हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र :- डेढ़ साल का छोटा बच्चा और एनएमओं (न्यूरोमाइलाइटिस ऑप्टिका) जैसी गंभीर बीमारी। जो लाइलाज बताई जाती है। ऐसे में कोई जीने की आशा कैसे कर सकता है मगर जगाधरी जिले की रहने वाली अनीता को आयुर्वेदिक इलाज से जीवन में एक नई रोशनी दिखाई दी है। जो पिछले 13 साल से न्यूरोमाइलाइटिस ऑप्टिका बीमारी से ग्रसित थी। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर के एक हिस्से में कुछ महसूस न होना और एक या दोनों आंखों में अंधापन हो जाता है। मगर आयुर्वेदिक इलाज से अनीता आज बिल्कुल स्वस्थ हैं। इलाज अभी भी जारी है।
जगाधरी जिले के मानकपुर की रहने वाली अनीता को एनएमओ बीमारी 2009 में हुई थी। तब अचानक से दाएं पैर में सर्द व गर्म का महसूस होना बंद हो गया और वह सूनापन धीरे-धीरे कमर तक पहुंच गया। इसके साथ ही आंखों से दो-दो नजर आने लगे। जिले के कई डॉक्टरों से इलाज चला, मगर कोई फर्क नहीं पड़ा। अगस्त 2009 में ही पीजीआई चंडीगढ़ से एमआरआई कराई। जिसके बाद अनीता को अपनी गंभीर बीमारी का पता चला।
अनीता ने बताया कई महीनों तक पीजीआई से इलाज चला। नियमित दवाइयां लेने पर ठीक भी हो गई। इसके बाद 2015 में बीमारी फिर उभरी और मैं खड़े-खड़े गिर जाती थी। कमर में असहनीय दर्द निकलता था। उस समय मेरा बेटा भी मात्र डेढ़ साल का था। दोबारा पीजीआई में टेस्ट चले। अधिक क्षमता वाले स्टीरोइड दी गई। साल बाद स्वास्थ्य में सुधार हुआ। मगर 2021 में फिर उसी स्थिति में पहुंच गई। चलते-चलते चक्कर आने लगे। इसके बाद जब पूनः पीजीआई में उपचार चला, तो डॉक्टरों ने इस बार मुझे एनएमओ रोगी के बजाय एमएस (मल्टीपल स्केलेरोसिस) के लक्षण वाला मरीज बताया। नियमित रूप से दवाई खाने के बाद भी स्वास्थ्य में इस बार कोई सुधार नहीं आया। अब तो जीने की आशा ही खत्म हो चुकी थी।
तब अगस्त 2021 में अनीता श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. बलदेव कुमार के पास इलाज के लिए आई थी। उन्होंने पूरी केस का अध्ययन कर आयुर्वेदिक इलाज किया। 15 दिन के भीतर ही अनीता को पैरो में ठंडा-गरम का अहसास महसूस होने लगा। कमर व सिर का दर्द खत्म हो गया है। शरीर में कमजोरी भी नहीं रहती। अब वह पहले के मुकाबले स्वस्थ है। इलाज अभी भी जारी है।
शरीर में नई ताजगी और स्फूर्ति रहती है – अनीता
अनीता ने बताया कि मुझे दूसरा जीवन मिला है। आयुर्वेदिक इलाज से शरीर में नई ताजगी और स्फूर्ति महसूस होती है। पहले अकेले बाहर जाने पर भी डर लगता था और सिर में दर्द उभर जाता था। मगर अब खान-पान की आदतों, व्यायाम व आयुर्वेदिक उपचार मैं स्वस्थ हूं। पूरा दिन घूमने पर भी कोई थकावट या सर में दर्द नहीं होता।
रोग की चिकित्सा नहीं, आयुर्वेद में व्यक्ति की चिकित्सा की जाती है – डॉ. बलदेव कुमार
कुलपति प्रो डॉ. बलदेव कुमार ने बताया कि मानकपुर वासी अनीता साल 2021 अगस्त महीने में इलाज के लिए आई थी। तब उसकी स्थिति बड़ी गंभीर थी। चलने में असमर्थ, सर व कमर में दर्द रहना। शरीर के एक भाग में तो सूनापन था। आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ लक्षण और कारण की पहचान की जाती है। अनीता को वात व्याधी से मिलता-जुलता रोग है। वात में भी बहुत सारे रोग आ जाते हैं। यहां उसी का इलाज किया गया है। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में रोग की चिकित्सा नहीं की जाती। बल्कि व्यक्ति की चिकित्सा की जाती है। वर्तमान में व्यक्ति के शरीर में रोगों का पनपना गलत खानपान की आदतों के कारण हैं। इसलिए व्यक्ति को अपना आहार-विहार ठीक रखना चाहिए। तब वह अनेक प्रकार के रोगों से बचा रह सकता है।