देहरादून: अब उत्तराखंड में किराये की कोख लेना आसान नहीं होगा। प्रदेश में अब सरोगेसी के मामलों पर निगरानी को बोर्ड का गठन किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में बनने वाले इस बोर्ड में 18 सदस्य होंगे, जिनमें तीन महिला विधायक भी शामिल रहेंगी। यह बोर्ड सरोगेसी के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून का प्रदेश में अनुपालन सुनिश्चित करेगा।
देश में इस समय सरोगेसी के मामले बढ़ रहे हैं। यहां विदेश से भी दंपत्ती बच्चों के लिए मां की कोख ढूंढने आते रहे हैं। इसमें कई बार यह देखने में आया है कि महिला के गर्भवती होने के बाद विदेशी दंपत्ती बीच में ही अपना विचार बदल देते हैं। इससे कई महिलाओं के सामने समस्याएं खड़ी हुई हैं।
वहीं कई बार गर्भवती होने के बाद महिलाओं ने बच्चा पैदा करने की एवज में अधिक धन की मांग भी की है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 में सरोगेसी रेग्युलेशन एक्ट लागू किया था।
इसका गजट नोटिफिकेशन इसी वर्ष जनवरी में किया गया। इसमें सभी राज्यों से अपने यहां सरोगेसी नियंत्रण बोर्ड गठित करने को कहा गया था। इस कड़ी में उत्तराखंड में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी एवं सरोगेसी बोर्ड और समुचित प्राधिकारी गठित करने की कार्रवाई चल रही है।
प्रमुख सचिव अथवा सचिव स्वास्थ्य इसके पदेन उपाध्यक्ष होंगे। प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास व महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य इसके पदेन सदस्य होंगे।
इनके अलावा इसमें चिकित्सक, समाज विज्ञानी, महिला कल्याण संगठन से नामित प्रतिनिधि, महिला एवं बाल स्वास्थ्य से संबंधित क्षेत्र से कार्य करने वाले सामाजिक संस्था के प्रतिनिधि को सदस्य बनाया जाएगा। संयुक्त सचिव स्वास्थ्य इसके पदेन सचिव होंगे।
सचिव स्वास्थ्य डा आर राजेश कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार के निर्देशों के क्रम में बोर्ड का गठन किया जा रहा है। जल्द ही इसकी अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
इस बोर्ड का कार्य सरोगेसी के लिए जारी मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा। बोर्ड यह देखेगा कि सरोगेसी के जिन मामलों में कार्रवाई की गई है, वह नियमानुसार की गई है।
सरोगेसी के लिए गोद लेने वाले दंपत्ति और अपनी गोद देने वाली मां, दोनों के अधिकारों को संरक्षण देने का कार्य भी बोर्ड करेगा।
एक्ट में यह व्यवस्था की गई है कि गोद देने के लिए तैयार होने वाली महिला की 35 से 40 साल की उम्र की हो। वह विधवा हो सकती है अथवा उसके पहले ही बच्चे होने चाहिए।
बोर्ड के गठन के साथ ही प्रदेश में सरोगेसी के लिए नियमावली बनेगी। जिसमें फर्टिलिटी सेंटर का पंजीकृत होना अनिवार्य होगा। बिना पंजीकरण के सरोगेसी का कार्य कराने वालों पर कार्रवाई भी होगी।