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गुरुकुल शिक्षा उत्सव में अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए बोले राज्यपाल,मात्र चार वर्षों में हरियाणा का नं. वन विद्यालय बना ‘गुरुकुल ज्योतिसर’

गुरुकुल शिक्षा उत्सव में अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए बोले राज्यपाल,मात्र चार वर्षों में हरियाणा का नं. वन विद्यालय बना ‘गुरुकुल ज्योतिसर’।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

कुरुक्षेत्र, 22 मार्च : गुरुकुल कुरुक्षेत्र सहित गुरुकुल ज्योतिसर, गुरुकुल नीलोखेड़ी एवं आर्यकुलम् नीलोखेड़ी हेतु चल रही प्रवेश परीक्षाओं में भारी संख्या में अभिभावक और छात्र पहुंच रहे हैं। गुरुकुल शिक्षा उत्सव के तीसरे दिन 7वीं कक्षा हेतु परीक्षा ली गई जिसमें दो हजार से अधिक छात्रों ने भाग लिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि गुरुकुल कुरुक्षेत्र में उन्होंने लगभग 40 वर्षों तक प्राचार्य पद पर कार्य किया। अभिभावकों के साथ-साथ अध्यापकों के सामने भी आज अनेक चुनौतियां हैं। बच्चों में संस्कारों का अभाव, दूषित होते वातावरण और खानपान के दुष्प्रभाव स्पष्ट नजर आते हैं, यही कारण है कि प्रत्येक अभिभावक गुरुकुलों में अपने बच्चों को प्रवेश दिलाना चाहता है। गुरुकुलों के साफ-स्वच्छ वातावरण, पौष्टिक आहार और नियमित दिनचर्या से बच्चे जहाँ शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनते हैं वहीं कुशल अध्यापकों के मार्गदर्शन से वे पढ़ाई में भी टॉप करते हैं। इस अवसर पर गुरुकुल कुरुक्षेत्र के निदेशक ब्रिगेडियर डॉ. प्रवीण कुमार, गुरुकुल नीलोखेड़ी से जगदीश आर्य, गुरुकुल ज्योतिसर से शिवकुमार आर्य सहित अन्य महानुभाव उपस्थित रहे।
आचार्य ने कहा कि अभिभावकों की आशा के अनुरूप उन्होंने गुरुकुल कुरुक्षेत्र के तर्ज पर गुरुकुल नीलोखेड़ी, आर्यकुलम् और गुरुकुल ज्योतिसर आरम्भ किये, ये सभी संस्थान वर्तमान में हरियाणा में न. 1 और नं 2 स्थान पर है। गुरुकुल ज्योतिसर ने मात्र चार वर्षों में यह उपलब्धि हासिल की है, इसके पीछे एक सकारात्मक दृष्टिकोण, अध्यापकों की कड़ी मेहनत और छात्रों का दृढ़ संकल्प है। उन्होंने कहा कि आज देश मंे हजारों की संख्या में बड़े-बड़े शिक्षण संस्थान है मगर हमारे गुरुकुलों में बच्चों को नैतिक मूल्यों और पुरातन संस्कारों की जो शिक्षा दी जाती है वह अन्यत्र कहीं नहीं मिलेगी। हमारे गुरुकुलों में छात्रों को प्राकृतिक अन्न, फल-सब्जियों के साथ-साथ पौष्टिकता से भरपूर शुद्ध दूध दिया जाता है। एक नियमित दिनचर्या के तहत एक-एक छात्र पढ़ाई के साथ-साथ ग्राउंड पर पसीना बहाता है, सुबह-शाम हवन, संध्या होती है जिससे बच्चे की सोच, उसका दृष्टिकोण, उसकी ऊर्जा सही दिशा में काम करती है। गुरुकुलों में मोबाइल, टी.वी. पर पूर्णतः प्रतिबंध है जिससे बच्चे एक-एक क्षण का उपयोग अपनी पढ़ाई हेतु करते हैं।
डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार ने गुरुकुल की उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए बताया कि गुरुकुल कुरुक्षेत्र की तरह ही दूसरे गुरुकुलों में भी एनडीए, आईआईटी, नीट हेतु विशेष मार्गदर्शन दिया जाता है। इस वर्ष गुरुकुल ज्योतिसर से भी चार बच्चों ने एसएसबी उत्तीर्ण किया है जिसमें एक छात्र वायुसेना में पायलट बना है। उन्होंने कहा कि आचार्य के मार्गदर्शन में चल रहे सभी गुरुकुलों में ‘शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कार’ इन तीन बिन्दूओं पर कार्य किया जा रहा है जिससे देश को उत्तम चरित्रवान और कर्त्तव्यनिष्ठ उच्च अधिकारी प्रदान कर राष्ट्र की उन्नति में भागीदारी कर सकें। उन्होंने गुरुकुल पहुंचने पर आचार्यश्री देवव्रत व अन्य सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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