देश की विरासत है आयुष चिकित्सा पद्धति : बंडारू दत्तात्रेय

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

वेद, उपनिषद और संहिताएं देश की विरासत हैं।
इन ग्रंथों में आयुर्वेद और स्वास्थ्य संबंधी अनेकों विषय हैं।

कुरुक्षेत्र : आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। कोविड-19 महामारी में दुनियाभर में आयुर्वेद के प्रति मान्यता बढ़ी है और लोगों का भी विश्वास पक्का हुआ है। आयुष को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिनंदन करता हूं। उनके अथक प्रयासों से विश्व में आयुर्वेद की मान्यता बढ़ी है। यह बातें राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कही। राज्यपाल का बुधवार को आयुष विवि के कुलाधिपति होने के नाते एक दिन का दौरा था। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हर जिले में एक-एक आयुर्वेदिक महाविद्यालय होना चाहिए। कॉलेजों को पीपीपी मोड़ पर खोला जा सकता है। इसके साथ ही आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में विद्यार्थियों की संख्या बढ़नी चाहिए। हालांकि एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद से काफी आगे बढ़ चुकी है। आयुर्वेद जन-जन तक पहुंचे, इसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। आयुष विश्वविद्यालय का शोध व नवाचार विभाग ( रिसर्च एंड इनोवेशन डिपार्टमेंट ) आयुर्वेद को तकनीकी से जोड़ रहा है जो सराहनीय कार्य है। तकनीक के माध्यम से आगे बढ़ा जा सकता है। लेकिन इसे इलेक्ट्रो मेडिकल इंस्ट्रूमेंटेशन विभाग के माध्यम से जमीन पर उतारना होगा। जैसे नाड़ी तरंगिणी यंत्र को छोटे रूप में डिजाइन किया जाना चाहिए। ताकि आम आदमी भी उसका उपयोग कर सके। आयुष विश्वविद्यालय में पधारने पर कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने राज्यपाल को पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया और विश्वविद्यालय के चार वर्ष के प्रगती कार्यों से अवगत करवाया। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय को आवंटित 103 एकड़ भूमि की चारदीवारी का काम पूरा हो चुका है और 500 करोड़ की लागत से विश्वविद्यालय के सभी भवनों के निर्माण हेतु एग्जीक्यूटिव एजेंसी हेतु टेंडर भी खोल दिया गया है। आयुष विवि के श्रीकृष्णा आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं अस्पताल में 108 बिस्तरों का आतुरालय जन सेवा में कार्यरत है। आयुर्वेद के सभी 14 विभागों में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्रदान की जा रही है इसके साथ ही 14 विभागों में पीएचडी भी कराई जा रही है। विश्वव्यापी कोरोना महामारी में जंग के दौरान आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति अनुसार कोरोना रोगियों की चिकित्सा के लिए विश्वविद्यालय में केंद्र बनाया गया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में आयुर्वेदिक औषधियों पर शोध कार्य के लिए विश्व की आधुनिकतम मशीनों से युक्त अनुसंधान एवं नवाचार विभाग स्थापित किया गया है। डॉ. आशीष मेहता ने विश्वविद्यालय के चार वर्ष के कार्यों को संक्षिप्त रूप में राज्यपाल को अवगत कराए। इसके साथ ही वैज्ञानिक डॉ. रजनी कांत ने रिसर्च एंड इनोवेशन विभाग में चल रहे शोध कार्यों और डॉ. मनीष सैनी ने इलेक्ट्रो मेडिकल इन्स्ट्रुमेंटेशन विभाग की जानकारी दी। कार्यक्रम के अन्त में डॉ. बलबीर संधू ने कोरोना काल में मानवता की भलाई में विश्वविद्यालय द्वारा किये गए कार्यों की जानकारी राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के समक्ष पीपीटी के माध्यम से प्रस्तु की। इस अवसर पर कुरुक्षेत्र के विधायक सुभाष सुधा, उपायुक्त मुकुल कुमार , एडीसी अखिल पिलानी, एसपी अंशु सिंघला और विश्वविद्यालय के अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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