आर्यवीर दल और वेद प्रचार के विस्तार से आर्य समाज को मिलेगी नई पहचान : महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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गुरुकुल कुरुक्षेत्र में हुआ आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा की भावी योजनाओं पर मंथन।
कुरुक्षेत्र, 27 दिसम्बर : आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा की काॅलेजियम सदस्यों एवं कार्यकारिणी की एक अहम विचार गोष्ठी आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र में सभा प्रधान सेठ राधाकृष्ण आर्य की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई जिसमें सभा की भावी कार्ययोजनाओं पर मंथन किया गया। विचार गोष्ठी में उपस्थित काॅलेजियम सदस्यों को महामहिम राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत का आर्शीवचन भी प्राप्त हुआ। इस अवसर पर सभा प्रधान सेठ राधाकृष्ण आर्य, उपप्रधान देशबन्धु मदान, मंत्री उमेद शर्मा, उपमंत्री अनुराग आर्य, कोषाध्यक्ष सुमित्रा आर्या, सतीश बंसल सहित राममेहर आर्य, जितेन्द्र कादियान, बलवान आर्य, देवदत्त आर्य, नायब सिंह, विजयपाल, रमेश आर्य, विरेन्द्र आर्य, रघुबीर आर्य, डाॅ0 राजिन्द्र विद्यालंकार, जगदीश आर्य, शिवकुमार आर्य, आचार्य ऋषिपाल, जयदेव आर्य और जगदेव आर्य सहित सभी 105 काॅलेजियम सदस्य मौजूद रहे। मंच संचालन डाॅ. राजिन्द्र विद्यालंकार जी द्वारा किया गया। वहीं गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग, मुख्य अधिष्ठाता दिलावर सिंह, उप प्रधान सतपाल काम्बोज, व्यवस्थापक रामनिवास आर्य, मुख्य संरक्षक संजीव आर्य, महाश्य जयपाल आर्य, जसविन्द्र आर्य, मनीराम आर्य भी उपस्थित रहे। गुरुकुल में पहुंचने पर प्रधान राजकुमार गर्ग ने सभी काॅलेजियम सदस्यों का जोरदार स्वागत किया।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा आर्य समाज को नई गति देने के लिए वेद प्रचार और आर्य वीरदल के कार्य को विस्तार देना होगा। आर्य वीर दल युवाओं के लिए आर्य समाज में आने का एक मुख्य द्वार है जो स्कूल, काॅलेज में शिविर लगाकर ज्यादा से ज्यादा युवाओं को शारीरिक और चारित्रिक रूप से न केवल मजबूत बनाता है बल्कि उनके अच्छे विचारों का सूत्रपात करता है। आर्य वीर दल के शिविरों में आने वाले युवा देश के सभ्य नागरिक बनकर राष्ट्र को उन्नति के मार्ग पर ले जाने का कार्य करेंगे। आज युवाओं को सबसे ज्यादा अच्छे विचारों की आवश्यकता है जो केवल आर्य समाज के माध्यम से उन्हें दिये जा सके हैं। आर्य समाज को विश्व का सबसे बड़ा संगठन है और श्रेष्ठजनों का समूह है। आर्य समाज के वेद प्रचार कार्य को भी नई गति देने की आवश्यकता है। एक समय था जब आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के पास 80 भजन-मंडली होती थी जो गांव-गांव जाकर ऋषि दयानन्द और आर्य समाज का प्रचार-प्रसार करती थी। आज आर्य समाज ने वेद प्रचार की परम्परा को भुला सा दिया है। उन्होंने सभा के नवनिर्वाचित प्रधान सेठ राधाकृष्ण आर्य से अनुरोध किया कि सभा द्वारा वेद प्रचार के कार्य को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाएं जिससे लोगों में आर्य समाज की पुरानी पहचान जीवट हो सके। उन्होंने आर्य प्रतिनिधि सभा के सभी सदस्यों को विश्वास दिलाया कि आर्य समाज के कार्य हेतु कहीं भी अगर उनके किसी सहयोग की अपेक्षा है तो निःशंकोच कहें, वह समाज के कार्य हेतु हर समय तैयार हैं।
आचार्यश्री के उद्बोधन से पूर्व डाॅ. राजेन्द्र विद्यालंकार ने आर्य समाज के इतिहास और वर्तमान परिपेक्ष्य में आर्य समाज की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत ने जिस प्रकार से कठिन परिश्रम और पुरुषार्थ से गुरुकुल कुरुक्षेत्र को जर्जर अवस्था से आज हरियाणा का नंबर वन गुरुकुल बनाया है, उनसे प्रेरणा लेकर उसी सभा को दूसरी शिक्षण संस्थाओं में भी यह परिवर्तन करना चाहिए। उन्होंने सभी सदस्यों से अनुरोध किया कि सकारात्मक सोच के साथ आर्य समाज की उन्नति के लिए कार्य करें और ऋषि दयानन्द के संदेश को जन-जन तक पहुंचाएं।