बिहार: लक्ष्य कार्यक्रम के बाद प्रसव पीड़ित महिलाओं का सीएचसी कसबा में ही कराया जाता है संस्थागत एवं सुरक्षित प्रसव

लक्ष्य कार्यक्रम के बाद प्रसव पीड़ित महिलाओं का सीएचसी कसबा में ही कराया जाता है संस्थागत एवं सुरक्षित प्रसव:

प्रशिक्षित जीएनएम के माध्यम से बेहतर चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध: सिविल सर्जन
लक्ष्य प्रमाणीकरण के बाद एक वर्ष के अंदर 4431 महिलाओं का हुआ संस्थागत प्रसव: एमओआईसी
प्रसव के दौरान या बाद में मिलने वाली हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध: बीएचएम
पारिवारिक माहौल में कराया जाता है संस्थागत एवं सुरक्षित प्रसव: लाभार्थी

पूर्णिया
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रसव कक्ष में देखभाल करने के लिए गुणवत्तापूर्ण तरीक़े से लक्ष्य कार्यक्रम का संचालन किया जाता है। सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा का कहना है कि ज़िले के कई स्वास्थ्य केंद्रों को लक्ष्य कार्यक्रम, कायाकल्प योजना एवं एन्क्वास के तहत प्रमाणीकरण किया जा चुका है। हालांकि अभी भी कई ऐसे स्वास्थ्य केंद्र है जहां केयर इंडिया एवं यूनिसेफ़ के सहयोग से तेज़ी के साथ कार्य किया जा रहा है। लक्ष्य कार्यक्रम के बाद से प्रसव पीड़ित महिलाओं को अब स्थानीय सीएचसी कसबा में ही प्रसव कराया जाता है। हालांकि 2021 से पहले विशेष परिस्थितियों में गर्भवती महिलाओं को सदर अस्पताल पूर्णिया भेजा जाता था। क्योंकि नई-नई टेक्नोलॉजी की उपलब्धता नहीं थी। लेकिन अब हर तरह की व्यवस्था उपलब्ध करा दी गई है। स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा परिसर स्थित प्रसव कक्ष में प्रशिक्षित जीएनएम की प्रतिनियुक्ति कर बेहतर चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही है।

लक्ष्य प्रमाणीकरण के बाद एक वर्ष के अंदर 4431 महिलाओं का हुआ संस्थागत प्रसव: एमओआईसी
कसबा सीएचसी के एमओआईसी डॉ एके सिंह ने बताया कि दिसंबर 2020 को लक्ष्य कार्यक्रम के तहत प्रमाणीकरण हुआ था। इसके साथ ही प्रसव कक्ष में मिलने वाली सभी तरह की सुख सुविधाएं उपलब्ध हो गई। जिस कारण पहले की अपेक्षा संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी के साथ ही शिशु एवं मातृ मृत्यु दर शून्य के बराबर हो गई है। आंकड़ों की बात की जाए तो जनवरी से दिसंबर 2021 तक 4431 संस्थागत एवं सुरक्षित प्रसव जीएनएम के द्वारा कराया गया है। वहीं जनवरी 2022 में 457, फ़रवरी में 416, मार्च में 383, अप्रैल में 358 एवं मई महीने में 270 गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया गया है। जिसमें शिशु एवं मातृ मृत्यु दर शून्य के बराबर है।

प्रसव के दौरान या बाद में मिलने वाली हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध: बीएचएम
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक उमेश पंड़ित ने बताया कि स्थानीय अस्पताल में संस्थागत एवं सुरक्षित प्रसव के साथ ही सभी तरह की व्यवस्थाएं पूरी तरह से निःशुल्क दी जाती हैं। जिसमें प्रशिक्षित स्टाफ़ नर्स के द्वारा निःशुल्क प्रसव प्रबंधन, निःशुल्क दवा का वितरण, प्रसव के बाद गर्भवती महिलाओं को उनके घर से लाने एवं प्रसव के बाद अस्पताल से एम्बुलेंस द्वारा घर पहुंचाने की निःशुल्क व्यवस्था, नवजात शिशुओं का संपूर्ण टीकाकरण, नवजात शिशुओं के जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान सुनिश्चित कराने की व्यवस्था के साथ ही जन्म प्रमाण पत्र भी दिया जाता है। वहीं सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाओं में आशा कार्यकर्ताओं को प्रति प्रसव 600 सौ रुपए, तो वहीं प्रसूती महिलाओं को 1400 सौ मिलता है। साथ ही कन्या के जन्म होने पर 2000 हज़ार रुपए की प्रोत्साहन राशि मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत दी जाती है। प्रसव के बाद 48 घंटे रखने का प्रावधान है। जिसमें खाना के साथ ही ठहरने की उत्तम व्यवस्था के अलावा सभी तरह की जांच एवं दवा भी निःशुल्क दी जाती है।

प्रसव के दौरान मृत शिशुओं की स्थिति नगण्य: प्रसव कक्ष प्रभारी
प्रसव कक्ष की प्रभारी रश्मि खालखो ने बताया कि प्रसव पीड़ा से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के आने बाद सबसे पहले ट्रायज रूम में ले जाकर उसका परीक्षण किया जाता है। इसके बाद ही आवश्यकता अनुसार दवा या जांच करायी जाती है। सब कुछ साधारण होने की स्थिति में हमलोगों के द्वारा एवं एएनएम के सहयोग से संस्थागत एवं सुरक्षित प्रसव कराया जाता है। हमलोगों द्वारा पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी के साथ अपने कार्यो को निबटाया जाता है। विगत 2021 से पहले लक्ष्य प्रमाणीकरण नहीं हुआ था लेकिन संस्थागत प्रसव अनवरत जारी था। वहीं सबसे अहम बात यह है कि लक्ष्य होने के बाद प्रसव के समय मृत शिशुओं की स्थिति नगण्य के बराबर है। इसमें सबसे अहम भूमिका गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व एएनसी जांच निभाती हैं। क्योंकि स्थानीय स्तर पर गर्भावस्था के दौरान आंगनबाड़ी सेविकाओं, आशा कार्यकर्ता एवं एएनएम के द्वारा नियत समय पर नियमित रूप से प्रसव पूर्व जांच क्षेत्र भ्रमण कर कराया जाता है।

पारिवारिक माहौल में कराया जाता है संस्थागत एवं सुरक्षित प्रसव: लाभार्थी
सीएसची कसबा में प्रसव कराने के लिए आई गढ़बनैली गांव के सिमरिया टोला निवासी महमद नईम की 37 वर्षीय पत्नी नईमा खातून ने बताया कि अस्पताल आने के लगभग आधे घण्टे के अंदर ही यहां की जीएनएम के द्वारा सुरक्षित एवं संस्थागत प्रसव कराया गया है। क्योंकि गर्भावस्था के दौरान समय से सभी तरह की जांच करायी गयी थी। जिस कारण मुझे किसी तरह से कोई परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ा। इससे पहले भी मेरे तीन बच्चों का जन्म इसी अस्पताल में हुआ है। यह चौथा प्रसव है। क्योंकि यहां पर हर तरह की सुख सुविधाएं उपलब्ध है। वहीं सरकारी स्तर पर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि या अन्य सुविधाएं अस्पताल प्रशासन द्वारा समय से दी जाती है। यहां के सभी कर्मी एवं अधिकारियों का व्यवहार परिवार के जैसा होता है।

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