अम्बेडकर नगर:आत्मशक्तियों के जागरण का पर्व है दीपावली

आत्मशक्तियों के जागरण का पर्व है दीपावली

सामाजिक,धार्मिक और सांस्कृतिक सभी रूपों में महत्त्वपूर्ण दीपपर्व भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत प्रमुख उत्सव है।यह उत्सव जहाँ स्वच्छता,पारस्परिक सद्भाव,मर्यादाओं के अनुशीलन औरकि वसुधैव कुटुम्बकम का संवर्धन करने के दृष्टिकोण से खास है वहीं मानव की आत्मशक्तियों के जागरण,उनके प्रस्फुटन और योग-क्षेम की नजर से भी अति विशिष्ट पर्व है।लौकिक जगत में गृहस्थों,व्यापारियों,वाणिज्यिक संस्थानों सहित उद्योग जगत में इसकी महत्ता आदिकाल से प्रतिस्थापित औरकि स्वयमसिद्ध है।
दीपपर्व दीपावली का आयोजन प्रतिवर्ष कार्तिक माह की अमावस्या को होता है।त्रिदिवसीय इस महापर्व का प्रारम्भ त्रयोदशी की तिथि से यक्षपति कुबेर,यमदेव और समुद्र मंथन से अमृतकलश सहित प्रकट हुए आदिचिकित्सक भगवान धन्वंतरि की पूजा उपासना के पर्व धनतेरस से होता है।इस तिथि को सर्वजन अपनी सामर्थ्य के अनुसार आभूषणों,वाहनों,बर्तनों सहित झाड़ू औरकि अन्यान्य आवश्यक वस्तुओं का क्रय करते हुए अपने-अपने घरों की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखते हैं।इसप्रकार दीपावली का पर्व स्वच्छता का विशेष पर्व है।रोगों के विनाश और ऊर्जा संचरण की दृष्टि से यह पर्व अत्यंत खास होता है।
धनतेरस के अगले दिन छोटी दीपावली का आयोजन होता है।इस दिन रात्रि में एक बड़े दीपक को क्षेत्रपालों और यम हेतु प्रज्वलित करके लोग गौशालाओं इत्यादि स्थलों पर रखते हैं।
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार कालरात्रि,मोहरात्रि और महारात्रि के नाम से प्रचलित तीन रात्रियों में सबका अपना विशिष्ट हेतु होता है।होलिकोत्सव जहाँ कालरात्रि का,शिवरात्रि जहाँ महारात्रि का प्रतीक है तो वहीं दीपावली मोहरात्रि के रूप में विशेष होती है।इस दिन की गई पूजा,तंत्र साधना,आत्मशक्तियों का जागरण,प्राप्त सिद्धियों की पुनर्सिद्धि अत्यंत फलदायी होती है।इस दिन प्रदोषकाल से रात्रि ढाई बजे तक कि गयी साधनाएं शीघ्र फलदायी और सफलीभूत होती हैं।
दीपावली का सम्बन्ध अयोध्या और रामावतार से भी है।मान्यताओं के अनुसार चतुर्दश वर्षों तक वन में रहते हुए लंकेश दशानन रावण का बढ़कर इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अनुज लक्ष्मण व माता जानकी तथा अपने सेनानायकों के साथ अयोध्या वापस आये थे।जिसके चलते अयोध्यावासियों ने पलकपावडें बिछाते हुए नगरी को दीपों से जगमग कर दिया था।तबसे यह पर्व इसदिन घरों में लक्ष्मी जी के सदा निवास करने औरकि पुनरागमन के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।दीपावली का पर्व और इसदिन माता लक्ष्मी तथा गणेश के विशेष पूजन के सम्बंध में वामन अवतार तथा दानवीर दानवेन्द्र महाराज बलि को धन धान्य की देवी लक्ष्मी द्वारा दिया गए वर से भी जोड़कर देखा जाता है।जबकि माता लक्ष्मी और विष्णुदेव ने बलि को आशीर्वाद दिया था कि इसदिन मेरी पूजा उपासना करने से मेरा वर्षपर्यंत घरों में निवास बना रहेगा।यही कारण है कि इसदिन लक्ष्मी गणेश की उपासना विशेष रूप से की जाती है।
दीपावली के दिन विद्यार्थियों को लेखनी व पुस्तकों का,व्यापारियों को उनके लेखा बही का,वीरों द्वारा अपने शस्त्रों का और सामान्य गृहस्थों द्वारा देवों का पूजन करने से अचूक सिद्धियां और सफलताएं प्राप्त होती हैं।तांत्रिक शक्तियों के जागरण हेतु इस पर्व से महत्त्वपूर्ण और कोई दिन नहीं होता।
इस प्रकार स्वच्छता,समरसता,बंधुत्व,स्वजनों से मिलन और आत्मशक्तियों के जागरण का महान पर्व दीवाली जहाँ धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं की दृष्टि में अत्यंत विशेष है वहीं सामाजिक,आर्थिक और बंधुत्व की दृश्टिकोण से भी बहुत खास है।

-उदयराज मिश्र
नेशनल अवार्डी शिक्षक
9453433900

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

अम्बेडकर नगर:सपा कार्यक्रताओं द्वारा किसानों एवं नौजवानों को स्मरण कर किया गया श्रद्धांजलि अर्पित

Thu Nov 4 , 2021
सपा कार्यक्रताओं द्वारा किसानों एवं नौजवानों को स्मरण कर किया गया श्रद्धांजलि अर्पित संवाददाता:—विकास तिवारी अम्बेडकर नगर||समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर विधान सभा क्षेत्र आलापुर के कार्यकर्ताओं ने किसानों एवं नौजवानों के स्मरण कर स्मृति दिवस मनाया ।मालूम हो […]

You May Like

advertisement