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दुनिया का सर्वश्रेष्ठ कर्म है यज्ञ -स्वामी देवव्रत सरस्वती।
कुरुक्षेत्र, 20 जून : 2024-गुरुकुल कुरुक्षेत्र में चल रहे राष्ट्रीय शिविर में आज सभी आर्य वीरांगनाआंे को यज्ञ-हवन करने का विशेष प्रशिक्षण दिया गया, साथ ही उन्हें यज्ञ करने से होने वाले अनेक लाभों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी गई। कन्या गुरुकुल से पधारीं बहन मीनू आर्या के ब्रह्मत्व में सम्पन्न हुए प्रातःकालीन सन्ध्या-हवन में सभी आर्य वीरांगनाओं ने उत्साह से भाग लिया और गोघृत व साकल्य सामग्री से आहूति देकर समस्त विश्व के कल्याण की कामना की। ज्ञात रहे गुरुकुल कुरुक्षेत्र में महामहिम राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत जी की प्रेरणा से सार्वदेशिक आर्य वीर दल के अध्यक्ष स्वामी डाॅ. देवव्रत सरस्वती के मार्गदर्शन में 400 युवतियों का यह शिविर चल रहा है जिसका संचालन मुख्य रूप से सार्वदेशिक आर्य वीरांगना दल की प्रधान संचालिका श्रीमती व्रतिका आर्या द्वारा किया जा रहा है। गुरुकुल कुरुक्षेत्र प्रबंधक समिति सहित मुख्य संरक्षक संजीव आर्य, भजनोदेशक जयपाल आर्य, जसविन्द्र आर्य, वेद प्रचारक मनीराम आर्य आदि भी शिविर संचालन में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
स्वामी देवव्रत सरस्वती ने बताया कि यज्ञ दुनिया का सर्वश्रेष्ठ कर्म है और अब तो वैज्ञानिकों ने भी इस सत्य को स्वीकार किया है। वैज्ञानिकों ने माना है कि यज्ञ के दौरान यज्ञ-कुण्ड में गोघृत और सामग्री डालने से बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन उत्सर्जित होती है, जिससे दूषित वातावरण भी शुद्ध हो जाता है। यज्ञ करने से जहां आत्मिक शांन्ति प्राप्त होती है वहीं यह पर्यावरण के लिए भी हितकारी है। जिन घरों में नित्य-प्रति सन्ध्या-यज्ञ होती है, वह घर सुख-समृद्धि से परिपूर्ण होता है और बच्चे संस्कारवान् होते हैं। उन्होंने कहा कि प्राचीनकाल में हवन हमारी दिनचर्या का हिस्सा हुआ करता था, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम चन्द्र, योगिराज श्रीकृष्ण आदि नित्य हवन करते थे। आज भी यदि हमें अपने पर्यावरण को साफ-स्वच्छ और युवा पीढ़ी को संस्कारों से पोषित करना है तो वैदिक संस्कृति को अपनाना होगा, वेदों की ओर लोटना होगा। उन्होंने शिविर में प्रशिक्षण ले रही वीरांगनाओं से भी आह्वान किया कि शिविरोपरान्त अपने घर, गांव, नगर में जाकर प्रतिदिन यज्ञ अवश्य करें और दूसरों को भी हवन करने के लिए प्रेरित करें।