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बिना कर्म के लक्ष्य की प्राप्ति संभव नहीं -पंडित कौशल किशोर जी महाराज।
मेहनगर तहसील क्षेत्र के ग्राम गौरा में हो रही श्री राम कथा के तीसरे दिन मंगलवार की रात्रि श्री दुर्गा जी मन्दिर परिसर में संगीतमयी श्री राम कथा में प्रवचन करते हुए पंडित कौशल किशोर जी महाराज ने बताया कि श्री राम जन्म के अनेक कारण को शास्त्रों में परिभाषित किया गया। जब इस धरा पर अत्याचार बढ़ता है ।और धर्म में न्यूनता परिलक्षित होती है ।तब समय-समय पर भगवान श्री राम का अवतार होता रहता है। जब कभी मनुष्य के जीवन में अनुभव हो तो उसको संत व भगवंत के चरण शरण को ग्रहण करना चाहिए ।जिस समय चक्रवर्ती सम्राट महाराज दशरथ को संतान न होने की ग्लानी
हुई। महाराज दशरथ ने सर्व समर्थ गुरु महाराज वशिष्ठ से अपने हृदय की वेदना ब्यक्त किया। जबकि महाराज दशरथ ने पूर्व जन्म में महाराज मनु के रूप में तपस्या कर भगवान से यह वर प्राप्त किया था ।कि नारायण स्वयं पुत्र के रूप में अवतार लेंगे । बर प्राप्त होने के पश्चात भी सद्गुरु के आशीर्वाद से पूर्व का वरदान फलीभूत हुआ ।बिना सतगुरु के कृपा और सत्कर्म के प्रयास से प्रभु का प्रादुर्भाव संभव नहीं होता है। इस प्रकार व्यास जी ने मानस के तात्विक चर्चा करते हुए यह संदेश दिया कि मनुष्य को अपने प्रारब्ध की चिंता छोड़कर कर्म में रत रहना चाहिए ।बिना कर्म किए कभी भाग्य का अवलंब लेकर लक्ष्य की प्राप्ति संभव नहीं है।