मनुष्य के कर्म ही समाज में उसका स्थान बनाते हैं : महंत जगन्नाथ पुरी

मनुष्य के कर्म ही समाज में उसका स्थान बनाते हैं : महंत जगन्नाथ पुरी।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

कर्म मनुष्य के अपने होते हैं, उसी का फल उसे प्राप्त होता है : महंत जगन्नाथ पुरी।

कुरुक्षेत्र, 31 जनवरी : श्री मार्कंडेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी में संकल्प अनुष्ठान करवाने के उपरांत अखिल भारतीय श्री मार्कंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी ने कहा कि किसी भी मनुष्य के कर्मों का फल दूसरे को प्राप्त नहीं हो सकता है। जिस मनुष्य ने जो कर्म किए हैं। उन कर्मों का फल उसे ही भुगतना होगा। यही कर्म समाज और दुनिया में स्थान बनाते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन ही कर्मों के लिए होता है। बिना कर्मों के मनुष्य जीवन का कोई अस्तित्व नहीं है। मनुष्य के जीवन की समाप्ति के उपरांत धन, दौलत और संपत्ति कुछ भी साथ जाने वाला नहीं है। मनुष्य द्वारा अपने जीवन में किये गए कर्मों का फल सदैव साथ रहता है। महंत जगन्नाथ पुरी ने कहा कि मनुष्य को इस लिए मान लेना चाहिए कि हमारे कर्म हमेशा संसार के भले के लिए होने चाहियें। यह सृष्टि का भी सत्य है कि कोई भी मनुष्य सच्चे मन और आत्मा से सद कर्म करता है तो अपने आपको भी आत्मिक अनुभूति होती है तथा समाज में सम्मान मिलता है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि आत्मिक संतुष्टि एवं खुशी के लिए सात्विक भोजन करना चाहिए। जैसा अन्न हम ग्रहण करते हैं वैसा ही हमारा तन- मन होता है। उन्होंने कहा कि किसी को दु:ख देकर कमाए गए धन से लक्ष्मी की कृपा हासिल नहीं होती है। पैसा आने के बावजूद मन की शांति खो जाती है। रिश्तों में टकराहट आने लगती है। इन से बचने का एकमात्र उपाय सत्कर्म है। इस अवसर पर सहारनपुर से विजय रत्न, रणवीर सिंह, हरमुख सिंह, दीपकमल, मयूर गिरि, सुक्खा सिंह, नाजर सिंह, संजना शर्मा, नीतिका एवं कृति इत्यादि भी मौजूद थे।
महंत जगन्नाथ पुरी कर्मों का महत्व बताते हुए।

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