मध्य प्रदेश /रीवा// पंचायतों का एक और बड़ा फर्जीवाड़ा – प्रशासकीय समिति गठन में हुआ बड़ा फर्जीवाड़ा,
ब्यूरो चीफ //राहुल कुशवाहा रीवा मध्य प्रदेश…8889284934
कैथा में 18 पंचों में मात्र 13 को सम्मिलित कर बना डाली फर्जी प्रशासकीय समिति // सरपंच ने निर्वाचित पदाधिकारियों को किनारे कर की बड़ी बाजीगरी // कलेक्टर भी रह गए सन्न, अब बैठा दी जांच//*
दिनांक 02 मार्च 2021, स्थान रीवा मप्र
अमूमन ग्राम पंचायतों में व्यापक स्तर का भ्रष्टाचार देखा जा रहा है। यदि बात करें पंचायती कार्यों में अनियमितता और धांधली की तो लगभग हर पंचायत में कुछ न कुछ धांधली देखने को मिलती है। लेकिन शायद इसका अंदाजा किसी ने भी नहीं लगाया होगा कि वर्ष 2015 में निर्वाचित पंचायत के कार्यकाल समाप्त होने के बाद 2020 में मप्र सरकार द्वारा सभी 23922 ग्राम पंचायतों में प्रशासकीय समिति गठन करने के लिए सर्कुलर जारी किया गया था जिसमें सभी पंचों को अनिवार्य रूप से उस प्रशासकीय समिति के सदस्य के रूप में रखा जाना था लेकिन वर्तमान में मध्य प्रदेश की कैथा ग्राम पंचायत एक ऐसी ग्राम पंचायत के रूप में सामने आई है जहां प्रशासकीय समिति के गठन में कुल 18 वार्ड में से 5 वार्ड को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया और जानबूझकर मात्र 13 वार्ड के सदस्यों को रखा गया जो निष्कासित कैथा सरपंच संत कुमार पटेल के पक्ष के थे। ऐसा इसलिए किया गया जिससे पंचायत के कार्यों में बंदरबांट किया जा सके और जमकर भ्रष्टाचार किया जा सके।
कैसे पता चला प्रशासकीय समिति में सदस्यों की संख्या का फर्जीवाड़ा
इस बात का खुलासा तब हुआ जब निष्कासित सरपंच संत कुमार पटेल और निलंबित सचिव अच्छेलाल पटेल के बाद दिनांक 4 मार्च 2021 को अनुविभागीय एवं दंडाधिकारी तहसील मनगवां अखिलेश कुमार सिंह के आदेश के उपरांत निर्वाचित पंचों के द्वारा पुनः नए सरपंच का चुनाव किया जाना था। नए सरपंच के चुनाव में जो सूची उपलब्ध करवाई गई उसमें प्रशासकीय समिति में मात्र 13 पंच दर्शाए गए थे जिससे प्रशासकीय समिति में न रखे हुए 5 पंचों ने आपत्ति कर दी। इसके बाद एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी ने मामले की शिकायत जिला कलेक्टर रीवा डॉक्टर इलैयाराजा टी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा स्वप्निल वानखेडे एवं अनुविभागीय एवं दंडाधिकारी तहसील मनगवां अखिलेश कुमार सिंह के समक्ष कर दी और कार्यवाही की माग की गई।
पंचायत इंस्पेक्टर की जांच में खुली पोल, पंचों ने दिए बयान
मामले की शिकायत पहुंचते ही सरकारी अमला एक्शन में आ गया और आनन-फानन में पीसीओ भारत पटेल को नोटिस जारी कर दिया गया। जांच की जिम्मेदारी पंचायत इंस्पेक्टर बालेंद्र पांडेय को दे दी गई। दिनांक 2 मार्च 2021 को पंचायत इंस्पेक्टर बालेंद्र पांडेय ग्राम पंचायत कैथा मौके पर जांच करने के लिए उपस्थित हुए। जांच के दौरान पंचायत इंस्पेक्टर ने वंचित ग्राम पंचायत कैथा के पंच यज्ञभान पटेल, रामानुज केवट, कैलाश केवट, प्रसन्नलाल केवट के बयान और कथन दर्ज किये। बयान-कथन के दौरान उक्त पंचों ने निर्वाचन के समय भारत पटेल के द्वारा हस्ताक्षरित रसीद और पावती भी दिखाएं जिससे यह स्पष्ट हुआ कि उक्त पांचों पंच अपना पर्चा दाखिल किए थे। रामानुज केवट ने तो अपनी पासबुक दिखाते हुए बताया कि पंच-सरपंच मानदेय के नाम पर उसके खाते में 600 रुपये आ भी चुके हैं जिसका वह आहरण भी कर चुका है। इस प्रकार यह स्पष्ट हुआ कि वंचित 5 पंचों के द्वारा जो आपत्ति की गई थी वह सत्य थी और जानबूझकर निष्कासित कैथा सरपंच संत कुमार पटेल के द्वारा तत्कालीन जनपद पंचायत के सीईओ और अन्य अधिकारियों से मिलकर फर्जी और गलत प्रशासनिक समिति का गठन कर राशि का बंदरबांट किया गया। सबसे ताज्जुब की बात यह रही की पंचायत इंस्पेक्टर की जांच के दौरान उपस्थित उक्त पांचों पंचों ने बताया कि वर्ष 2015 से लेकर आज दिनांक तक उन्हें किसी भी प्रकार से पंचायत के कार्यों जैसे ग्राम सभा की मीटिंग और किसी भी प्रकार से जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गई जिससे कि उन्हें भी पता चले कि वह भी ग्राम पंचायत की सभा के सदस्य थे।
अन्य कितने पंचायतों में हुआ है फर्जी प्रशासकीय समिति का गठन
अब देखना यह होगा कि जिस प्रकार से गंगेव जनपद की कैथा ग्राम पंचायत में मामला सामने आया है और 18 पंचों में से मात्र 13 पंचों से ही प्रशासकीय समिति का गठन किया जा कर फर्जी तरीके से राशि का आहरण संवितरण किया गया है ऐसे ही मध्य प्रदेश की 23922 पंचायतों में से अन्य कितनी पंचायतों में अवैधानिक तरीके से प्रशासकीय समिति का गठन किया गया और कैसे शासन की राशि का चूना लगाया गया यह अभी देखा जाना है ।
जाहिर है प्रशासकीय समिति के दौरान समस्त आहरण 100 प्रतिशत रिकवरी की श्रेणी में
अब एक बात तो अच्छी तरह से स्पष्ट हो गई है जिस प्रकार फर्जी और गलत तरीके से ग्राम पंचायत में 18 पंचों में से मात्र 13 पंचों को ही रखते हुए प्रशासकीय समिति का अवैधानिक गठन किया जा कर राशि का बंदरबांट किया गया है ऐसे में निश्चित तौर पर प्रशासकीय समिति के कार्यकाल के दौरान जो भी कार्य करवाए गए और उनके नाम पर राशि का आहरण किया गया वह समस्त राशि वसूली की श्रेणी में आती है। कैथा के मामले में जहां पहले ही 17 लाख 92 हजार रुपए बंदरबांट के लिए तत्कालीन एवं निष्कासित सरपंच संत कुमार पटेल एवं तत्कालीन निलंबित सचिव पटेल के ऊपर आधी-आधी रिकवरी बनाई गई है और उनके ऊपर धारा 409, 420 भारतीय दंड संहिता के विधान के अंतर्गत एफ आई आर दर्ज करवाई गई है ऐसे में इस नए मामले के सामने आने के बाद जिला कलेक्टर रीवा डॉक्टर इलैया राजा टी एवं जिला पंचायत सीईओ स्वप्निल वानखेडे इस मामले पर क्या कार्यवाही करते हैं। यदि सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी की मानें तो इस मामले को लेकर उनके द्वारा शिकायत की गई है जिसका ईमेल और व्हाट्सएप के माध्यम से जिम्मेदारों को अवगत करा दिया गया है।
द्विवेदी ने दोषियों के विरुद्ध एक बार पुनः एफ आई आर दर्ज करवाने की माग की है और समस्त राशि की रिकवरी की भी माग की है।