अभिनेता का अभिनय के माध्यम से तय होता अध्यात्म का रास्ता : अखिलेन्द्र मिश्र

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

सूक्ष्मता ही जीवन का आधार है : अखिलेन्द्र मिश्र।
अध्यात्म के पथ पर मनुष्य की सफलता निश्चित : अखिलेन्द्र मिश्र।
फिल्म महोत्सव में अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्र ने विद्यार्थियों से हुए रूबरू।

कुरुक्षेत्र, 8 अगस्त : बॉलीवुड के मशहूर फिल्म अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्र ने कहा कि अभिनेता का अभिनय के माध्यम से अध्यात्म का रास्ता तय होता है। अभिनय का मूल अध्यात्म मे निहित है तथा अपने मूल को जानकर ही मनुष्य का भटकाव समाप्त हो सकता है। सूक्ष्मता ही जीवन का आधार है क्योकि सूक्ष्म शरीर ही ज्ञान का स्रोत है। अध्यात्म के पथ पर चलने से मनुष्य की सफलता निश्चित है। वास्तव में जीवन वेद में है। व्यक्ति के जीवन में जो भटकाव आया है उसका कारण है कि हम वेदों से कट गए हैं। वे गुरुवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग तथा संस्कृति सोसाइटी फॉर आर्ट्स एंड कल्चरल डेवलपमेंट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 7वें हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के दूसरे दिन ऑडिटोरियम हॉल में छात्रों से रूबरू होकर संवाद कर रहे थे। संवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. एआर चौधरी ने अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्र का स्वागत करते हुए कहा कि पर्दे पर जिन्हें हम देखते हैं आज उनके वास्तविक जीवन के बीच की दूरी को समझने का अवसर मिला है।
लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्र से संवाद करते हुए कई प्रश्न पूछे जिनका उत्तर देते हुए उन्हांेने कहा कि उनकी पुस्तक अभिनय, अभिनेता और अध्यात्म में अनुशासन, विश्वास, दृढ़ संकल्प, एकाग्रता समाहित है जो युवा अभिनय के क्षेत्र में जाना चाहते हैं उनके लिए यह पुस्तक एक मार्ग दर्शक का कार्य करेगी। उन्होने अपने जीवन के अनुभव को सांझा करते हुए कहा कि थियेटर में आने के बाद किसी एकेडमी में सीखने के लिए वो नहीं गए बल्कि स्वतंत्र रहकर विभिन्न निदेशकों के साथ काम करके उन्होंने अभिनय के गुर सीखे इसलिए वे मानते है कि किसी एक अभिनय स्कूल में दाखिला लेने की बजाए अलग-अलग लोगों से अभिनय की बारीकियां सीखनी चाहिए।
अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्र ने कहा कि अभिनय की बारीकियों को लेकर हिंदी भाषा में कोई पुस्तक उपलब्ध नहीं थी इसलिए इसलिए उन्होंने नई पीढ़ी के लिए इस पुस्तक को लिखकर अपना संकल्प पूरा किया है ताकि जो समस्याएं उनके सामने आई वो समस्याएं युवा कलाकारों के सामने न आए। यह पुस्तक उनका मागर्दर्शन करेगी। उन्होंने कहा कि विज्ञान जहां खत्म होता है अध्यात्म वहां शुरू होता है। उन्होंने हाथ के संकेत द्वारा स्थूल एवं सूक्ष्म के अंतर के बारे में बताते हुए कहा कि व्यक्ति जब मर जाता है तब भी उसका स्थूल शरीर होता है लेकिन उसका सूक्ष्म मन, बुद्धि, चित्त एवं अहंकार निकल जाता है। अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्र ने कहा कि जीवन में सभी चीजें मनुष्य के पास हैं इसलिए अवसर मिलने पर उसका लाभ उठाना चाहिए।
अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्र ने कहा कि मन पर बुद्धि का नियंत्रण होना चाहिए। अध्यात्म के बारे में विस्तार से उन्होंने बताते हुए कहा कि व्यक्ति की नाभि, छाती, कंठ, नाक व सिर यह पांच चीजे बोलती हैं। वर्तमान समय में युवा अपने उद्देश्य से भटक रहे हैं और परिवार टूट रहे हैं। यह पुस्तक युवाओं के मन में चल रहे द्वंद को भी खत्म करेगी। उन्होंने उपस्थित छात्रों को ओउम के सही उच्चारण की विधि व सांस लेने की सही विधि के बारे में बताते हुए कहा कि सब कुछ व्यक्ति के अंदर है बाहर कुछ भी नहीं। मंच संचालन प्रो. विवेक चावला ने किया।
इस अवसर पर अभिनेत्री रूपा गांगुली, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. एआर चौधरी, महोत्सव के निदेशक धर्मेन्द्र डांगी, आयोजन सचिव विकास, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया, उप-निदेशक डॉ. जिम्मी शर्मा, डॉ. ज्ञान चहल, डॉ.आबिद अली, डॉ. मधुदीप, सौरभ चौधरी, प्रो. शुचिस्मिता मौजूद थे।
प्रकृति का प्रहार मचा हाहाकार…………
अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्र ने अपनी कविता अखिलामृतम के माध्यम से प्रकृति की चेतावनी का वर्णन करते हुए कविता प्रकृति का प्रहार मचा हाहाकार, सुना चित्कार, त्रस्त संसार, कौन जिम्मेवार सुनाकर प्रकृति के प्रति मनुष्य का प्रकृति के प्रति दोहन का बयान किया। उन्होंने कहा कि तीसरा विश्व युद्ध मनुष्य-मनुष्य के बीच नहीं बल्कि मनुष्य और प्रकृति के बीच होगा।
पुस्तक अमेजन की बेस्ट सेलर।
अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्र द्वारा लिखित पुस्तक अभिनेता, अभिनय एवं अध्यात्म पुस्तक का का 12 फरवरी को दिल्ली के वर्ल्ड बुक फेयर में विमोचन हुआ था। यह पुस्तक अमेजन की बेस्ट सेलर पुस्तक है जिसकी लगभग 50 हजार से ज्यादा इसकी प्रतियां अमेजन पर बिक चुकी हैं। अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्र ने कहा कि यह पुस्तक ब्रह्म मुहूर्त में लिखी गई है। उन्होंने छात्रों से भी इस पुस्तक को पढ़ने का आह्वान किया ताकि वो इससे प्रेरणा लेकर जीवन में अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ सकें।

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