करीब एक दशक से भी अधिक समय से विदेश में रह रहे युवा दम्पति प्रेरणा वृद्धाश्रम की ख्याति सुन कर वृद्धों से मिलने पहुंचे

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161-91877

प्रेरणा वृद्धाश्रम नाम के अनुरूप बना है विश्व के लिए प्रेरणा, प्रेरणा वृद्धाश्रम में वृद्ध खुश ही नहीं संतुष्ट भी है : अप्रवासी भारतीय वैभव।

कुरुक्षेत्र, 14 जुलाई :- धर्मनगरी कुरुक्षेत्र का वृद्धाश्रम अपनों से ठुकराए वृद्धों की सेवा से भारत में ही नहीं विदेशों में भी ख्याति प्राप्त कर रहा है। इस बात का प्रमाण उस समय देखने को मिला जब करीब एक दशक से भी अधिक समय से विदेश में रह रहे अप्रवासी भारतीय युवा दम्पति वृद्धाश्रम के वृद्धों से मिलने पहुंचे। लंदन में युवा एडवोकेट वैभव ने प्रेरणा वृद्धाश्रम के कार्यों और यहां की व्यवस्था देखकर खुले मन से प्रशंसा की। उन्होंने कहाकि वे यहां वृद्धों को प्रसन्न देखकर हैरान हुए हैं। उन्होंने विदेशों में भी देखा है कि अपनों से ठुकराए तथा बेसहारा वृद्ध निराश एवं दुःखी होते हैं लेकिन यहां वृद्ध प्रसन्न एवं संतुष्ट हैं। प्रेरणा वृद्धाश्रम अपने नाम के अनुरूप पूरे समाज के लिए प्रेरणा बना है। वैभव के साथ कैंसर पीड़ितों की विदेश में सेवा कर रही खुशबु भी थी। उन्होंने कहाकि उन्होंने विदेशों में भी वृद्धाश्रम देखे हैं लेकिन जो अनुभूति उन्हें यहां आकर हुई है उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। वास्तव में प्रेरणा वृद्धाश्रम अपने नाम के अनुरूप प्रेम एवं सम्मान का प्रतीक है। यहां वृद्धों का ही सम्मान नहीं बल्कि देश के लिए शहादत देने वाले शहीदों की यादों के साथ आध्यात्म का केंद्र भी है। विदेश से प्रेरणा वृद्धाश्रम में विदेश से आए अप्रवासी भारतीय वैभव और खुशबु का प्रेरणा के संस्थापक जय भगवान सिंगला, आशा सिंगला, प्रेरणा संस्था की अध्यक्षा रेणू खुंगर व डा. केवल कृष्ण सहित अन्य सदस्यों ने स्वागत किया। जय भगवान सिंगला ने युवा अप्रवासी भारतीयों को वृद्धाश्रम के डे केयर सेंटर के रूप में विस्तार के साथ शहीदी स्मारक एवं मंदिरों का भी अवलोकन करवाया। युवा दम्पति ने शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए एवं मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना की। वृद्धाश्रम परिसर में पौधरोपण करने के उपरांत भोजन किया और अपनी भावनाएं वृद्धों के साथ सांझा की। संस्था के संस्थापक जय भगवान सिंगला भी युवा दम्पति से मिलकर इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने कहाकि वास्तव में वैभव और खुशबू रहते तो विदेश में हैं लेकिन इन का मन भारत में बसता है। इन में भारतीय संस्कृति कूट कूट कर भरी हुई है। विदेश में भी वृद्धाश्रम में जा कर वृद्धों की सेवा करते हैं। डा. केवल कृष्ण ने कहाकि वृद्धाश्रम का होना भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों के अनुरूप नहीं है लेकिन प्रेरणा वृद्धाश्रम में वास्तव में वृद्धों का सम्मान होता है। यहां शारीरिक, बौद्धिक एवं मानसिक विकास होता है। भारत में भी पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव से वृद्धाश्रम स्थापित हो रहे हैं। यह दुर्भाग्य है कि युवा वृद्ध अभिभावकों की देखभाल एवं सम्मान नहीं करते हैं। अपने ही परिवार के वृद्धों को दुत्कारते हैं। वृद्धाश्रम में एक शिक्षित वृद्ध ने कहाकि वस्तुत: भारतवर्ष की प्राचीन सभ्यता प्राचीन काल से ही पूरे विश्व में प्रसिद्ध एवं प्रेरणा देने वाली है। यहां के आध्यात्म, ज्ञान, विज्ञान, प्रकृति एवं संस्कृति को देखने के लिए विश्व की महान हस्तियां और विद्वान पहुंचे हैं। लेकिन भारत में वृद्धाश्रमों की स्थापना होना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मौके पर वृद्धों ने युवा प्रवासी भारतीयों का सम्मान किया तो युवा दम्पति ने भी वृद्धों को उपहार दिए।
प्रेरणा वृद्धाश्रम में अप्रवासी भारतीयों को वृद्धाश्रम का अवलोकन करवाते हुए संस्थापक जय भगवान सिंगला एवं अन्य, शहीदी स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित एवं मंदिर में पूजा अर्पित करते हुए। अप्रवासी भारतीयों को स्मृति चिन्ह देते हुए एवं अप्रवासी भारतीय वृद्धों का सम्मान करते हुए।

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