तिलई, खोखरा के बाद अब जर्वे च, बंसुला व लोहर्सी गोठानों में गौमूत्र की खरीदी शुरू

जांजगीर चांपा 23 नवंबर 2022 / गौमूत्र की खरीदी में प्रदेश में जिला जांजगीर-चांपा अव्वल चल रहा है। गौमूत्र की बढ़ती मांग को देखते हुए जिले की अकलतरा की तिलई, नवागढ़ की खोखरा गोठान के बाद अब बलौदा की जर्वे च, पामगढ़ की लोहर्सी एवं बम्हनीडीह की बंसुला गोठान में गौमूत्र की खरीदी शुरू की गई है। जिसे समूह की महिलाओं द्वारा ब्रम्हास्त्र एवं जीवामृत तैयार कर किसानों को विक्रय किया जाएगा।
जिला में गोठान एवं गोधन न्याय योजना का सुचारू रूप से संचालन कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा एवं जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ ज्योति पटेल के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। गोठान में जहां एक ओर गोबर खरीदी करते हुए वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण चल रहा है तो वहीं दूसरी ओर गौमूत्र की खरीदी की जा रही है। इससे वर्मी कम्पोस्ट एवं गौमूत्र से जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
हरेली से शुरू हुआ सिलसिला
गौमूत्र की खरीदी का सिलसिला हरेली त्योहार से तिलई एवं खोखरा गोठान से शुरू हुआ था। जिसके बाद से ही लगातार गौमूत्र की खरीदी करते हुए उससे जीवामृत एवं ब्रम्हास्त्र का निर्माण किया जा रहा है। जिले में गौमूत्र की सफलता और किसानों के द्वारा की जा रही मांग को देखते हुए जिले की सभी जनपद पंचायत की एक ग्राम पंचायत को चयनित करते हुए गौमूत्र खरीदी की शुरूआत की गई है। कृषि विभाग डीडीए एम.डी.मानकर से प्राप्त जानकारी के अनसुार हरेली त्योहार से लेकर अब तक अकलतरा जनपद पंचायत की तिलई गौठान में 5 हजार 717 लीटर एवं नवागढ की खोखरा में 4 हजार 718 लीटर गौमूत्र की खरीदी हुई है। वहीं 21 नवम्बर से बम्हनीडीह की बंसुला गोठान में 100 लीटर गौमूत्र खरीदी की गई। इसी प्रकार पामगढ़ की लोहर्सी में 35 लीटर एवं बलौदा की जर्वे च में 12 लीटर गौमूत्र खरीदा गया।
गौमूत्र से ब्रम्हास्त्र और जीवामृत का निर्माण
गौमूत्र की खरीदी के बाद उससे ब्रम्हास्त्र एवं जीवामृत का निर्माण स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। एक लीटर गौमूत्र 4 रूपए की दर से खरीदा जाता है। ब्रम्हास्त्र यानी कीट नियंत्रक उत्पाद है, इसका उपयोग सभी प्रकार के कीटों के नियंत्रण में किया जा सकता है। यह तना छेदक जैसे अधिक हानि पहुंचाने वाले कीटों के प्रति लाभकारी है। वहीं जीवामृत उत्पाद जो मिट्टी में सूक्ष्म जीवों तथा पत्ते पर छिड़के जाने पर सूक्ष्म जीवों की गतिविधि को बढ़ाता है। तैयार होने के बाद ब्रम्हास्त्र 50 रूपए लीटर एवं जीवामृत 40 रूपए लीटर की दर से समूहों के द्वार विक्रय किया जा रहा है।

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