बिहार:ग्रामीण लोगों को जागरूक कर कोविड-19 टीका लगवा रही सुरक्षा प्रहरी आरेफा

  • लोगों की बैठक आयोजित कर बता रही टीकाकरण के फायदे
  • स्वयं टीका लगावाकर जगाया टीकाकरण पर विश्वास
  • जागरूक होकर टीका लगवा रहे स्थानीय लोग
  • टीका लगवा चुके लोग भी अन्य को कर रहे जागरूक

पूर्णिया संवाददाता

कोविड-19 टीका लोगों को संक्रमण से सुरक्षित रहने का एकमात्र विकल्प है। ऐसे में सभी लोगों को आगे बढ़कर सरकार द्वारा चलाए गए कोविड-19 टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में सहयोग करना चाहिए और अपना जीवन संक्रमण से सुरक्षित करना चाहिए। लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां लोग टीका लगाने से परहेज करना चाहते हैं। ऐसे लोगों को समय रहते टीका लगाया जा सके इसके लिए उन्हें कोविड-19 टीकाकरण की सही जानकारी मिलना जरूरी है। लोगों को टीकाकरण की सही जानकारी देते हुए उन्हें टीका लगवाने में आरेफा खातून की मेहनत सफल हो रही है। आरेफा की मेहनत का यह नतीजा रहा कि जिले के बायसी प्रखंड, चोपड़ा पंचायत अंतर्गत लगभग दो हजार लोगों की जनसंख्या वाले अल्पसंख्यक समुदाय के गांव गुड़िहाल में लगभग सभी लोगों द्वारा कोविड-19 टीका लगवाया गया है। इतना ही नहीं आरेफा से टीकाकरण की सही जानकारी लेकर टीका लगाने वाले लोग टीका लगवाने के बाद अन्य लोगों को भी टीकाकरण के लिए जागरूक कर रहे और लोगों को टीका लगवा रहे हैं।

सही जानकारी लोगों को टीकाकरण में लाया आगे :
जिले के बायसी प्रखंड के चोपड़ा पंचायत में स्थित गुड़िहाल गांव अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र है। यहां के ज्यादातर लोग अशिक्षित हैं। क्षेत्र के लोगों में टीकाकरण के प्रति अन्य तरह के बहुत से अफवाहों ने अपनी जगह बना ली थी। उसी गुड़िहाल गांव की निवासी आरेफा खातून को घोघरिया प्रखंड स्वराज्य विकास संघ(जीपीएसभीएस) द्वारा चोपड़ा पंचायत में सुरक्षा प्रहरी के रूप में नियुक्त किया गया और उन्हें लोगों को टीकाकरण के लिए जागरूक करने की जिम्मेदारी दी गई। आरेफा खातून ने बताया प्रखंड स्तर पर हमें कोविड-19 वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण की उपयोगिता की जानकारी दी गई। हमें बताया गया कि सरकार द्वारा लोगों को लगाए जा रहे टीका लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है जो लोगों को संक्रमण से लड़ने में सहायक होता है। हमारे क्षेत्र के ज्यादातर लोग अशिक्षित हैं और टीकाकरण के बारे में उनका मानना था कि टीका लगाने से लोग बीमार हो जाएंगे|कुछ लोग यह भी सोचते थे कि कोविड-19 टीका से लोगों की पौरुषता समाप्त हो जाएगी। आरेफा खातून ने बताया मैंने लोगों को जागरूक करने के लिए उनके बीच छोटी-छोटी बैठकें आयोजित की जिसमें महिला, पुरुष, बुजुर्ग सभी को शामिल किया। मैंने उन्हें बताया कि टीका लगाने से लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। यह सिर्फ संक्रमण से सुरक्षित रखने में सहायक है। जिस तरह बच्चों को पोलियो की टीका जरूरी है उसी तरह अब बड़ों को भी संक्रमण से सुरक्षित रहने के लिए कोविड-19 का टीका जरूरी है। कुछ लोगों का टीका लगाने के लिए राजी होने के बाद मैं उन्हें टीकाकरण केंद्र लेकर गई और टीका लगवाया। टीका लगाने के बाद थोड़ा बुखार, हाथ/सर दर्द से उबरने के लिए एएनएम द्वारा लोगों को दवाइयां भी दी गई। कुछ लोगों को टीका लगाने के बाद कुछ समस्या हुई लेकिन एएनएम द्वारा दी गई दवाई के साथ वह जल्द स्वास्थ्य हो गए। इससे लोगों का टीका पर विश्वास बढ़ा और वह अपने आसपास के लोगों को भी टीका लगवाने के लिए जागरूक करने लगे।

स्वयं टीका लगावाकर जगाया टीकाकरण पर विश्वास :
स्थानीय गुड़िहाल के निवासी 50 वर्षीय इरफ़ान ने कहा मैं टीका लगाने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं था और न ही अपने परिवार के अन्य सदस्यों को टीका लगाने की इजाजत दी थी। आरेफा द्वारा मुझे टीका लगाने से होने वाले फायदों की जानकारी दी गई लेकिन फिर भी मैंने टीका लगाने मना कर दिया। मेरे मना करने पर भी आरेफा प्रतिदिन मेरे घर आकर मुझे टीका लगाने का निवेदन करती थी। बहुत दिन मुझे टीका लगाने का आग्रह करने पर मैंने उन्हें पूछा कि “क्या उसने टीका लगवा लिया है?” तो उसने मुझे बताया कि उन्हें टीका लगाने का वक़्त नहीं मिल पाया है लेकिन उसके घर के सभी लोगों ने टीका लगा लिया है। “आरेफा ने मेरे साथ ही टीका लगवाने का वादा किया और मुझे लेकर टीकाकरण स्थल पर गई और पहले खुद टीका लगाया फिर मुझे भी टीका लगवाया।” टीका लगाने के बाद मुझे किसी तरह की परेशानी नहीं हुई। फिर मैंने अपने परिजनों को भी टीका लगवाया और अन्य लोगों को भी टीका लगाने का निवेदन करता हूँ।

अकेले की थी शुरुआत, अब बन गई है टीम :
आरेफा खातून ने बताया मैंने गांव में अकेले लोगों को टीकाकरण के लिए जागरूक करने का बीड़ा उठाया था। मैं लोगों को टीकाकरण केंद्र तक लेकर जाती थी और टीका लगवाती थी। टीकाकरण केंद्र पर भी मैं लोगों को संक्रमण से सुरक्षा के मानकों जैसे मास्क लगाना, दो गज की सामाजिक दूरी आदि का ध्यान रखने का संदेश देती थी। इसके अलावा एएनएम से टीका लगाने के बाद किसी तरह की समस्या से निपटने के लिए आवश्यक दवाइयों का भी संग्रह कर लिया था और अगर किसी को जरूरत होती थी तो मैं स्वयं उसे दवाएं देती थी। कुछ लोगों का टीका लगाने के बाद कोई परेशानी नहीं होने के बाद अन्य लोग भी टीकाकरण में शामिल होने लगे। इसके साथ ही टीका लगा चुके लोग अपने आसपास के लोगों को टीकाकरण के लिए जागरूक करने लगे। इसका यह नतीजा रहा कि गांव के अधिकतर लोगों द्वारा टीका लगवा लिया गया है। पहला डोज ले चुके लोग अब अपने दूसरे डोज के लिए भी तैयार हैं। मैं आसपास के अन्य क्षेत्रों में भी लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रही हूं जिससे कि सभी लोग टीका लगा सकें और हम कोविड-19 संक्रमण को जड़ से समाप्त कर सकें।

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