श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय में 451 बच्चों को पिलाई स्वर्णप्राशन की अमृत बूंदें

बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए वरदान है स्वर्णप्राशन।
कुरुक्षेत्र, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक : श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के कौमारभृत्य विभाग द्वारा कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान के मार्गदर्शन में बुधवार को विश्वविद्यालय के आयुर्वेदिक अस्पताल में स्वर्णप्राशन संस्कार शिविर आयोजित किया गया। इस दौरान 451 से अधिक बच्चों को स्वर्णप्राशन की बूंदें पिलाई गईं। शिविर का उद्देश्य बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता, बुद्धि, स्मरण शक्ति और संपूर्ण विकास को बढ़ाना रहा। कार्यक्रम के दौरान विभाग के प्रो. अमित कटारिया ने अभिभावकों को स्वर्णप्राशन के लाभों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हर पुष्य नक्षत्र के दिन किया जाने वाला स्वर्णप्राशन संस्कार बच्चों के लिए अत्यंत लाभकारी है। इससे बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, स्मरण शक्ति व बुद्धि विकास में सहायता मिलती है और बार-बार बीमार पड़ने की संभावना घटती है। उन्होंने बताया कि स्वर्णप्राशन एक प्राचीन आयुर्वेदिक विधि है, जिसमें शुद्ध स्वर्ण भस्म, घृत (घी), मधु और औषधीय द्रव्यों को मिलाकर तैयार किया गया मिश्रण बच्चों को पिलाया जाता है। यह परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है और बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, बुद्धि और स्मरण शक्ति विकसित करने में अत्यंत कारगर मानी जाती है। कौमारभृत्य विभाग के चेयरमैन प्रो. वैद्य शंभू दयाल शर्मा ने बताया कि स्वर्णप्राशन के नियमित सेवन से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास दोनों होता है। इससे बच्चों में बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है, जिसके कारण वे स्वस्थ और सक्रिय बने रहते हैं।
11 नवंबर को लगेगा अगला शिविर: प्रो. राजा सिंगला।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. डॉ. राजा सिंगला ने बताया कि कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान के मार्गदर्शन में हर पुष्य नक्षत्र के दिन स्वर्णप्राशन संस्कार का आयोजन किया जाता है। यह संस्कार कौमारभृत्य विभाग के अनुभवी वैद्यों की देखरेख में विधि-विधान पूर्वक संपन्न होता है। उन्होंने बताया कि अगला स्वर्णप्राशन संस्कार शिविर 11 नवंबर को आयोजित किया जाएगा।