श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाया गया अनंत चतुर्दशी,सुख सुख समृद्धि के लिए भगवान विष्णु से की प्रार्थना
-पूजा-अर्चना कर भक्तों ने प्रतीक के रूप में हाथ में धागे बांधें
-अनंत के चौदह गांठों में प्रत्येक गांठ एक-एक लोक का प्रतीक
अररिया
श्रद्धा व भक्ति के साथ अनंत चतुर्दशी का व्रत शुक्रवार को मनाया गया. व्रत की तैयारी में श्रद्धालु कई दिनों से लगे हुए थे. श्रद्धालुओं ने अपने-अपने घरों में पूजा-अर्चना कर प्रतीक के रूप में दायें हाथ में धागे बांधें. सुबह होते ही लोग स्नान कर पूजा में लगे रहे.भक्तों ने भगवान से सुख, शांति व समृद्धि के लिए प्रार्थना की. बताया जाता है कि अनंत भगवान श्रीहरि विष्णु को कहा जाता है. इनकी पूजा श्रद्धालु संकटों से रक्षा करने व घरों में सुख समृद्धि आने के लिए करते हैं. पूजा के बाद चौदह गांठों वाले सूत्र को अनंत भगवान का स्वरूप मानकर पुरुष दाये व महिलाएं ने बाये बाजू पर धारण करती हैं. मान्यता है कि अनंत के चौदह गांठों में प्रत्येक गांठ एक-एक लोक का प्रतीक है. इसकी रचना भगवान विष्णु ने की है. सभी जगह एकत्रित होकर श्रद्धालुओं ने अनंत भगवान की पूजा धूमधाम से की. इस दौरान अनंत चतुर्दशी व्रत को लेकर सुबह से ही भगवान की पूजा करने के लिए मंदिरों में श्रद्धालुओं पहुंचे.अनंत चतुर्दशी व्रत को लेकर सभी घरों में पूआ-पकवान बनाये गये. महिलाएं पवित्र ढंग से तैयार किये गये आटे से पूड़ी व पूआ बनाया व इसे भगवान पर चढ़ाया गया. इसके बाद लोगों ने प्रसाद रूप में पूआ-पकवान को ग्रहण किया.पंडित ललित नारायण झा ने बताया कि 14 गांठ वाले धागे को बाजू में बांधने से भगवान विष्णु जो आदि व अनंत से परे हैं, उनकी कृपा प्राप्त होती है. अनंत चतुर्दशी का संबंध महाभारत काल से भी है. कौरवों से जुये में हारने के बाद पांडव जब वन-वन भटक रहे थे, तब एक दिन श्रीकृष्ण पांडवों के पास आये व युधिष्ठिर से कहा कि हे धर्मराज जुआ खेलने के कारण देवी लक्ष्मी आपसे नाराज हो गयीं हैं.इन्हें प्रसन्न करने लिए आपको अपने भाइयों के साथ अनंत चतुर्दशी का व्रत रखना चाहिए. तब पांडवों ने यह व्रत रखा था. श्रीकृष्ण कहते हैं कि भाद्र शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन कच्चे धागे में 14 गांठ लगाकर कच्चे दूध में डूबोकर ओम अनंताय नमः मंत्र से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. इससे सभी समस्याएं दूर होती हैं.