धरती में भगवान का रूप
संवाददाता:-विकास तिवारी
मां प्रथम गुरू मार्गदर्शिका तथा सबसे प्यारी सहेली होती हैं।मां त्याग में सहनशीलता की मूर्ति होती हैं।मां अपने मृदु व्यवहार से सबका मन मोह लेती है सभी के जीवन में माता एवं पिता का बहुत बडा योगदान रहता हैं।भारत में ही नहीं दुनिया के किस देश में किसी भाषा में कोई शब्द नहीं हैं।कि मां की ममता को परिभाषित कर सकें और मां के प्रति उनका भाव अद्भुत होता हैं।मां का अवतार इस दुनिया में भगवान का सर जी अवतार स्वरूप माना गया हैं।आज समाज में नैतिकता के पतन का सिलसिला तेजी से आगे की ओर बढ़ रहा है और मां के प्रति लोगों में अपेक्षा के भाव उत्पन्न हो रहे हैं।
जिसे आर्थिक कारण अथवा अन्य कारणों से नहीं देखा जाना चाहिए।मां की महिमा से सब का विकास संभव होता है।आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जो अपनी मां के आशीर्वाद के कारण सुखी सम्पन्न हैं।आज सभी को श्रवण कुमार जैसा बनना चाहिए ताकि मां की कृपा से खुश रहें आज बच्चे जब बड़े हो जाते हैं तो माता-पिता उनको बोझ लगने लगते हैं।
जो गलत हैं मैं आप सभी से अपील करता हूँ कि मां की प्रतिष्ठा को पुन:स्थापित करने के लिए सभी को आगे आना चाहिए और सभी नारी में मां बहन बेटी बुआ को सम्मान की दृष्टि से देखना चाहिए।एवं अपने घर परिवार को संस्कार
मां ही दुनिया
▪️घुटनों से रेंगते रेंगते,कब पैरों पर खड़ा हुआ।
▪️तेरी ममता की छांव में,जानें कब बड़ा हुआ।
▪️काला टीका दूध मलाई,आज भी सब कुछ वैसा हैं।
▪️मैं ही मैं हूँ हर जगह,प्यार यह तेरा कैसा हैं।
▪️सीधा-साधा भोला-भाला,मैं ही सबसे अच्छा हूँ।
▪️कितना भी हो जाऊँ बड़ा माँ,मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ।
▪️हे माँ तेरी चरण से,जीवन का आधार।
▪️आशीष पाकर मैं खुश हुआ,खुश हुआ मेरा संसार।
▪️माँ पूजा अर्चना,माँ देवी का रूप।
▪️माँ से बढ़कर विश्व में,कोई नहीं स्वरूप।
▪️माँ अर्चना माँ भजन,माँ गीता का गीत।
▪️माँ धरती,माँ गगन,माँ जीवन संगीत।
▪️सांस-सांस में माँ बसी,माँ ही जीवन संगीत।
▪️माँ आरती,माँ पूजा अर्चना।
▪️माँ दोहे में,छन्द हैं माँ,हैं वेद बेद पुराण।
▪️माँ गंगा,माँ नर्मदा,माँ हैं तीरथ तमाम।
▪️माँ ने शिक्षा दी सदा,संस्कृति और संस्कार।
▪️जीवन जीने की कला और लोक व्यवहार।
▪️घर आने में देर हुई,माता हुई उदास।
▪️बैठ द्वार पर देखती,कब मैं आऊँ पास।
▪️मेरी ही मुस्कान से, हैं माँ की मुस्कान।
▪️ऐसी माँ को समर्पित,मेरे तन-मन-प्राण।