श्रावण मास 14 जुलाई 2022 से आचार्य राकेश पांडेय

सावन का पहला दिन 14 जुलाई 2022, गुरुवार को है। सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को पड़ेगा। सावन का दूसरा सोमवार 25 जुलाई, तीसरा 01 अगस्त और चौथा सोमवार 08 अगस्त को पड़ेगा। सावन का आखिरी दिन 12 अगस्त शुक्रवार को है। इसी दिन श्रावण पूर्णिमा भी है।

श्रावण मास में रुद्राभिषेक शिवार्चन का महत्व है

विदेशी सरजमीं माॅरीशस में धर्म की ध्वजा लहरा रहे जनपद अम्बेडकर नगर तहसील क्षेत्र आलापुर के गिरैया बाजार के खिद्दिरपुर(बसन्तपुर छोटू) निवासी आचार्य राकेश पाण्डे ने बताया कि सावन के महीने को शिव आराधना के लिए सर्वोत्तम माना गया है. क्योंकि ये महीना देवाधिदेव महादेव को बहुत प्रिय है।सावन का महीना ऐसा महीना है, जिसमें छह ऋतुओं का समावेश होता है और शिवधाम पर इसका महत्व सर्वाधिक होता है।
कहा जाता है कि शिव को प्रसन्न करने का सर्वोच्च उपाय रुद्राभिषेक ही है. साक्षात देवी और देवता भी शिव कृपा के लिए शिव-शक्ति के ज्योति स्वरूप का रुद्राभिषेक ही करते हैं।

भारतीय संस्कृति में वेदों का इतना महत्व है तथा इनके ही श्लोकों, सूक्तों से पूजा, यज्ञ, अभिषेक आदि किया जाता है। शिव से ही सब है तथा सब में शिव का वास है, शिव, महादेव, हरि, विष्णु, ब्रह्मा, रुद्र, नीलकंठ आदि सब ब्रह्म के पर्यायवाची हैं। रुद्र अर्थात् ‘रुत्’ और रुत् अर्थात् जो दु:खों को नष्ट करे, वही रुद्र है, रुतं–दु:खं, द्रावयति–नाशयति इति रुद्र:। रुद्रहृदयोपनिषद् में लिखा है–

सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:।
रुद्रात्प्रवर्तते बीजं बीजयोनिर्जनार्दन:।।
यो रुद्र: स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशन:।
ब्रह्मविष्णुमयो रुद्र अग्नीषोमात्मकं जगत्।।

यह श्लोक बताता है कि रूद्र ही ब्रह्मा, विष्णु है सभी देवता रुद्रांश है और सबकुछ रुद्र से ही जन्मा है। इससे यह सिद्ध है कि रुद्र ही ब्रह्म है, वह स्वयम्भू है।
रुद्राभिषेक में शिवलिंग की विधिवत् पूजा की जाती है।
शिव जी की पूजा में रुद्राभिषेक सर्वाधिक प्रिय है।
रुद्र के पूजन से सब देवताओं की पूजा स्वत:सम्पन्न हो जाती है।
रुद्रहृदयोपनिषद में लिखा है-सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:।

प्राचीनकाल से ही रुद्र की उपासना शुक्लयजुर्वेदीयरुद्राष्टाध्यायी के द्वारा होती आ रही है। इसके साथ रुद्राभिषेक का विधान युगों से वांछाकल्पतरु बना हुआ है। साम्बसदाशिव रुद्राभिषेक से शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इसीलिए कहा भी गया है-शिव: रुद्राभिषेकप्रिय:
शिव जी को पूजा में रुद्राभिषेक सर्वाधिक प्रिय है।

शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के निमित्त अनेक द्रव्यों का निर्देश किया गया है।
जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदकसे रुद्राभिषेक करें।
भवन-वाहन प्राप्त करने की इच्छा से दही ।
लक्ष्मी-प्राप्ति का उद्देश्य होने पर गन्ने के रस से अभिषेक करें।
व्यापार में उतरोत्तर वृद्धि तथा लक्ष्मी प्राप्ति के लिए – गन्ने का रस से रुद्राभिषेक करें।
धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से रुद्राभिषेक करें।
तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
पुत्र की इच्छा करनेवाले दूध के द्वारा रुद्राभिषेक करे।
वन्ध्या,काकवन्ध्या(मात्र एक संतान उत्पन्न करनेवाली) अथवा मृतवत्सा(जिसकी संतानें पैदा होते ही मर जायं)गोदुग्धसे अभिषेक करे।
ज्वर की शांति हेतु शीतल जल से रुद्राभिषेक करें।
सहस्रनाम-मंत्रोंका उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
बच्चों के जन्मोत्सव एवं उनके यशस्वी भविष्य के लिए -दुग्ध एवं तीर्थजल से प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेकसे हो जाती है।
शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जडबुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
धन की वृद्धि एवं ऋण मुक्ति तथा जन्मपत्रिका में मंगल दोष सम्बन्धी निवारणार्थ – शहद से
शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
गोदुग्धसे निर्मित शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यताप्राप्त होती है।
कुशोदक से अभिषेक करने से रोग व्याधि का नाश होता है।
पुत्रार्थी शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।
इस प्रकार विविध द्रव्यों से शिवलिंगका विधिवत् अभिषेक करने पर अभीष्ट निश्चय ही पूर्ण होता है।

रुद्राभिषेक से लाभ ;;
“शिव-भक्तों को यजुर्वेदविहित विधान से रुद्राभिषेक करना चाहिए।”
रुद्राभिषेक से समस्त कार्य सिद्ध होते हैं।अंसभव भी संभव हो जाता है।प्रतिकूल ग्रहस्थिति अथवा अशुभ ग्रहदशा से उत्पन्न होने वाले अरिष्ट का शमन होता है। भगवान शिव चंद्रमा को अपने सिर पर धारण करते हैं । चंद्रमा ज्योतिष मे मन का कारक है । किसी भी प्रकार के मानसिक समस्या को दूर करने मे रुद्राभिषेक सहायक सिद्ध होता है। चंद्रमा को जब क्षय रोग हुआ था तो सप्तऋषि ने रुद्राभिषेक किया था । चंद्रमा के पीड़ित होने से क्षय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। यह ज्योतिषीय नियम है की कुंडली मे अगर चंद्रमा पाप ग्रह से पीड़ित हो तो क्षय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। अगर कोई इस प्रकार की बीमारी से पीड़ित है तो रुद्राभिषेक करवाना लाभप्रद होता है।
गंभीर किस्म के बीमारियों को दूर करने हेतु एवं उनके होने से बचने हेतु रुद्राभिषेक करवाना लाभप्रद होता है।
रुद्राभिषेक से सद्बुद्धि सद्विचार और सत्कर्म की वृध्दि होती है |
रुद्राभिषेक से मानव की आत्मशक्ति, ज्ञानशक्ति और मंत्रशक्ति जागृत होती है |

रुद्राभिषेक से मानव जीवन सात्त्विक और मंगलमय बनता है |
रुद्राभिषेक से अंतःकरण की अपवित्रता एवं कुसंस्कारो के निवारण के उपरांत धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन पुरुषार्थचतुष्टय की प्राप्ति होती है |
रुद्राभिषेक से असाध्य कार्य भी साध्य हो जाते हैं, सर्वदा सर्वत्र विजय प्राप्त होती है, अमंगलों का नाश होता है, सत्रु मित्रवत हो जाता है |
रुद्राभिषेक से मानव आरोग्य, विद्या , कीर्ति, पराक्रम, धन-धन्य, पुत्र-पौत्रादि अनेकविध ऐश्वर्यों को सहज ही प्राप्त कर लेता है |
“किंतु असमर्थ व्यक्ति प्रचलित मंत्र-ॐ नम:शिवाय का जप करते हुए भी रुद्राभिषेक कर सकते हैं।”
शिवजी को प्रसन्न करने के लिए श्रावण माह के श्रावण कृष्ण त्रयोदशी के दिन शिव अर्चन करने से भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं तथा इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
श्रावण माह में किसी भी दिन किसी भी समय भगवान शिव का अभिषेक किया जा सकता हैं।

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

लालकुआं अपडेट: लो वॉल्टेज की समस्या से परेशान ग्रामीणों ने एसडीओ को ज्ञापन सौपा,

Wed Jul 13 , 2022
रामनगरः उत्तराखंड में अघोषित बिजली कटौती से जनता परेशान है। रामनगर में भी बिजली की आंख मिचौली जारी है। जिसे लेकर कांग्रेसियों का पारा चढ़ गया। इतना ही नहीं पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत के नेतृत्व में कांग्रेसी बारिश में तिरपाल ओढ़कर कर विद्युत कार्यालय में आ गरजे। जहां उन्होंने बिजली […]

You May Like

advertisement