बिहार: विश्व टीबी दिवस पर पूरे जिले में जागरूकता संबंधी कार्यक्रमों का हुआ आयोजन

विश्व टीबी दिवस पर पूरे जिले में जागरूकता संबंधी कार्यक्रमों का हुआ आयोजन

-टीबी उन्मूलन के प्रयासों को जन आंदोलन का रूप देने का हो रहा प्रयास
-शुरुआती दौर में रोग की पहचान व इलाज से बचायी जा सकती है रोगियों की जान

अररिया

विश्व टीबी दिवस के मौके पर गुरुवार को पूरे जिले में जागरूकता संबंधी विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये। विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से जागरूकता रैली निकाली गयी। वहीं जगह-जगह नुक्कड़-नाटक, सामाजिक गोष्ठी व बैठक के माध्यम से टीबी रोग के खतरों के प्रति आम लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया। इसी कड़ी में जिला यक्ष्मा केंद्र से जागरूकता रैली निकाली गयी। सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने रैली को हरी झंडी दिखाकर शहर भ्रमण के लिये रवाना किया। वहीं मौके पर आयोजित विशेष कार्यक्रम का उद्घाटन सीडीओ डॉ वाईपी सिंह, डीआईओ डॉ मो मोईज, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ शुभान अली, डीपीएम एड्स अखिलेश कुमार सिंह, जिला टीबी कॉर्डिनेटर दामोदर प्रसाद सहित अन्य ने सामूहिक रूप से किया।

किसी भी उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है टीबी :

कार्यक्रम के दौरान टीबी मरीजों की पहचान व दवा सेवन को लेकर किये जा रहे प्रयासों को लेकर आशा कार्यकर्ताओं ने अपने अनुभव साझा किये। वहीं बीमारी को मात दे चुके टीबी चैपिंयन ने रोग व इलाज से जुड़े अपने अनुभव लोगों के समक्ष रखा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीडीओ डॉ वाईपी सिंह ने कहा कि टीबी के बैक्टीरिया सांस के जरिये शरीर में प्रवेश करते हैं। रोगी के खांसने, बात करने, छींकने, थूकने के दौरान थूक की छोटी-छोटी बूंदें कई घंटों तक हवा में रह सकते हैं। इस दौरान संपर्क में आने वाले स्वस्थ्य व्यक्ति को ये संक्रमित कर सकता है।

जागरूकता से टीबी के मामलों में कमी संभव :

डीआईओ डॉ मोईज ने कहा कि वर्ष 2025 तक देश में टीबी के मामलों को पूरी तरह खत्म करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि टीबी किसी भी उम्र में लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है। लेकिन जागरूकता की कमी सहित अन्य कारणों से समाज का गरीब तबका रोग से ज्यादा प्रभावित हो रहा है। इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिये सघन अभियान संचालित कर मरीजों की खोज व उनका समुचित इलाज सुनिश्चित कराना जरूरी है। डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ शुभान अली ने कहा कि टीबी नाखून व बाल को छोड़ कर शरीर के किसी अंग को प्रभावित कर सकता है। प्रारंभिक अवस्था में ही इसे नहीं रोका गया तो ये जानलेवा साबित होता है।

समय पर इलाज नहीं होने से जानलेवा हो सकता है टीबी :
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कार्यक्रम का संचालन कर रहे जिला टीबी कॉर्डिनेटर दामोदर प्रसाद ने कहा कि राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत पूरे देश में टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान संचालित किया जा रहा है। इस साल टीबी को खत्म करने के लिये निवेश करें जीवन बचायें की थीम पर विश्व टीबी दिवस आयोजित किया जा रहा है। इसे लेकर पूरे महीने विभिन्न स्तरों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को रोग के कारण, इसके उपचार सहित इसे लेकर संचालित सरकारी योजनाओं के प्रति लोगों को जागरूक करने संबंधी कार्यक्रम संचालित किये गये। डीपीएम एड्स अखिलेख कुमार सिंह ने कहा टीबी संक्रमित व्यक्ति एक साल में कम से कम 10 से 15 लोगों को संक्रमित कर सकता है। सभी सरकारी संस्थानों में टीबी की जांच व नि:शुल्क इलजा की सुविधा उपलब्ध है। साथ ही रोगियों को निक्षय योजना के तहत 500 रुपये प्रति माह आर्थिक मदद उपलब्ध कराने का प्रावधान है। कार्यक्रम में टीबी उन्मूलन की दिशा में बेहतर कार्य के लिये टीबी कॉर्डिनेटर दामोदर प्रसाद, रंजीत रंजन मिश्रा को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में माइक्रोबॉयोलोजिस्ट डॉ धीरज कुमार, वीडीसीओ ललन कुमार, वीबीडी कंस्लटेंट सुरेंद्र बाबू, डब्ल्यूएचओ के विवेक गुप्ता सहित अन्य मौजूद थे।

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