नैरोबी मक्खी से फैलने वाले संक्रमण की रोकथाम हेतु जागरूकता जरुरी : सीएस

‘नैरोबी मक्खी’ के संक्रमण से बचाव लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से तैयार

अररिया

पश्चिम बंगाल, सिक्किम से लेकर बिहार तक के कई राज्यों में ‘एसिड फ्लाई’ संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है । बंगाल से सटे होने के कारण अररिया में भी संभावित खतरों के प्रति विशेष सतर्कता बरती जा रही है। सिविल सर्जन डॉ विधान चंद्र सिंह ने बताया कि अभी यहां इस प्रकार के मामले सामने नहीं आये हैं। आम लोगों को बचाव के उपायों को लेकर अपील करते हुए उन्होंने कहा कि सभी लोग पूरी बाजू के कपड़े पहनें, शाम को बाहर निकलने से बचें व मच्छरदानी का प्रयोग करें। संक्रमण होने पर तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंच कर अपना इलाज करायें।
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने कहा कि इस संक्रमण के किशनगंज के रास्ते जिले में पहुंचने की संभावना है। उन्होंने कहा कि नैरोबी मक्खी से फैलने वाले संक्रमण की रोकथाम के लिये प्रचार- प्रसार के माध्यम से लोगों को जागरूक करने व सतर्कता हेतु प्रचार प्रसार के लिए निर्देश दिया गया है।
सिविल सर्जन डॉ विधान चंद्र सिंह ने बताया की नै रोबी संक्रमण के जोखिम व इसकी गंभीरता को ध्यान में रखते हुए आम लोगों को इससे बचाव संबंधी उपायों के बारे में जागरूक होना जरूरी है। इसे लेकर विभाग पूरी तरह सतर्क है। उन्होंने कहा कि तेज रोशनी व नम क्षेत्र इन मक्खियों को अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराता है। चूंकि इस समय मानसून देश के ज्यादातर हिस्सों में सक्रिय है, ऐसे में त्वचा से इनके संपर्क को कम किया जाय। आंखों को अनावश्यक रूप से छूने से बचें। मक्खियों के संपर्क में आने के कुछ ही देर में इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टर से सलाह लें। त्वचा में खुजली, चकत्ते या दाने हों तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। घबराएं नहीं, समय पर इलाज मिलने से स्थिति की गंभीरता को कम किया जा सकता है।
सीनियर फिजिशियन डॉ राजेंद्र कुमार ने बताया कि नै रोबी मक्खी मुख्यरूप से पूर्वी अफ्रीका के हिस्सों में पाई जाती है। यह मानव शरीर पर पेडेरिन नामक एक विषैला व अम्लीय पदार्थ छोड़ती है। जिससे त्वचा में गंभीर संक्रमण हो जाता है। पेडेरिन के कारण त्वचा में आग जैसी तेज जलन होती है। अब तक दक्षिणी सुडान में इसके मामले अधिक देखने को मिले हैं। नै रोबी मक्खी आकार में छोटी, नारंगी व काले रंग की होती हैं। ये मक्खियां तेज प्रकाश व नम क्षेत्रों से आकर्षित होती हैं. मक्खी न तो काटती है न ही डंक मारती हैं। इंसानी त्वचा पर बैठने भर से इनमें मौजूद अम्लीय पदार्थ त्वचा पर आ जाता है। जिसके कारण जलन व संक्रमण की स्थिति हो सकती है। त्वचा के संक्रमण के साथ बुखार, तंत्रिकाओं की समस्या, जोड़ों में दर्द और उल्टी जैसी दिक्कतें हो सकती है। आंखों की रोशनी भी इससे जा सकती है।

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