अयोध्या: पिचकारी, अबीर-गुलाल, सिंथेटिक और हर्बल रंगों से सजे बाजार

अयोध्या:———-
पिचकारी, अबीर-गुलाल, सिंथेटिक और हर्बल रंगों से सजे बाजार

-त्यौहार के साथ सेहत का भी रखें ध्यान,

  • नहीं दिखा फाग का राग, फगुआ गीतों से लोगों का ध्यान हटा,
    मनोज तिवारी ब्यूरो चीफ अयोध्या
    रंगों के त्योहार होली का जश्न मनाने के लिए अबीर-गुलाल, सिंथेटिक और हर्बल रंगों से बाजार सज गए हैं। रेडीमेड कपड़ों की दुकान से लेकर पिचकारी की दुकानें बाजारों में भीड़ उमड़ रही हैं।
    बाजार में मिसाइल पिचकारी, ड्रैगन, छोटा भीम, डोरेमोन और टैंक, गन, बैग, बैलून पिचकारी छोटे बच्चे खूब पसंद कर रहे हैं। इसके अलावा गुलाल वाला सिलेंडर की खूब पसंद किया जा रहा है।
    मिठाई की दुकान पर भी कई अलग-अलग तरह की नमकीन और मिठाइयां सज गई हैं। कई नए डिजाइन के सांचे से गुझिया बनाई जा रही हैं। विभिन्न तरह के चिप्स, पापड़, कचरी आदि की भी बिक्री शुरू हो गई है।
    रंगों के पर्व होली पर बाजार सज गए हैं। चौक से लेकर रिकाबगंज तक, सहादतगंज, फतेहगंज, नाका, देवकाली, साहबगंज, रीडगंज,नाका और ग्रामीण क्षेत्रों में बीकापुर, भदरसा, शाहगंज,पुहंपी, रामपुर भगन, तारून,चौरे बाजार हैदरगंज, गोसाईगंज,सुचित्तागंज,सोहावल सहित दूसरे प्रमुख इलाकों में गारमेंट-रेडीमेड और ब्रांडेड कपड़ों के बाजार पर रौनक छाई हुई है।
    युवक-युवतियों, महिलाओं और पुरुषों को आकर्षित करने के लिए नई वैराइटी के साथ ऑफरों की भरमार है। शो-रूमों से लेकर फुटपाथों तक पर जूतों-सैंडिलों की दुकानें लगी हैं। इनके खरीदार आने शुरू हो गए हैं।
    सर्राफा कारोबारी पर्व पर आम दिनों जैसे ही ग्राहक नहीं आने से मायूस हैं। होली को लेकर पिचकारी की दुकानें भी सजी गई है। रंग-बिरंगी व आकर्षक पिचकारियां बच्चों का मन मोहने लगी हैं।
    हालांकि कुछ दुकानदारों के पास पिछले वर्ष का स्टॉक बचा हुआ है। बाजार में मिसाइल पिचकारी, ड्रैगन, छोटा भीम, डोरेमोन और टैंक, गन, बैग, बैलून पिचकारी छोटे बच्चे खूब पसंद कर रहे हैं। इसके अलावा गुलाल वाला सिलेंडर की खूब पसंद किया जा रहा है।
    इस बार बाजार में कलर बम भी आया है। जिससे अलग अलग रंग का गुलाल उड़ता है। साथ ही कई अलग अलग पाइप में लगे रंगीन गुब्बारे बाजार में आए हैं, जिनसे एक साथ बहुत सारे गुब्बारे तैयार हो जाएंगे। बाजार में यह मैजिक बैलून के नाम से मिल रहे हैं।
    चौक के दुकानदारी गोपाल जायसवाल ने बताया कि इस बार 50 रूपये से 2000 रुपये तक की पिचकारी बाजार में उपलब्ध है। बच्चों में नए-नए कार्टून पर आ रही पिचकारी की काफी मांग है।
    खुशबू वाले अबीर गुलाल की भी मांग है। कहा कि दो वर्ष के कोरोना काल के बाद इस वर्ष होली पर अच्छी सेल की उम्मीद लगाई जा रही है। दुकानदार मनोज कसौधन, मुन्ना मोदनवाल, विकास मोदनवाल, शुभम सोनी, वीरेंद्र तिवारी,रामचरित्र तिवारी ने बताया कि ब्रांडेड कंपनियों के गुलाल 200 रुपये से लेकर 350 रुपये प्रति किलो तक व अबीर 200 से लेकर 500 रुपये प्रति किलो की दर से मार्केट में उपलब्ध है।
    लेकिन पुरानी परंपरा को नई युवा पीढ़ी निभाने में सक्षम नहीं दिख रही है पहले फागुन माह लगते ही फगुवा गीतों से हरगांव मोहल्ला गूंजता था लेकिन इस बार लोगों का ध्यान फाग के गीतों से हटा हुआ लग रहा है।
    जिला अस्पताल के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. आरबी वर्मा व आई सर्जन डॉ. राजेश सिंह कहते हैं कि बाजार में बिकने वाले सिंथेटिक रंगों में लेड की प्रमुखता होती है। सिलिकॉन व एजो बेंजीन डाई को मिलाया जाता है।
    यही डाई रंगों को और चटख बनाती है। डाई बालों के प्रोटीन को भी नुकसान पहुंचाता है, जिससे बाल टूटने की समस्याएं बढ़ जाती हैं। रंगों में डाई के अलावा कापर, क्रोमियम, पारा रंगों में मिलने वाले यह तत्व काफी चमकीले होते हैं।
    चेहरे पर रंग लगने के बाद एक अजीब सी शाइनिंग उभर आती हैं। डाई की वजह से लोगों में एलर्जी होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। इस प्रकार के रंगों का अंगों पर लगने से लाल रंग के दाने व चकत्ते निकल आते हैं।
    खुजली व त्वचा में जलन भी होने लगती हैं। सिलिकॉन और लेड अंगों को काट देते हैं, जिसकी वजह से संक्रमित अंगों में वैक्टीरियल इन्फेक्शन होने की आशंका बढ़ जाती हैं। इस प्रकार के रंग आंखों में चले जाएं तो कार्निया को नुकसान पहुंचाते हैं।
    अस्थमा के मरीजों को सिंथेटिक व सेंटेड रंग काफी नुकसान पहुंचाते हैं। सेंथेटिक रंग से शरीर पर किसी प्रकार का जलन व दाने दिखे तो फौरी तौर पर सादे पानी से अंगों को धुले। एंटी एलर्जी दवाओं का प्रयोग करें और निकट किसी चर्म रोग विशेषज्ञ से इलाज कराए।

सिंथेटिक रंग आंखों की कार्निया पर घाव कर सकते हैं। यदि आंख में माड़ा आ गया तो रोशनी कम होने की आशंका रहती है। कुछ लोगों को सेंथेटिक रंग से एलर्जी होती है, जिससे कंजेक्टाइवा लाल हो जाती और काफी दिन तक बनी रहती है।
त्योहार पर यह बरतें सावधानी

-रंग खेलने से पहले शरीर पर वैसलीन, सरसों या नारियल का तेल लगाए।

-पूरे शरीर पर कपड़े पहने, इससे रंगों का दुष्प्रभाव कम हो जाता है।

-सिर पर टोपी लगाए।

-सूखे रंग त्वचा पर कतई न रगड़े, इससे त्वचा कट जाती है।

-रंग लगे अंगों को बार-बार साबुन से न धोंए।

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