सेवा समाप्ति किए जाने से नाराज कोविड-19 कर्मचारियों ने किया एक दिवसीय प्रदर्शन… मांग पूरी ना होने पर उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

जांजगीर-चांपा, 29 जुलाई, 2021/ सेवा  वृद्धि न किए जाने नाराज कोविड स्वास्थ्य कर्मियों ने अब शासन प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जांजगीर-चांपा जिले के  कोविड स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा सेवा वृद्धि न किए जाने की वजह से  सोमवार को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन करते हुए राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम पर जांजगीर SDM  को ज्ञापन सौंपा . साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा है कि अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता है तो वह आने वाले दिनों में उग्र आंदोलन की भी तैयारी कर रहे हैं. इस एक दिवसीय आंदोलन में जिले के सभी अस्थाई कोविड कर्मचारी  शामिल रहें.

क्या है कोविड 19 कर्मचारियों की मांग
3 माह अस्थाई रूप से पदस्थ किए गए कोविड-19 कर्मचारी जिन्हें अब कार्य करते हुए 9 से 10 माह हो चुके हैं . उनकी मांग है कि तीन-तीन माह के लिए संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के रूप से पदस्थ किए जाने की प्रक्रिया को हटाकर अब उन्हें नेशनल हेल्थ मिशन के विभिन्न योजनाओं में सम्मिलित कर उन्हें कार्य पर निरंतर रखा जाए.

कोरोना काल में जिन्होंने संभाला मोर्चा अब दर-दर भटकने पर मजबूर
 जिन्होंने कोरोना काल के दौरा अपनी जान की परवाह किए बगैर जिन कोरोना योद्धाओं ने लोगों का साथ दिया जिन्होंने विपदा की घड़ी में आगे आकर मानव सेवा की आज वह अपने रोजगार को लेकर दर्द को भटकने पर मजबूर हो रहे हैं जो छत्तीसगढ़ सरकार युवाओं को रोजगार देने की बात कहती हो बेरोजगारी दर घटाने की बात कहती हो आज वही छत्तीसगढ़ सरकार कोरोना योद्धाओं का रोजगार छिन उन्हें बेरोजगार बना रहे हैं दरसल में प्रदेश में कोरोना  संक्रमण दर कम होने पर अब अस्थाई रूप से पदस्थ किए गए स्वास्थ्य कर्मियों की सेवा समाप्ति की जा रही है जिसकी वजह से स्वास्थ्य कर्मियों में अच्छा खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है. अब स्वास्थ्य कर्मी प्रदेश स्तर पर आंदोलन की तैयारी में हैं बिलासपुर में पिछले कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं वहीं जांजगीर-चांपा जिले में 26 जुलाई को जिला स्तरीय आंदोलन  प्रदर्शन करते हुए राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और ऐसे ही प्रदेश के अलग-अलग जिलों में भी अब आंदोलन की तैयारी चल रही है. स्वास्थ्य कर्मियों की मांग है कि  एनएचएम के तहत विभिन्न योजनाओं में उन्हें सम्मिलित कर उन्हें कार्य पर निरंतर रखा जाए और यह आंदोलन जिला स्तर से शुरुआत होकर प्रदेश स्तर की तैयारी चल रही है.

कोरोना योद्धाओं की गुहार कोई सुनने वाला नहीं
आपको बता दें कि कोविड स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा अपनी सेवा वृद्धि की मांग को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला पंचायत सीईओ कलेक्टर के साथ-साथ क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि कैबिनेट मंत्री मुख्यमंत्री और राज्यपाल के भी नाम ज्ञापन सौंपा जा चुका है लेकिन अब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो सकती प्रदेश में अभी भी कोरोना का कहर जारी है ऐसे हालात में सेवा समाप्ति किया जाना भी समझ से परे है.

अगर मांग पूरी नहीं तो करेंगे और बड़ा उग्र आंदोलन
छत्तीसगढ़ कोविड-19 कर्मचारी संघ के जांजगीर चांपा के जिलाध्यक्ष अनीता राठौर ने बताया कि आज वे 30 जून के बात से घर में बैठे हैं सेवा बृद्धि की मांग को लेकर कई बार अधिकारियों के दफ्तर गए जिला के प्रभारी मंत्री जी से भी मिले लेकिन अब तक उनकी मांगों को कोई सुनने वाला नहीं है सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है लेकिन अब तक उनकी सेवा वृद्धि का कोई भी आदेश नहीं आया .उन्होंने बताया कि कोरोना काल के दौरान कोविड स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों की सेवा की लेकिन बदले में उन्हें सरकार ने बेरोजगार कर दिया हम सभी की मांग है कि हमें एनएचएम में मर्ज कर हमारी सेवा जारी रखा जाए और अगर हमारी मांग पूरी नहीं होगी तो हम भविष्य में उग्र आंदोलन के लिए भी बाध्य होंगे.

जिले में संक्रमण दर कम  नहीं हुआ बल्कि चल रहा फर्जी आंकड़ों का खेल
भले ही स्वास्थ्य विभाग बड़े पैमाने में कोरोना  जांच की दावे तो कर रही है . मगर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मरीजों की जांच करने के बजाए कोरोना के नेगेटिव जांच के फर्जी आंकड़े भेजे जा रहे हैं और यही फर्जी आंकड़े की वजह से जिले में कोरोना संक्रमण को कम दिखाया जा रहा है जबकि वर्तमान में आज भी जांजगीर-चांपा जिले से लगातार संक्रमित मरीजों के सामने आ रहे हैं जिसका रेशियो बहुत कम दिखाया जा रहा है .आपको बता दें कि जितने मरीजों की जांच की जा रही है अगर उन मरीजों की जांच के विषय पर जांच की जाए तो बहुत से मामले फर्जी सामने आएंगे जानकारी यह भी मिली है कि एक ही मरीज के नाम से कई बार जांच होने का भी मामला सामने आया है वहीं अगर एक परिवार से कोई एक करुणा संक्रमित हो तो परिवार के अन्य सदस्यों की जांच करने के बजाए उन्हें यह कर कर दवाई दे दिया जाता है कि आप की जांच की आवश्यकता नहीं है जबकि कांटेक्ट ट्रेसिंग के तहत संक्रमित मरीजों के संपर्क में आए व्यक्तियों की जांच होना चाहिए.जो कि जिले में होता दिखाई नहीं दे रहा है. वैसे भी तीसरी लहर को लेकर जिले में तैयारी चल रही है लेकिन बगैर जाए फर्जी आंकड़ों से कोरोना के तीसरी लहर की इस जंग को आखिर कैसे जीता जा सकता है इस पर भी सवालिया निशान खड़ा होता है. 

वेतन के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने पर मजबूर
जिले के कई कोविड कर्मचारियों को अब तक 3 से 4 माह तक का वेतन नहीं मिल पाया है जिसके लिए लगातार वह मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं. वहीं अधिकारियों द्वारा केवल आश्वासन दिया जा रहा है लेकिन तीन-चार माह से वेतन ना मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति भी अब खस्ताहाल हो चुकी है. उनका कहना है कि एक तरफ सेवा समाप्ति तो वहीं दूसरी ओर 3 से 4 माह के वेतन के लिए चक्कर काटना यह कहां का न्याय है.

तीसरी लहर की तैयारी स्वास्थ्यकर्मियों को बाहर निकालकर

भले ही सरकार और जिला प्रशासन कोरोना की तीसरी लहर की तैयारी की दम तो भर रहे हैं लेकिन उस दम में कितना  दम है इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है जहां जिन कोरोना स्वास्थ्य कर्मियों ने कोरोना  की पहली और दूसरी लहर का मोर्चा संभाला था अब उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जिले में कोरोना की तीसरी लहर की कैसी तैयारी होगी पूर्णा की दूसरी लहर में जिले में सैकड़ों मरीजों की मौत का भी मामला सामने आया न ही सरकार न ही जिला प्रशासन अब तक उससे सबक नहीं ले सकी.

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