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे जहां पर गुरुकुल के संरक्षक एवं गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने उनका बुके देकर भव्य स्वागत किया। इस अवसर परोपकारी सभा अजमेर के महामंत्री कन्हैयालाल आर्य, आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान देशबन्धु आर्य, महामंत्री उमेद शर्मा, गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग, निदेशक ब्रिगेडियर डाॅ. प्रवीण कुमार, प्राचार्य सूबे प्रताप, उत्तर प्रदेश आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान देवेन्द्रपाल वर्मा, भाजपा नेता एवं पूर्व मंत्री सुभाष सुधा, डीडी शर्मा, सुभाष कलसाना, सुशील राणा सहित विभिन्न स्थानों से पधारे आर्य विद्वान् मौजूद रहे। मंच संचालन वैदिक विद्वान् डाॅ. राजेन्द्र विद्यालंकार द्वारा किया गया।
आचार्य कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि आचार्य देवव्रत ने जीर्ण-क्षीर्ण हालत में इस गुरुकुल की बागडोर संभाली और निःस्वार्थ भाव से एक दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ कार्य करते हुए गुरुकुल को सफलता के शिखर पर पहुंचाया। उन्हीं की कड़ी मेहनत और परिश्रम का परिणाम है कि वर्तमान में गुरुकुल कुरुक्षेत्र देश का एकमात्र ऐसा संस्थान है जहां से हर वर्ष बड़ी संख्या में छात्र एन.डी.ए, नीट, आईआईटी, एनआईटी के लिए चुने जाते हैं। महर्षि दयानन्द जी की 200 वीं जयन्ती पर सभी आर्यजनों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने हमेशा समाज उत्थान का कार्य किया। समाज में फैली पाखण्ड, अंधविश्वास, जात-पात, सती प्रथा जैसी बुराइयों को मिटाकर नारी शिक्षा, विधवा विवाह, आपसी भाईचारा, राष्ट्र प्रेम, गो-रक्षा के प्रति समाज में नई जागृति उत्पन्न की इसलिए स्वामी दयानन्द को समाज के उत्थान के अग्रदूत के नाम से भी जाना जाता है। आर्य समाज की सम्पत्तियों को खुर्द-बुर्द करने और अवैध कब्जों को लेकर मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि वे इस बारे में विचार करके जल्द ही उचित कदम उठाएंगे। महर्षि दयानन्द ने जिस समाज की परिकल्पना की थी, उसके निर्माण में वह सहयोगी बनेंगे।
महासम्मेलन को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती ही पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अंग्रेजी शासन में ‘स्वराज’ का नारा बुलंद किया था। उनकी शिक्षाओं से प्रभावित होकर ही भगत सिंह, सरदार वल्लभ भाई पटेल, राजा राममोहन राज, मदनलाल ढींगरा, स्वामी श्रद्धानन्द जी जैसे वीर सपूतों ने देश की आजादी हेतु अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। अंग्रेजों ने प्राचीन शिक्षा पद्धति को जब लगभग खत्म कर दिया तब स्वामीजी के ही मानसपुत्र स्वामी श्रद्धानन्द जी जैसे महापुरुषों ने गुरुकुल कुरुक्षेत्र, गुरुकुल इन्द्रप्रस्थ, गुरुकुल सूपा आदि अनेक गुरुकुलों की स्थापना कर गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति का विस्तार पर समाज के उत्थान का महत्त्वपूर्ण कार्य किया। इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों का जिक्र करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी सशक्त व्यक्तित्व के धनी है जिनका सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र की उन्नति हेतु समर्पित है। वे भारतीय संस्कृति, युवा पीढ़ी में संस्कार और नैतिक मूल्यों की शिक्षा देकर एक विकसित भारत का निर्माण करना चाहते हैं जिसके लिए देशी गाय पर आधारित प्राकृतिक कृषि के विस्तार हेतु संकल्पबद्ध है।
आचार्य ने कहा कि आज केमिकल और पेस्टीसाइड के दुष्प्रभावों से जहां भूमि बंजर और पानी दूषित हो रहा है वहीं किसान के मित्रजीव विलुप्त हो गये है। यदि इस रासायनिक खेती को किसानों ने नहीं छोड़ा तो आने वाली पीढ़ियों के लिए कुछ शेष नहीं बचेगा। आज हर घर में कैंसर, हार्ट अटैक, बी.पी., शुगर जैसी गंभीर बीमारियों के मरीज हैं। वैज्ञानिकों के परीक्षण में माँ के दूध में भी यूरिया की मात्रा पायी गई है। आज हमारा पूरा खानपान दूषित हो चुका है जिससे मुक्ति का एकमात्र उपाय है प्राकृतिक खेती। जब कि हमारे देश में पूरी तरह से प्राकृतिक खेती शुरु नहीं होगी, इन समस्याओं से छुटकारा संभव नहीं। आचार्य ने बताया कि उनके मार्गदर्शन में गुजरात में 10 लाख से ज्यादा किसान प्राकृतिक खेती अपनाकर सुखद जीवन व्यतीत कर रहे है। प्राकृतिक खेती में खर्च न के बराबर है और मुनाफा तथा उत्पादन बहुत अधिक है। उन्होंने आर्य महासम्मेलन में आए आर्यजनों से भी प्राकृतिक खेती अपनाने का आह्वान किया। मुख्यमंत्री हरियाणा से आर्य समाज की सम्पत्तियों और संस्थानों पर अवैध कब्जे को लेकर उन्होंने नया कानून बनाने की मांग की जिसे सीएम सैनी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। अंत में मुख्यमंत्री ने गुरुकुल की एन.डी.ए. विंग का आचार्य के साथ अवलोकन किया।

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